आज के वक्त में हर चीज जल्दी मिलने लगी है. पिज्जा आधे घंटे में पहुंच जाता है और ग्रॉसरी 10 मिनट में. यहां तक कि आपके टैक्सी चाहिए तो वो भी सिर्फ 5-10 मिनट में आपके दरवाजे पर होती है. टैक्सी या पिज्जा आने में अगर देर भी हो जाए तो क्या होगा? उसके बिना कोई मर तो नहीं जाएगा. लेकिन जरा सोचिए, अगर एंबुलेस (Ambulance) को आने में देर हो जाए तो... तब तो वाकई कोई मर सकता है. इस समस्या को समझा नोएडा में रहने वाले रवजोत सिंह अरोड़ा ने और अपने दोस्त प्रणव बजाज के साथ मिलकर जून 2017 में की Medulance की शुरुआत. बता दें कि यह स्टार्टअप (Startup) शार्क टैंक इंडिया-2 (Shark Tank India-2) में भी आ चुका है और इसे 2 करोड़ रुपये की फंडिंग (Startup Funding) का कमिटमेंट मिला हुआ है. CarDekho के अमित जैन ने तो 5 करोड़ का ऑफर भी दे दिया था, जो शार्क टैंक में उस वक्त तक का सबसे बड़ा ऑफर था. हालांकि, कंपनी ने वह ऑफर लेने से मना कर दिया था, क्योंकि उसके बदले ज्यादा इक्विटी मांगी जा रही थी.े

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रवजोत का ये आइडिया आज 550 से भी अधिक शहरों में अपनी तगड़ी पकड़ बना चुका है. यह एग्रीगेशन मॉडल पर काम करने वाला बिजनेस है, जिसके तहत तमाम एंबुलेस को एक जगह लाया जाता है. आप जैसे ही मेड्युलेंस से एंबुलेंस कॉल करते हैं, करीब 15 मिनट के अंदर एंबुलेंस आपके घर पर पहुंच जाएगी. बता दें कि पहले रवजोत के परिवार का नाइकी शोरूम का बिजनेस था. वह खुद भी मेड्युलेंस शुरू करने से पहले महाराष्ट्र में प्रॉन (Prawn) फार्मिंग का बिजनेस करते थे, जो मुनाफे वाला भी था. हालांकि, रवजोत को उसमें संतुष्टि नहीं मिल रही थी और वह कुछ बड़ा करना चाहते थे.

कहां से आया मेड्युलेंस का आइडिया?

मेड्युलेंस का आइडिया रवजोत को किसी अपने को खोने की वजह से आया. रवजोत बताते हैं कि उनके दादा जी को हार्टअटैक आया और उनके पिता ने तमाम जगहों पर फोन किया, तो भी उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली. ऐसे में उनके पिता खुद अस्पताल गए और वहां से अपनी गाड़ी के पीछे-पीछे एंबुलेंस लेकर आए. इस दौरान काफी समय बीत गया, जिससे रवजोत के दादाजी की तबियत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें कुछ दिन तक वेंटिलेटर पर रखना पड़ा. तबियत बहुत ज्यादा खराब हो जाने की वजह से कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई, जो एक बड़ा नुकसान था. रवजोत कहते हैं - 'जब किसी की जान चली जाती है तो आप यही सोचते हैं कि आप क्या कर सकते थे? यही सोचते हुए शुरुआत की गई मेड्युलेंस की, ताकि जो हमारे साथ हुआ है, वह किसी और के साथ ना हो.'

कैसे काम करता है ये स्टार्टअप?

मेड्युलेंस को पहला कॉन्ट्रैक्ट DLF Magnolias से मिला था. इस बिजनेस के तहत ये स्टार्टअप तमाम एंबुलेंस को एक साथ जोड़ने का काम करता है. कुछ एंबुलेस को ये स्टार्टअप लीज पर भी लेता है. इन सभी एंबुलेंस में क्वालिटी का पूरा ध्यान रखने की जिम्मेदारी मेड्युलेंस की ही होती है. जैसी ही कोई मेड्युलेंस में एंबुलेंस के लिए कॉल करता है, तो सबसे पहले उसके एड्रेस पर एक एंबुलेंस भेज दी जाती है. उसके बाद 3-4 मिनट उस व्यक्ति को शुरुआती उपाचर बताया जाता है, जिससे मरीज को कुछ और वक्त मिल सके. जैसे अगर किसी को दिल का दौरा पड़ा है तो फोन करने वाले को बताया जाता है कि उनके पैर ऊपर उठा दो, ताकि ब्लड की सप्लाई दिल की तरफ जा सके. वहीं उसे सीपीआर के वीडियो भेज दिए जाते हैं, जिसे देखकर वह शुरुआती बचाव कार्य कर सके. वहीं करीब 15 मिनट में एंबुलेंस पहुंच जाती है, जिसके बाद मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है.

4 तरह के बी2बी बिजनेस मॉडल

यह स्टार्टअप दिल्ली में रेस्पॉन्स टाइम को 11 मिनट तक ले आया है, जहां कंपनी की करीब 450 एंबुलेंस हैं. यह स्टार्टअप अभी दिल्ली सरकार के साथ भी मिलकर काम कर रहा है. Coal India, NTPC, GAIL India, HCL, JP Morgan,TCS, Tata 1mg, Medibuddy और Yoda Elder Care जैसी कंपनियों को भी यह स्टार्टअप अपनी सेवाएं देता है. मौजूदा वक्त में इसके 4 बिजनेस मॉडल हैं.

