शुरू होने के महज साल भर में ही ये Startup हुआ शट डाउन, खुद को-फाउंडर ने बताया क्यों बंद करना पड़ा Business
वेब3 स्टार्टअप Purple Pay ने भी अपना बिजनेस बंद कर दिया है. कंपनी के को-फाउंडर सौम्य सक्सेना ने खुद ही इसकी जानकारी सोशल मीडिया के जरिए शेयर की है. उन्होंने बताया है कि आखिर किस वजह से उन्हें अपना स्टार्टअप बंद करना पड़ा.
इस साल भारत में बहुत सारे स्टार्टअप्स (Startup) ने अपना बिजनेस (Business) बंद किया है. हाल ही में बाई नाउ, पे लेटर की सुविधा देने वाले स्टार्टअप ZestMoney ने अपना बिजनेस बंद किया था. अब एक वेब3 स्टार्टअप Purple Pay ने भी अपना बिजनेस बंद कर दिया है. कंपनी के को-फाउंडर सौम्य सक्सेना ने खुद ही इसकी जानकारी सोशल मीडिया के जरिए शेयर की है. उन्होंने बताया है कि आखिर किस वजह से उन्हें अपना स्टार्टअप बंद करना पड़ा.
इस कंपनी की शुरुआत इसी साल जनवरी में हुई थी. यह स्टार्टअप ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए क्रॉस बॉर्डर ट्रांजेक्शन की सुविधा देता था. यह केवाईसी के साथ-साथ रेगुलेटरी इश्यू का भी ध्यान रखता था. यह स्टार्टअप तमाम बिजनेस को क्रिप्टो पेमेंट स्वीकार करने में मदद करता था, वह भी नियमों को ध्यान में रखते हुए. यानी देखा जाए तो यह स्टार्टअप क्रिप्टो इकनॉमी को बढ़ावा दे रहा था.
क्यों बंद करना पड़ा बिजनेस?
सौम्य सक्सेना ने ट्विटर और लिंक्डइन दोनों जगह पोस्ट करते हुए बताया है कि आखिर किस वजह से उन्होंने अपना बिजनेस बंद किया है. उन्होंने लिखा है- 'Purple Pay बनाने के करीब 12 महीने बाद हमने इसे बंद करने का फैला किया है. आपको बिजनेस कब बंद करना है, ये पता होने सबसे मुश्किल काम है.' उन्होंने कहा कि इस बिजनेस को बंद करना पड़ा क्योंकि तमाम क्लाइंट्स से उन्हें अच्छा रेस्पॉन्स नहीं मिला.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल भी ट्रांजेक्शन के बजाय इन्वेस्टमेंट और सट्टेबाजी में होना बिजनेस बंद करने की एक वजह रहा है. उन्होंने कहा कि हमने इस प्रोडक्ट को बनाने और तमाम पहलुओं को समझने में बहुत वक्त लगाया. अब फाउंडर्स ने कहा है कि वह Purple Pay प्लेटफॉर्म को ओपन-सोर्स बना देंगे, ताकि इसे कोई भी इस्तेमाल कर सके और इससे अपना कोई प्रोडक्ट बना सके.
यह स्टार्टअप Sony Astar इनक्युबेशन प्रोग्राम का भी हिस्सा था. स्टार्टअप ने अब तक करीब 1.5 मिलियन डॉलर की ट्रांजेक्शन से करीब 15 हजार डॉलर का रेवेन्यू कमाया था. इसे Polygon, Wormhole, 0x, Eth India और Jump Pit जैसी इकाइयों से 70 हजार डॉलर से भी अधिक के ग्रांट और हैकेथॉन रिवॉर्ड मिले थे.
हाल ही में बंद हुआ है ZestMoney
फंडिंग विंटर के चलते हाल ही में बाई नाउ, पे लेटर की सुविधा देने वाला स्टार्टअप ZestMoney बंद हुआ है. कंपनी की तरफ से 5 दिसंबर को एक टाउनहॉल किया गया था. इसमें कर्मचारियों को बताया गया था कि कंपनी अपना बिजनेस बंद कर रही है. इसके चलते कंपनी 150 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही है. हालांकि, जब तक बिजनेस बंद होने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक लीगल और फाइनेंस टीम को बनाए रखा जाएगा. एक वक्त ऐसा भी था जब ZestMoney का वैल्यूएशन 40 करोड़ डॉलर यानी करीब 3333 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा था.
फाउंडर्स के इस्तीफे के बाद शुरू हुआ बुरा दौर
कंपनी का बुरा वक्त तब शुरू हुआ, जब कंपनी के फाउंडर्स ने इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के बाद कंपनी की जिम्मेदारी नए मैनेजमेंट और निवेशकों पर आ गई, जो कंपनी को संभाल नहीं पाए. खुद को बचाने के लिए इस कंपनी ने फोनपे से अधिग्रहण करने को लेकर भी बात की, लेकिन बाद में फोनपे भी कंपनी के अधिग्रहण से पीछे हट गया. और फिर हालात खराब होते चले गए. जेस्टमनी के नए मैनेजमेंट ने कंपनी के बिजनेस को फिर से जिंदा करने के लिए 'ZestMoney 2.0' नाम से एक नई योजना भी शुरू की थी, लेकिन वह भी फ्लॉप रही.
निकाले जा रहे कर्मचारियों को मिल रही क्या मदद?
बिजनेस बंद होने की वजह से कंपनी की तरफ से 150 कर्मचारियों को निकाला जा रहा है. इन कर्मचारियों को 2 महीने की अतिरिक्त सैलरी दी जा रही है और साथ ही दूसरी जगह नौकरी दिलवाने में मदद की जा रही है. कंपनी के कर्मचारियों ने अपने लिंक्डइन अकाउंट पर 'ओपन टू वर्क' का टैग भी लगा लिया है.
2016 में हुई थी कंपनी की शुरुआत
जेस्टमनी की शुरुआत साल 2016 में लिजी चैपमैन, प्रिया शर्मा और आशीष अनंतरामन ने की थी. कंपनी के पास करीब 1.7 करोड़ ग्राहकों का बड़ा यूजरबेस था और कंपनी हर महीने करीब 400 करोड़ रुपये के लोन बांट रही थी. कंपनी के 27 लेंडिंग पार्टनर थे. साथ ही इस कंपनी ने 10 हजार ऑनलाइन ब्रांड्स और करीब 75 हजार ऑफलाइन स्टोर्स के साथ साझेदारी की हुई थी.