एक के बाद एक तमाम Startup क्यों कर रहे हैं 'घर वापसी', जानिए इन्हें ऐसा भी क्या मिल गया!
बहुत सारे स्टार्टअप अमेरिका या सिंगापुर जैसे देशों में अपना बेस सेटअप करते थे, लेकिन अब एक-एक कर बहुत सारे स्टार्टअप घर वापसी (Why startups shifting to india) कर रहे हैं.
किसी भी बिजनेस (Business) के लिए सबसे जरूरी चीज होती है पैसा. स्टार्टअप (Startup) कल्चर में अगर आपके पास पैसा नहीं भी है तो भी आप एक आइडिया के दम पर फंडिंग उठा सकते हैं. अभी तो आपको भारत में हर तरफ स्टार्टअप कल्चर की बातें सुनाई देती हैं, लेकिन कुछ साल पहले तक स्टार्टअप्स इतने लोकप्रिय नहीं थे. ऐसे में भारत में स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग मिलना और बिजनेस करना इतना आसान नहीं था. इससे निपटने के लिए बहुत सारे स्टार्टअप अमेरिका या सिंगापुर जैसे देशों में अपना बेस सेटअप करते थे, लेकिन अब एक-एक कर बहुत सारे स्टार्टअप घर वापसी (Why startups shifting to india) कर रहे हैं.
फंडिंग में आसानी और ईज ऑफ डूईंग बिजनेस सबसे बड़ी वजहें
विदेशों में अपना बेस सेटअप करने के पीछे तमाम स्टार्टअप्स की सबसे बड़ी वजह ये हुआ करती थी कि इससे उन्हें फंडिंग आसानी से मिलेगी. अगर कंपनी अमेरिका में रजिस्टर्ड है, तो वहां के दिग्गज निवेशकों से उन्हें फंडिंग आसानी से मिल सकती थी. वहीं सिंगापुर जैसे देशों में टैक्स से लेकर ईज ऑफ डूईंग बिजनेस तक के फायदे मिल रहे थे. अब वक्त गुजरने के साथ-साथ भारत में भी स्टार्टअप्स के लिए बिजनेस करना काफी आसान हो चुका है. साथ ही अब यहां भी स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग के दरवाजे खुल चुके हैं.
रेगुलेशन भी है एक वजह
स्टार्टअप्स की घर वापसी की एक बड़ी वजह यहां का बाजार और रेगुलेशन भी हैं. ये स्टार्टअप अब भारतीय बाजार पर फोकस करते हुए अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि यहां कंज्यूमर बेस काफी बड़ा है. वहीं यहां के रेगुलेशन के साथ कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए भी स्टार्टअप वापस भारत आना चाह रहे हैं. इतना ही नहीं, स्टार्टअप्स का भारत आने का एक बड़ा मकसद ये भी है कि वह भारतीय बाजारों की तरफ से तेजी से बढ़ाए जा रहे वैल्युएशन का भी फायदा उठा पाएं.
भारत में रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स को मिलते हैं ये फायदे
भारत सरकार स्टार्टअप्स को बहुत सारी सुविधाएं दे रही है, लेकिन सबसे बड़ी शर्त ये है कि उनका भारत में रजिस्टर होना जरूरी है. भारत में रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स कई फायदे मिलते हैं. उन्हें ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से लेकर श्रम और पर्यावरण कानून के लिए सर्टिफिकेशन तक में फायदा मिलता है. डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप विक्रेताओं के रूप में जीईएम पर रजिस्टर हो सकते हैं और अपने उत्पादों और सेवाओं को सीधे सरकारी संस्थाओं को बेच सकते हैं. यह स्टार्टअप के लिए सरकार के साथ ट्रायल ऑर्डर पर काम करने का एक बेहतरीन अवसर है.
इतना ही नहीं, इनसोल्वेंसी और बैंकरप्टसी कोड 2016 के अनुसार, जिन स्टार्टअप का डेट स्ट्रक्चर साधारण होता है या जो आय के कुछ नियमों को पूरा करने वाले स्टार्टअप्स इनसॉल्वेंसी की एप्लीकेशन फाइल करने के बाद 90 दिनों के अंदर बिजनेस बंद कर सकते हैं. इसके लिए एक इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल को भी नियुक्त किया जाता है.
कई कंपनियां भारत शिफ्ट कर चुकी हैं बेस
हाल ही में Pine Labs को भी सिंगापुर की एक कोर्ट से अपना बेस भारत शिफ्ट करने की मंजूरी मिल गई है. कोर्ट की मंजूरी के तहत यह स्टार्टअप (Startup) अपनी वहां की यूनिट को भारत की यूनिट में मिला सकता है और साथ ही सिंगापुर के अपने सारे असेट्स और प्रॉपर्टी भारत में शिफ्ट कर सकता है.
कुछ समय पहले ही फिनटेक कंपनी ग्रो (Groww) ने घोषणा की थी कि उसने इस साल मार्च में अपने मुख्यालय को अमेरिका से वापस भारत लाने का काम पूरा कर लिया है. कंपनी ने अपनी भारतीय इकाई और अमेरिकी परिचालन के बीच रिवर्स मर्जर के लिए नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) बेंगलुरु में एक नियामक फाइलिंग की थी.
ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट (Flipkart) भी अपना डोमिसाइल सिंगापुर (Singapore) से शिफ्ट कर के भारत लाने की प्लानिंग कर रही है. उम्मीद की जा रही है कि फ्लिपकार्ट को तगड़ा टैक्स चुकाना होगा, जो यहां के नियमों के हिसाब से उस पर बनता है.
फोनपे (PhonePe) भी फ्लिपकार्ट ग्रुप से पूरी तरह अलग होते हुए 2022 में ही भारत में शिफ्ट हो चुका है. बता दें कि जब फोनपे भारत में शिफ्ट हुआ था, तो उसके निवेशकों को भारत सरकार को भारी टैक्स चुकाना पड़ा था.
मौजूदा वक्त में बहुत सारे स्टार्टअप हैं,जो भारत से बाहर रजिस्टर्ड हैं. अब वह भी धीरे-धीरे अपना बिजनेस भारत में शिफ्ट करना चाहते हैं. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार KreditBee, Razorpay, Meesho और Zepto जैसे स्टार्टअप आने वाले दिनों में अपना बेस भारत शिफ्ट कर सकते हैं.