Chandrayaan3: जानिए कौन हैं आकाश सिन्हा, जिनके सॉफ्टवेयर की बदौलत चांद पर घूम पा रहा है Pragyan Rover
चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर में मैपिंग के लिए जिस सॉफ्टवेयर (Software) का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसे नोएडा के ही एक स्टार्टअप Omnipresent Robot Technologies ने बनाया है. चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 में भी इस Startup की तरफ से बनाए गए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था.
कई सालों की कोशिशों के बाद आखिरकार चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चांद पर पहुंच चुका है. लैंडर विक्रम (Lander Vikram) ने चांद पर लैंडिंग कर ली है और अब प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) ने चांद की सतह की तस्वीरें लेनी शुरू कर दी हैं. इन तस्वीरों को एक साथ जोड़कर मैपिंग (Mapping) की जाएगी, जिससे पता चलेगा कि रोवर को आगे का रास्ता कैसे तय करना है. इस मैपिंग के लिए जिस सॉफ्टवेयर (Software) का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसे नोएडा के ही एक स्टार्टअप Omnipresent Robot Technologies ने बनाया है. यह स्टार्टअप सालों से ISRO के साथ मिलकर काम कर रहा है. चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 में भी इस Startup की तरफ से बनाए गए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था.
करीब 13 साल पहले हुआ शुरू, 2017 में आया अहम मोड़
Omnipresent Robot Technologies स्टार्टअप की शुरुआत 2010 में हुई थी, लेकिन उस वक्त कंपनी रोबोट सेगमेंट में थी. साल 2017 से कंपनी ने ड्रोन सेगमेंट में कदम रखा है और तेजी से ग्रो कर रही है. इसकी शुरुआत आकाश सिन्हा ने अपनी पत्नी ज्योति सिन्हा के साथ मिलकर की थी. आकाश ने रोबोटिक्स में मास्टर्स किया है और अभी शिव नादर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी हैं.
स्टार्टअप के लिए छोड़ दी 1 करोड़ के पैकेज वाली जॉब
इस स्टार्टअप को शुरू करने से पहले आकाश सिन्हा अमेरिका में एक स्टार्टअप 'आई रोबोट' में काम करते थे. वहां पर आकाश ने कई साल काम किया और फिर साल 2010 के करीब देखा कि भारत में भी रोबोटिक्स में काफी डिमांड है, लेकिन सॉल्यूशन देने वाला कोई नहीं है. ऐसे में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और भारत आ गए. यहां उन्होंने पत्नी के साथ मिलकर रोबोटिक्स स्टार्टअप शुरू कर दिया. जब आकाश ने आईरोबोट से नौकरी छोड़ी थी, उस वक्त उनका पैकेज 1 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का था.
हर साल 100 गुना ग्रो कर रहा है ये स्टार्टअप
इस स्टार्टअप को शुरू करने के लिए आकाश ने अपनी करीब 30 लाख रुपये की सेविंग इसमें लगा दी थी. इसके अलावा दोस्तों से भी कुछ पैसे जुटाए थे. 2010 में यह स्टार्टअप शुरू करने के लिए आकाश सिन्हा को करीब 1 करोड़ रुपये का निवेश करना पड़ा. कंपनी के टर्नओवर पर तो आकाश ने कुछ कमेंट नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि अभी उनका स्टार्टअप काफी अच्छा परफॉर्म कर रहा है. स्टार्टअप का रेवेन्यू भी बढ़ रहा है और मुनाफा भी बढ़ रहा है. पिछले 3-4 सालों में स्टार्टअप ने शानदार ग्रोथ दर्ज की है. वहीं पिछले 2 सालों से तो कंपनी की ग्रोथ साल दर साल 100 गुना बढ़ रही है.
