GLC Wealth: एक ऐसा भी Startup, जो खोए हुए पैसे ढूंढ निकालता है, करोड़ों की करवा चुका है रिकवरी
एक स्टार्टअप जीएलसी वेल्थ एडवाइजर (GLC Wealth Advisor) लोगों के खोए हुए पैसे या यूं कहें कि फंसे हुए इन्वेस्टमेंट को ढूंढकर उन तक पहुंचाता है.
आपने अक्सर ही ऐसी कहानियां सुनी होंगी कि किसी घर में उनके पुरखों ने दौलत छुपा रखी थी, जो उनकी मौत के कई सालों बाद परिवार वालों को मिली. पुराने जमाने में लोग अपनी अतिरिक्त दौलत को इसी तरह छुपाया करते थे, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल कर सकें. वहीं आज के वक्त में लोग अपनी अतिरिक्त इनकम को और बढ़ाने के मकसद से कहीं इन्वेस्ट यानी निवेश कर देते हैं. कई बार लोग अपने पैसे निवेश कर के भूल जाते हैं या किसी अनहोनी की वजह से उसे वापस हासिल नहीं कर पाते हैं और वह पैसा फंसा रहता है. स्टॉक्स में भी ऐसे बहुत सारे लोगों के पैसे फंसे हुए हैं, जो या तो उसे भूल गए हैं या अब इस दुनिया में नहीं हैं और उनके परिवार को इन पैसों के बारे में पता ही नहीं. ऐसे में एक स्टार्टअप जीएलसी वेल्थ एडवाइजर (GLC Wealth Advisor) इन खोए हुए या यूं कहें कि फंसे हुए पैसों को ढूंढकर उनके हकदार तक पहुंचाता है.
जीएलसी वेल्थ एडवाइजर की शुरुआत संचित गर्ग ने फरवरी 2021 में की थी. हालांकि, इस आइडिया पर काम तो 2017 से ही शुरू हो गया था, लेकिन साल 2021 में यह एक अलग एंटिटी बन गया, ताकि बिजनेस को बढ़ाया जा सके. यह जीएलसी ग्रुप का एक हिस्सा है, जो 2017 से ही लीगल मामलों में डील कर रहा है. जीएलसी वेल्थ करीब 500 करोड़ रुपये की रिकवरी का पोर्टफोलियो हैंडल कर रहा है. यानी ये 500 करोड़ रुपये अभी तक किसी ना किसी स्टॉक में इन्वेस्ट हुए पड़े थे या किसी कंपनी की तरफ से इस पर मिलने वाला डिविडेंड कंपनी के ही पास पड़ा था. स्टॉक्स की बात करें तो अगर किसी ने 25-30 साल पहले किसी शेयर में कुछ हजार या लाख रुपये लगाए होंगे, तो आज उनकी वैल्यू लाखों या करोड़ों में पहुंच चुकी होगी. बहुत सारे लोगों को पता ही नहीं है कि उन्होंने या फिर उनके पिता या दादा ने किसी स्टॉक में पैसे लगाए थे, जो आज करोड़ों रुपये बन चुके हैं. जीएलसी वेल्थ इन पैसों को खोद-खोद कर निकाल रही है और उनके असली हकदार तक पहुंचा रही है.
देश ही नहीं, पूरी दुनिया में हैं इनके क्लाइंट्स
मौजूदा वक्त में इस स्टार्टअप का एक ऑफिस दिल्ली में है, जबकि दूसरा मुंबई में है. हालांकि, कंपनी पूरी दुनिया में अपनी सेवाएं दे रही है. अगर दुनिया भर की बात करें तो कंपनी के 50 फीसदी क्लाइंट तो विदेशों से हैं. ये वो भारतीय हैं, जो अब विदेश में जाकर बस गए हैं और वहीं की नागरिकता भी हासिल कर ली है.
कहां से आया जीएलसी वेल्थ का आइडिया?
