लॉकडाउन में गई जॉब तो पति-पत्नी ने शुरू किया डॉगी ढाबा, 'डॉग पार्टी' भी कराते हैं, पहले मजाक उड़ाते थे लोग अब तारीफ करते हैं!
डॉग्स से प्यार करने वाले इंदौर के एक कपल के मन में भी यही सवाल उठा और उन्होंने मिलकर शुरू किया डॉगी ढाबा. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा है. यह ढाबा इंसानों का खाना नहीं बनाता, बल्कि डॉगी यानी कुत्तों का खाना बनाता है.
ढाबा! ये शब्द सुनते ही आपके मन में सबसे पहले तो यही ख्याल आ रहा होगा कि यहां खाने के लिए खाना मिलेगा. अब जरा सोचिए, हमें और आपको भूख लगे तो हम किसी ढाबे पर जाकर खाना खा सकते हैं या घर भी मंगवा सकते हैं, लेकिन डॉग्स का क्या? डॉग्स से प्यार करने वाले इंदौर के एक कपल के मन में भी यही सवाल उठा और उन्होंने मिलकर शुरू किया डॉगी ढाबा. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा है. यह ढाबा इंसानों का खाना नहीं बनाता, बल्कि डॉगी यानी कुत्तों का खाना बनाता है.
डॉगी ढाबा की शुरुआत की है मध्य प्रदेश के इंदौर में रहने वाले बलराज झाला और उनकी पत्नी मिथलेश ने. ये बिजनेस शुरू करने से पहले वह दोनों एक होटल में काम करते थे. होटल से वापस आते वक्त वह अक्सर कुछ बचा-खुचा खाना ले आते थे और स्ट्रीट डॉग्स को खिला दिया करते थे. इससे खाना भी बर्बाद नहीं होता था और डॉग्स का पेट भी भर जाता था. 2019 तक को उनकी नौकरी अच्छे से चलती रही, लेकिन फिर कोविड ने दस्तक की और लॉकडाउन ने सभी होटलों पर ताले लगा दिए.
नौकरी गई तो शुरू किया बिजनेस
होटल बंद होते ही बलराज और उनकी पत्नी की नौकरी चली गई. इस दौरान उन्होंने देखा कि जिन डॉग्स को वह रोज खाना खिलाया करते थे, अब उन्हें खाने को नहीं मिल पा रहा है. नौकरी पहले ही जा चुकी थी, घर में बैठे-बैठे पति-पत्नी ने सोचा क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए, जिससे पैसे भी कमाए जा सकें और डॉग्स का पेट भी भरना आसान हो जाए. और यहीं से शुरुआत हुई डॉगी ढाबा की.
बलराज और उनकी पत्नी मिथलेश के डॉग्स के लिए प्यार ने 2020 में डॉगी ढाबा की शक्ल ले ली. इसमें वह डॉग्स के लिए ताजा खाना बनाने लगे और इंदौर में डिलीवरी भी शुरू कर दी. धीरे-धीरे लोगों की तरफ से अलग-अलग तरह की डिमांड आने लगीं और साथ ही पति-पत्नी ने भी बिजनेस को बढ़ाने की दिशा में सोचना शुरू कर दिया. अभी वह डॉगी ढाबा के तहत सिर्फ फ्रेश फूड ही नहीं बनाते, बल्कि केक, बिरयानी, कुकीज़ समेत बहुत सारे प्रोडक्ट बनाते हैं. इनमें से कुछ प्रोडक्ट सिर्फ इंदौर में डिलीवर होते हैं और कुछ प्रोडक्ट पूरे देश में डिलीवर होते हैं.
डॉग पार्टियां भी कराते हैं
आज के वक्त में हर कोई पार्टी करना चाहता है. ना सिर्फ बड़े-बूढ़े लोग पार्टी करते हैं, बल्कि अब तो छोटे बच्चों की भी पार्टियां होती हैं. ऐसे में बलराज को आइडिया आया कि डॉग्स की भी पार्टी होनी चाहिए. इसी सोच के साथ आज के वक्त में वह डॉग पार्टी का भी आयोजन करते हैं, जहां लोग अपने डॉग्स को लेकर आते हैं. इस पार्टी में डॉग्स के लिए ना सिर्फ खाने-पीने की व्यवस्था होती है, बल्कि उनके लिए गेम्स और एक्टिविटी भी होती हैं. पेट पैरेंटिंग तेजी से बढ़ रही है और ऐसे में लोग अपने पेट्स के लिए काफी कुछ कर रहे हैं.
1 लाख से शुरू किया बिजनेस
आज से करीब 4 साल पहले बलराज और उनकी पत्नी ने महज 1 लाख रुपये की अपनी सेविंग के साथ इस बिजनेस की शुरुआत की थी. आज के वक्त में उनके बिजनेस का मंथली टर्नओवर 5 लाख रुपये से अधिक है. बलराज बताते हैं कि वह अपनी पुरानी नौकरी से अधिक कमा लेते हैं.
अभी तक तो उनका बिजनेस बूटस्ट्रैप्ड है, लेकिन वह तेजी से फंडिंग की तलाश कर रहे हैं, ताकि बिजनेस को बड़े स्केल पर शुरू किया जा सके. सरकार की भी कुछ स्कीम में अप्लाई किया है. इतना ही नहीं, वह अपने ब्रांड को मजबूत बनाकर शार्क टैंक इंडिया में भी जाना चाहते हैं, जहां से उन्हें अधिक से अधिक लोग जानेंगे भी और साथ ही वहां से उन्हें फंडिंग भी मिलने की उम्मीद है.
मजाक उड़ाते थे लोग, अब तारीफ करते हैं
जब बलराज ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर डॉगी ढाबा की शुरुआत की तो लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे. हालांकि, बलराज ने इस काम को बहुत ही गंभीरता के साथ शुरू किया. यहां तक कि उन्होंने डॉग्स के लिए तमाम तरह के मील बनाने के लिए डॉक्टर से मिलकर बात की और उसके बाद मेन्यू तय किया. इस तरह उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि जो डॉग मील वह तैयार कर रहे हैं, वह ना सिर्फ डॉग्स का पेट भरें, बल्कि उन्हें न्यूट्रिशन भी दें.
बलराज बताते हैं कि डॉग्स को चीनी नुकसान करती है, इसलिए उन्होंने केक में शहद का इस्तेमाल किया है, वह भी बहुत मामूली. अलग-अलग उम्र के डॉग के लिए खाने की मात्रा भी अलग-अलग होती है. बलराज बताते हैं कि डॉग फूड में अभी तक सारे प्रोडक्ट ऐसे हैं, जो विदेशी हैं. अब भारत में पेट पैरेंटिंग तेजी से बढ़ रही है और ऐसे में जरूरत है एक भारतीय ब्रांड की, जिसके प्रोडक्ट विदेशों तक अपनी पहुंच बना सकें. बलराज हर शहर में एक डॉगी ढाबा खोलना चाहते हैं.