चंद्रयान को सफल बनाने में अहम योगदान
Omnipresent Robot Technologies का चंद्रयान मिशन को सफल बनाने में अहम योगदान है. इस स्टार्टअप का पहले कस्टमर ही इसरो था और पहला काम चंद्रयान-1 के लिए सॉफ्टवेयर डिजाइन करना था. इसके बाद चंद्रयान-2 के लिए भी इस स्टार्टअप ने सॉफ्टवेयर डिजाइन किया था. अब चंद्रयान-3 के रोवर में भी इसी स्टार्टअप का सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया गया है. उन्होंने बताया कि वह शुरू से ही इसरो के साथ काम कर रहे हैं और आने वाले दिनों में भी इसरो के साथ काम जारी रहेगा. इसरो के अलावा डीआरडीओ के साथ मिलकर भी यह स्टार्टअप काफी काम कर रहा है. आकाश के अनुसार स्पेस से जुड़े जो भी काम हैं, वह उनमें सरकार के साथ मिलकर काम करते रहेंगे.
रोवर की आंखों को रोशनी दे रहा इसका सॉफ्टवेयर
चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर में लगे दो कैमरों यानी रोवर की आंखों को ताकत देने का काम जिस सॉफ्टवेयर के जरिए हो रहा है, वह आकाश सिन्हा के स्टार्टअप ने बनाया है. आकाश सिन्हा ने इस सॉफ्टवेयर के बारे में डिटेल में बताया. उन्होंने कहा कि चांद की सतह पर प्रज्ञान रोवर एक ड्राइवरलेस कार जैसा है. उस पर लगे दो कैमरे उसकी आंखों का काम कर रहे हैं, जिनकी मदद से वह चांद की सतह की तस्वीरें ले रहा है. उन तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए Omnipresent Robot Technologies का सॉफ्टवेयर एक 3डी मैप बनाएगा.
आकाश के अनुसार इस सॉफ्टवेयर के दो हिस्से हैं. पहला है मैपिंग और दूसरा है पाथ प्लानिंग. मैपिंग के बाद यह सॉफ्टवेयर एक रास्ता बनाएगा और बताएगा कि कैसे जाना है. 3डी मैपिंग से रोवर को ये पता चलेगा कि चांद पर कहां पत्थर है, कितना बड़ा है, कहां रास्ता समतल है, कहां पर गड्ढा है और कितना गहरा है. इन सब जानकारियों को जुटाने के बाद रोवर एक डेस्टिनेशन तक करेगा, जहां तक पहुंचने के लिए यह सॉफ्टवेयर एक रास्ता तैयार करेगा. आकाश बताते हैं कि रोवर में जो कुछ हो रहा है वह सब ऑटोमेटिक है और एआई की मदद से हो रहा है. रोवर को बेहतर बनाने के लिए उनके स्टार्टअप ने इसरो की लैब में एक चांद जैसी सतह बनाई और उस पर रोवर को चलाकर प्रैक्टिस की.
क्या करता है ये स्टार्टअप?
चंद्रयान के लिए सॉफ्टवेयर डिजाइन करना या डीआरडीओ के लिए कोई स्पेशल काम पूरा करना तो इस स्टार्टअप के काम का एक छोटा सा हिस्सा है. इस स्टार्टअप का मुख्य काम ड्रोन से जुड़ा है. तमाम राज्यों की सरकारों और केंद्र सरकार के साथ मिलकर यह स्टार्टअप काफी ज्यादा काम करता है. पीएम मोदी की तरफ से शुरू की गई स्वामित्व स्कीम के तहत भी इस स्टार्टअप ने काम किया है. पीएलआई स्कीम के तहत भी इस स्टार्टअप को सरकारी मदद मिली है. इस स्टार्टअप ने एक बड़ा रेकॉर्ड भी बनाया है, जिसके तहत सबसे लंबी करीब 50 किलोमीटर लंबी ड्रोन फ्लाइट का वीडियो रिकॉर्ड किया है. एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसकी सराहना करते हुए ट्वीट भी किया था. यह स्टार्टअप एग्रीकल्चर और डिफेंस सेक्टर में भी ड्रोन सप्लाई करता है.