1-मेड्यूईआरएस

इसके तहत 24 घंटे आपकी कंपनी या सोसाएटी के बाहर एंबुलेंस खड़ी रहती है. ये सुविधा कंपनियों या सोसाएटी को बी2बी मॉडल के तहत दी जाती है. इसमें आप तक एंबुलेंस सिर्फ 5 मिनट में पहुंच सकती है. इनसे चार्ज एंबुलेंस की संख्या के आधार पर लिया जाता है. इसमें आप खुद तय कर सकते हैं कि आपको किस अस्पताल जाना है.

2- मेड्यू क्लीनिक

इस बिजनेस मॉडल के तहत मॉल्स या ऑफिस में पैरामेडिक्स को क्लीनिक बनाकर बैठा दिया जाता है. यानी एक मेडिकल रूम सेटअप कर दिया जाता है. एंबुलेंस हर वक्त रखना काफी महंगा पड़ता है, जबकि मेडिकल रूम सेटअप करने पर आपकी कॉस्ट करीब एक तिहाई रह जाती है.

3- मेड्यू अलर्ट

इस सेवा के तहत बिजनेस को एक डेडिकेटेड नंबर दे दिया जाता है. जब भी उस बिजनेस का कोई कर्मचारी इस नंबर पर कॉल करता है, तुरंत ही मेड्युलेंस की एंबुलेंस उसके पास पहुंच जाती है. यह उस मामले में अच्छा होता है, जब कर्मचारी अपने ऑफिस से दूर हो.

4- टेक्नोलॉजी

मेड्युलेंस की तरफ से हेल्थकेयर से जुड़ी कई कंपनियों को कुछ टेक्नोलॉजी या सॉफ्टवेयर भी बेचे जाते हैं, जिससे वह अपने बिजनेस को अच्छे से मैनेज करते हैं. यहां से भी कंपनी की कमाई होती है.

बी2सी में कैसे काम करता है स्टार्टअप?

  • मेड्युलेंस का 90-95 फीसदी बिजनेस बी2बी है. वहीं बी2सी मार्केट में भी इस कंपनी की पहुंच है. इसके तहत जरूरत पड़ने पर आपको मेड्युलेंस को कॉल करना होता है और वहां से जैसी एंबुलेंस चाहिए, वैसी आप मंगा सकते हैं. कंपनी 3 तरह की एंबुलेंस ऑफर करती है. 
  • पहली है पेशेंट ट्रांसपोर्ट एंबुलेंस, जो ईको जैसी छोटी गाड़ी होती है. इसमें ऑक्सीजन समेत बेसिक सपोर्ट होते हैं. इसकी कीमत 700 रुपये से शुरू होती है. 
  • वहीं दूसरी एंबुलेंस है बेसिक लाइफ सपोर्ट, जो टैंपो जैसी बड़ी गाड़ी होती है और इसमें भी ऑक्सीजन समेत बेसिक सपोर्ट होता है. इसकी कीमत 2200 रुपये से शुरू होती है.
  • तीसरी है एडवांस लाइफ सपोर्ट, जिसमें आईसीयू जैसी एडवांस सुविधाएं होती हैं. इस एंबुलेंस की कीमत 5000 रुपये से शुरू होती हैं. इसमें आपके पास एक डॉक्टर भी आता है, जिसका अलग चार्ज रहता है.

अभी तक मेड्युलेंस के साथ 100 से भी अधिक कंपनियों के 80 लाख से भी ज्यादा कर्मचारी कवर हैं. वहीं ये स्टार्टअप अपने 10 हजार से भी अधिक एंबुलेंस के नेटवर्क के जरिए अब तक 25 लाख लोगों को अस्पताल पहुंचने में मदद कर चुका है यानी उनकी जान बचाने में मददगार साबित हुआ है. इसके ऐप पर आपको ओला-उबर की तरह एंबुलेंस ट्रैकिंग की सुविधा भी मिलती है. हालांकि, बुकिंग के लिए आपको कॉल ही करना होगा, ताकि आपकी जरूरत के हिसाब से आपको एंबुलेंस भेजी जा सके. 

रवजोत बताते हैं कि आईपीएल के दौरान स्टेडियम में ही महज 3 मिनट में सीपीआर देकर मेड्युलेंस ने 80 साल के एक ऐसे शख्स की जान बचाई, जिन्हें पेस मेकर लगा था और उन्हें दिला का दौरा पड़ा था. मेड्युलेंस ने आईसीसी मेन्स क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023, इंडियन प्रीमियर लीग, मोटोजीपी भारत, उत्तर प्रदेश टी20 लीग, प्रो पंजा लीीग, प्रो कबड्डी लीग, प्रो टेनिस लीग जैसे स्पोर्ट्स इवेंट्स में भी अपनी सेवाएं दी हैं.

फ्यूचर प्लानिंग और फंडिंग

मौजूदा वक्त में मेड्युलेंस एक बूटस्ट्रैप्ड कंपनी है और दोनों ही को-फाउंडर के पास 50-50 फीसदी हिस्सेदारी है. बता दें कि शार्क टैंक से कंपनी को जो निवेश मिला था, वह अभी तक उनके हाथ में नहीं आया है, उसमें अभी कुछ वक्त लग रहा है. आने वाले वक्त में यह स्टार्टअप एक एकेडमी शुरू करना चाहता है, जिसके तहत कई तरह के कोर्स लॉन्च किए जाएंगे. वहीं इस एकेडमी के जरिए वह लोगों के बेसिक चीजें मुफ्त में सिखाना चाहते हैं. रवजोत कहते हैं कि उनका विजन है हर घर में कम से कम एक शख्स को फर्स्ट ऐड की ट्रेनिंग मिली हुई हो. साथ ही वह तमाम सरकारों के साथ भी मिलकर काम करना चाहते हैं.