जीएलसी ग्रुप के हेड अंकित गर्ग साल 2015 से ही लॉ प्रैक्टिस कर रहे हैं. उस वक्त उनके पिता जो लॉ फर्म चलाते थे, वहां कई ऐसे केस आते थे, जिसमें लोग अपनी पुरानी इन्वेस्टमेंट के लिए कानूनी मदद चाहते थे. पिता या दादा की मौत के बाद उनकी संपत्ति ट्रांसफर कराने के लिए भी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता है, जिसके लिए लोग मदद चाहते थे. साल 2016 में मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स और कंपनीज एक्ट के तहत कुछ संशोधन हुए, जिसके तहत इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड बनाया गया. इसमें पुराने अनक्लेम्ड शेयर और डिविडेंड ट्रांसफर होने थे. तब बहुत सारे लोगों को पता चला कि उनका फंसा हुआ पैसे सरकारी खजाने में जाने वाला है तो लोग उसे निकलवाने की कोशिश करने लगे. 2018-19 के करीब संचित गर्ग अपनी 1 करोड़ रुपये के पैकेज वाली इन्वेस्टमेंट बैंकर की नौकरी छोड़कर आए और अंकित से प्रेरणा लेकर इस प्रक्रिया की बारीकियों को समझने लगे. 2-3 साल तक लोगों की मदद करने के बाद साल 2021 में जीएलसी वेल्थ एडवाइजर की शुरुआत की.
लोगों के खोए हुए पैसे ढूंढता है ये स्टार्टअप
जीएलसी वेल्थ एडवाइजर लोगों की खोई हुई इन्वेस्टमेंट रिकवर करने वाला स्टार्टअप है. बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें पता होता है कि उन्होंने कहां-कहां पैसे लगाए हैं, लेकिन वह उसे किसी वजह से निकाल नहीं पाते. कई बार परिवार को पता होता है कि दिवंगत पिता-दादा ने कहां पैसे लगाए हैं, लेकिन उसे निकाल नहीं पाते. ऐसे में हर रोज जीएलसी वेल्थ के पास करीब 40-50 ऐसे मामले आते हैं, जिनमें लोग चाहते हैं कि उन्हें कानूनी मदद मिले. इसके तहत वह चाहते हैं कि उनकी तरफ से सारा डॉक्युमेंटेशन और प्रोसेस भी कोई कर दे और ये काम कर रहा है जीएलसी वेल्थ. वहीं इस स्टार्टअप की सबसे यूनीक बात ये है कि यह उन लोगों के खोए हुए पैसे भी ढूंढ रहा है, जिन्हें पता ही नहीं कि उनके कितने पैसे कहां फसे हैं. जीएलसी वेल्थ ऐसे पैसों का पता लगाकर उसके बारे में पैसों के असली हकदार को सूचित करता है और उन पैसों को रिकवर कराने में उनकी मदद करता है.
जीएलसी वेल्थ कैसे खोज निकालता है खोए हुए पैसे?
स्टार्टअप जीएलसी वेल्थ की अपनी एक डेटा माइनिंग टीम है. यह हर रोज बहुत सारा डेटा जुटाती है और उसे एनालाइज करती है. कंपनीज एक्ट और सरकारी रेगुनलेशन में कहा गया है कि लिस्टड कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर अनक्लेम्ड इन्वेस्टमेंट का डेटा पब्लिश करना जरूरी है. जीएलसी की टीम हजारों पोर्टल और वेबसाइट से डेटा जमा करती है, जो पब्लिक डोमेन में है. उसके बाद उस डेटा को एनालाइज कर के पता करती है कि यह पैसे किसके हैं. पैसों के मालिक का पता लगने के बाद स्टार्टअप के लोग उनसे मिलते हैं और उनके निवेश के बारे में उन्हें बताते हैं. इसके बाद जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए वह पैसे रिकवर कर के क्लाइंट को दे दिए जाते हैं.
