हम अक्सर सोचते हैं कि कैसे एक बड़ा बिजनेस खड़ा करें. लेकिन सिर्फ एक बिजनेस को बड़ा बनाना ही काफी नहीं है, उसे बड़ा बनाए रखना भी बहुत जरूरी है. जब तक आप छोटे होते हैं, तब तक भले ही आप पर किसी की नजर ना हो, लेकिन बड़ा बनते ही आप सबकी नजरों में आ जाते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ है होम ऑर्गेनाइजर कंपनी के फाउंडर के साथ. एक वक्त था जब उसका स्टार्टअप रोजाना 20 लाख रुपये की सेल कर रहा था. लेकिन अगले कुछ ही सालों में ऐसा भी वक्त आ गया कि बिजनेस को बचाना मुश्किल हो गया.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

एक स्टार्टअप फाउंडर ने अपनी कहानी करियर और सैलरी की चर्चा करने वाले प्लेटफॉर्म Grapevine पर शेयर की है. उन्होंने अपने स्टार्टअप के अर्श से फर्श पर गिरने की कहानी और वजह के बारे में बताया है. कहानी में बताया है कि कैसे जब उनका बिजनेस बड़ा हो गया तो अमेजन ने उसे खरीदने का एक ऑफर दिया. जब फाउंडर ने वह ऑफर मना कर दिया, तो खुद अमेजन ही उस कैटेगरी में सस्ते दामों के साथ कूद पड़ा और इस फाउंडर का स्टार्टअप बंद होने के कगार पर पहुंच गया. खुद Grapevine के फाउंडर Saumil ने ये कहानी अपने एक्स पोस्ट पर भी शेयर की है.

होम ऑर्गेनाइजर कंपनी के फाउंडर अमेजन और फ्लिपकार्ट पर लीडर बन गए थे और रोजाना करीब 20 लाख का रेवेन्यू कमा रहे थे. उन्होंने लिखा कि आज देखा जाए तो बिजनेस लगभग खत्म हो चुका है, वो भी अमेजन के प्राइवेट लेबल मूव की वजह से. फाउंडर के अनुसार यह सब 2017 में शुरू हुआ, जब वह बजट फ्रेंडली स्टोरेडज आइडिया की तलाश में थे, उन्होंने देखा कि अमेजन पर बहुत ही महंगे दाम में प्रोडक्ट बिक रहे थे.

फाउंडर ने लिखा- 'मैंने करीब 2.5 लाख रुपये खर्च कर के 300 प्रोडक्ट अमेजन पर लिस्ट किए, जिनकी कीमत 300-500 रुपये रखी. मैं हैरान रह गया कि सारे 300 प्रोडक्ट करीब 50 घंटे में ही बिक गए. तुरंत मैंने निवेश तीन गुना करते हुए इस बार 7.5 लाख रुपये की इन्वेंट्री रखी और वह भी तेजी से सोल्ड आउट हो गया. करीब 2 महीनों में रोजाना सेल्स 20 लाख रुपये तक पहुंच गई. मेरा मार्जिन 15-25 फीसदी के बीच था यानी हर महीने 3-5 लाख रुपये का मुनाफा हो रहा था, जो बहुत ही शानदार था.'

अमेजन से मिला बिजनेस खरीदने का ऑफर

फाउंडर का दावा है कि जब उनका बिजनेस तेजी से बढ़ने लगा तो अमेजन की तरफ से उनके बिजनेस में दिलचस्पी दिखाई गई. उसके बाद अमेजन से टॉप सेलर को दिए जाने वाले इंसेंटिव मिलने लगे और साथ ही एक डेडिकेटेड अकाउंट मैनेजर भी मिला, जो मार्केटिंग सजेशन देता था. उनकी मदद से फाउंडर का बिजनेस तेजी से बढ़ा. यहां तक कि वह खुद चीन गए, ताकि मैन्युफैक्चरर्स के साथ डील कर सकें. उसके कुछ वक्त बाद ही अमेजन ने उनके ब्रांड को खरीदने का ऑफर दिया, जिसे अमेजन के Solimo के तहत मर्ज कर दिया जाता. अमेजन का ऑफर तो शानदार था, लेकिन फाउंडर का लगा कि यह काफी नहीं और उन्होंने अमेजन का ऑफर ठुकरा दिया.

और यहां से शुरू हुई बर्बादी की कहानी!

फाउंडर का दावा है कि कुछ ही महीनों बाद अमेजन के Solimo ब्रांड के तहत भी उनके जैसे ही प्रोडक्ट बेचे जाने लगे, लेकिन काफी सस्ते दामों पर. इस तरह अमेजन भी उनका सीधा कॉम्पटीटर बन गया. उनका रोजाना का रेवेन्यू तेजी से गिरने लगा. आखिरकार एक वक्त ऐसा आ गया कि उन्हें अपने प्रोडक्ट बिना मुनाफे के लागत पर ही बेचने पर मजबूर होना पड़ा. हालांकि, वह कहते हैं कि शायद यह अमेजन की गलती ना हो, क्योंकि अगर वह भी उस जगह होते तो शायद कुछ ऐसा ही करते. जी बिजनेस ने इस पर अमेजन इंडिया से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.

लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया

इस कहानी पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कोई अमेजन को गलत ठहरा रहा है तो कोई कह रहा है कि गलती फाउंडर की है. कई लोगों का कहना है कि जिस बिजनेस में कुछ यूनीक बात नहीं होती है, उसे कोई भी कॉपी कर सकता है, यह कोई नई बात नहीं है. उनका कहना है कि बिजनेस का कोई ना कोई मोट जरूर होना चाहिए, जिसके दम पर आप आगे बढ़ सकें.