यह स्टार्टअप एयरोस्पेस इंडस्ट्री में आता है, जिसमें स्पेस और ड्रोन दोनों आ जाते हैं. यह मुख्य रूप से ड्रोन के जरिए मैपिंग की सर्विस देता है, जो भारत के करीब 10 हजार गांवों की मैपिंग कर चुका है. आकाश बताते हैं कि सरकार पूरे देश में जमीन के रिकॉर्ड बना रही है. इसके लिए जमीन की 1 सेंटीमीटर के रिजॉल्यूशन तक की मैपिंग ड्रोन के जरिए हो रही है. मौजूदा वक्त में जमीन का सही रिकॉर्ड नहीं है, जिसके चलते लैंड एक्विजिशन में बहुत ज्यादा परेशानी होती है और उसी की वजह से तमाम कामों में देरी होती जाती है. ऐसे में यह स्टार्टअप जमीन की मैपिंग कर के सरकार के लिए काम कर रहा है. आकाश बताते हैं कि अगले साल भी उनका स्टार्टअप करीब 20-25 हजार गांवों की मैपिंग करेगा. अभी देश भर की जमीन की मैपिंग के मामले में बहुत सारा काम बाकी है.
क्या है इस स्टार्टअप का बिजनेस मॉडल?
यह स्टार्टअप ड्रोन बेचकर और उससे जुड़ी सेवाएं देकर मुख्य रूप से पैसे कमाता है. वहीं इसरो और डीआरडीओ से कुछ स्पेशल डिमांड भी आती हैं, जिनसे कुछ अतिरिक्त कमाई भी करता है. कुछ समय पहले ही इस स्टार्टअप ने मणिपुर सरकार को 60 ड्रोन सप्लाई किए हैं. आकाश बताते हैं कि उनका ज्यादातर काम सरकार के साथ ही होता है. कंपनी के रेवेन्यू का 80 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सा सरकार की तरफ से ही आता है. वहीं उनके कुछ प्राइवेट क्लाइंट भी हैं, जैसे अंबानी, अडानी, ऑयल एंड गैस कंपनियां. यह स्टार्टअप ऑयल एंड गैस कंपनियों को ड्रोन के जरिए सर्विलांस की सुविधा मुहैया कराता है. आकाश बताते हैं कि उनका पहला ग्राहक इसरो था, जिसके लिए उन्होंने चंद्रयान-1 पर काम किया था. वहीं निजी क्षेत्र का पहला ग्राहक रिलायंस था, जो काफी मुश्किल से मिला था.
कितनी फंडिंग जुटा चुका है स्टार्टअप?
जब भी बात स्टार्टअप की आती है तो ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि कंपनी ने फंडिंग ली है या नहीं. पिछले साल यानी 2022 में ही इस स्टार्टअप ने जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत से एक बड़ा निवेश जुटाया है. यह फंडिंग निकिल कामत के Gruhas ProptecH के जरिए हुई है. हालांकि, अभी इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि कंपनी ने कितनी फंडिंग उठाई है. आकाश बताते हैं कि इससे पहले तक कंपनी बूटस्ट्रैप्ड थी, लेकिन अब वह फंडिंग का रुख कर चुके हैं. जल्द ही वह एक और फंडिंग राउंड उठाने वाले हैं. इतना ही नहीं, आकाश का कहना है अगले 6-12 महीनों में वह इस स्टार्टअप का आईपीओ भी ला सकते हैं.
भविष्य की क्या है प्लानिंग?
आकाश बताते हैं कि वह ड्रोन और स्पेस की दुनिया में अपने स्टार्टअप को नंबर-1 बनाना चाहते हैं. वह चाहते हैं कि जब भी ड्रोन और रोबोट का जिक्र हो तो Omnipresent Robot Technologies के नाम सबसे ऊपर आए. अभी यह स्टार्टअप पूरे देश में अपनी सेवाएं दे रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में इसकी प्लानिंग अमेरिका और यूरोप में भी कदम रखने की है, जिस पर अभी काम चल रहा है.