क्या है इस स्टार्टअप का बिजनेस मॉडल?
यह स्टार्टअप अलग-अलग केस के हिसाब से अपने क्लाइंट्स से अलग-अलग प्रोफेशनल फीस चार्ज करता है. यह फीस ही दरअसल इस स्टार्टअप की कमाई है. इसके अलावा यह स्टार्टअप और किसी तरीके से पैसे नहीं कमाता है. यह स्टार्टअप ना तो लोगों के पैसों को मैनेज करनी की सुविधा देता है, ना ही पैसों को कहीं निवेश करने को सलाह वाली कोई सेवा देता है. अभी तक यह स्टार्टअप सिर्फ लोगों को उनके फंसे हुए पैसे निकालने में लीगल हेल्थ देता है. कंपनी के को-फाउंडर संचित गर्ग कहते हैं कि जीएलसी वेल्थ अधिकतर लोगों के पैसे रिकवर कराने के बाद अपनी फीस लेता है, यानी सक्सेस फीस लेता है. लोग पैसे मिलने के बाद कंपनी को फीस का भुगतान करते हैं.
बूटस्ट्रैप्ड और प्रॉफिटेबल स्टार्टअप
जीएलसी वेल्थ ने अभी तक कोई फंडिंग नहीं ली है और यह स्टार्टअप पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड है. कंपनी का कैश फ्लो पॉजिटिव है, जिसके चलते कंपनी प्रॉफिटेबल है. संचित गर्ग कहते हैं कि आने वाले वक्त में अगर कोई ऐसा स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टर मिले जो इस स्टार्टअप के बिजनेस को तगड़ी ग्रोथ दिला सके, तो वह फंडिंग उठाने के बारे में सोच सकते हैं. जब तक ऐसा कोई इन्वेस्टर नहीं मिलता, जीएलसी वेल्थ कोई फंडिंग नहीं उठाएगी.
भविष्य का क्या है प्लान?
जीएलसी वेल्थ ने तमाम क्लाइंट्स के करोड़ों रुपये रिकवर करवाकर उनका भरोसा जीत लिया है. लोगों को घर बैठे उनके करोड़ों रुपये में मिल रहे हैं. संचित का कहना है कि आने वाले दिनों में कंपनी वेल्थ मैनेजमेंट में भी उतर सकती है. हालांकि, इसके बारे में तब सोचेंगे जब कंपनी 1000-2000 करोड़ रुपये रिकवर करवा लेगी. अभी कंपनी का पूरा फोकस देश के कोने-कोने में अपनी सेवाएं पहुंचाने का है. कंपनी हर छोटे-बड़े शहर तक पहुंच कर वहां के लोगों को मदद मुहैया कराना चाहती है. संचित कहते हैं कि आने वाले वक्त में कंपनी दादा-पिता की संपत्ति बच्चों को ट्रांसफर करने के लिए वसीयत बनवाने की सेवा भी शुरू कर सकती है.
बिना पैसे लिए भी मदद कर रहा ये स्टार्टअप
लोगों के पैसे रिकवर कराने में यह स्टार्टअप उनसे एक प्रोफेशनल फीस तो चार्ज कर रहा है, लेकिन बहुत सारे लोगों की मुफ्त में मदद कर रहा है. संचित गर्ग बताते हैं कि जीएलसी वेल्थ के पास हर रोज सैकड़ों कॉल आती हैं, लेकिन उनमें बहुत सारे मामले ऐसे होते है, जिनमें जीएलसी वेल्थ की एक्सपर्टाइज की जरूरत नहीं होती. ऐसे लोगों को ये स्टार्टअप फोन पर ही मुफ्त सलाह मुहैया कराता है और कई बार कानूनी प्रक्रिया भी समझा देता है, जिससे लोग अपनी समस्या से खुद ही निपट लें और कोई फीस ना चुकानी हो.