किसी भी स्टार्टअप (Startup) के शुरुआती दौर में उसे आसानी से पैसे उपलब्ध हो पाना बहुत ही अहम होता है. किसी एंजल निवेशक (Angle Investor) या वेंचर कैपिटल फर्म (Venture Capital Firm) से फंड तब जाकर मिलता है, जब प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (Proof Of Concept) तैयार होता है. इसी तरह बैंक भी सिर्फ असेट के हिसाब से ही लोन (Bank Loan) देते हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि स्टार्टअप्स को उसके इनोवेटिव आइडिया वाले प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट के ट्रायल के लिए सीड फंडिंग (Seed Funding) मिल सके. इसी के लिए Startup India Seed Fund Scheme की शुरुआत की गई थी.

पीएम मोदी ने की थी शुरुआत

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ऐसे में स्टार्टअप्स की मदद के लिए पीएम मोदी ने 16 जनवरी 2021 को Startup India International Summit में इस स्कीम की घोषणा की थी. स्टार्टअप्स की मदद के लिए DPIIT ने करीब 945 करोड़ रुपये कॉर्पस बनाया था. इससे करीब 3600 आंत्रप्रेन्योर्स को 4 सालों में 300 इनक्युबेटर्स के जरिए मदद मुहैया करानी है. इसे लागू करवाने के लिए सरकार ने एक एक्सपर्ट एडवाइजरी कमेटी भी बनाई है.

क्या मकसद है इस स्कीम का?

Startup India Seed Fund Scheme का मकसद स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता देना होता है, ताकि वह अपने प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट तैयार कर सके. साथ ही इससे प्रोटोटाइप बनाने, प्रोडक्ट का ट्रायल करने, मार्केट में एंट्री लेने और प्रोडक्ट या सर्विस को कमर्शियलाइज करने में मदद मिलती है. इसकी मदद से एक स्टार्टअप को उस लेवल तक पहुंचने में मदद मिलती है, जहां पहुंचकर उसे एंजल निवेशकों और वेंचर कैपिटल फर्म से आसानी से फंडिंग मिल सके या किसी भी बैंक से लोन लेने में दिक्कत ना हो.

सरकार से कैसे स्टार्टअप तक पहुंचता है पैसा?

सबसे पहले तो DPIIT की तरफ से सीड फंड की रकम अप्रूव होती है और उसे एक्सपर्ट एडवाइजरी कमेटी के पास भेजा जाता है. वहीं से यह फंड इनक्युबेटर्स के पास जाता है, जो कम से कम 2-3 साल से चल रहे हों. फिर इन इक्युबेटर्स के जरिए पैसे DPIIT रिकॉग्नाइज्ड स्टार्टअप्स को दिया जाता है, जो 2 साल से ज्यादा पुराना ना हों.

https://www.startupindia.gov.in/content/sih/en/startupgov/startup_recognition_page.html पर क्लिक कर सकते हैं. 

  • स्टार्टअप के पास एक प्रोडक्ट या सर्विस डेवलप करने के लिए एक बिजनेस आइडिया होना जरूरी है. यह आइडिया ऐसा होना चाहिए जो मार्केट फिट हो सके, जिसे कमर्शियलाइज किया जा सके और जिसमें बड़ा बनने की क्षमता हो.
  • स्टार्टअप के लिए यह जरूरी है कि वह अपने प्रोडक्ट या सर्विस या बिजनेस मॉडल या डिस्ट्रिब्यूशन मॉडल या फिर मेथॉडोलॉजी में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए प्रॉब्लम को सॉल्व कर रहा हो.
  • सोशल इंपैक्ट, वेस्ट मैनेजमेंट, वॉटर मैनेजमेंट, फाइनेंशियल इनक्लूजन, एजुकेशन, एग्रीकल्चर, फूड प्रोसेसिंग, बायोटेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर, एनर्जी, मोबिलिटी, डिफेंस, स्पेस, रेलवे, ऑयल एंड गैस, टेक्सटाइल जैसे सेक्टर्स में काम करने वाले स्टार्टअप्स को वरीयता दी जाएगी.
  • स्टार्टअप को केंद्र या राज्य सरकार की किसी भी स्कीम के तहत 10 लाख रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता नहीं मिली होनी चाहिए. हालांकि, इसमें उन पैसों को नहीं गिना जाएगा जो स्टार्टअप को किसी कॉम्पटीशन और ग्रैंड चैलेंज को जीतने से मिले हों. साथ ही इसमें सब्सिडाइज्ड वर्किंग स्पेस, फाउंडर्स का मंथली अलाउंस, लैब्स का एक्सेस और प्रोटोटाइपिंग फैसिलिटी के एक्सेस को नहीं गिना जाएगा.
  • स्टार्टअप में भारतीय प्रमोटर्स की शेयर होल्डिंग कम से कम 51 फीसदी होनी चाहिए. 
  • स्कीम की गाइडलाइन्स के तहत एक स्टार्टअप को ग्रांट और डेट या कन्वर्टिबल डिबेंचर्स में एक-एक बार सीड फंडिंग का सपोर्ट मिल सकता है.