डेढ़ लाख रुपये सैलरी के बावजूद ना कार-बाइक है ना आईफोन, जानिए इतने पैसे कहां खर्च करता है ये शख्स
मिडिल क्लास फैमिली वाले लोग लग्जरी चीजों के बारे में सोच भी नहीं पाते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है मिडिल क्लास फैमिली मैन सुश्रुत मिश्रा की, जो VC Media के फाउंडर हैं. उनके पास ना बाइक या कार है ना ही एप्पल का कोई प्रोडक्ट.
भारत में एक मिडिल क्लास फैमिली की कहानी हर जगह एक सी ही होती है. पैसा कितना भी कमा लो, खर्चे ही पूरे नहीं होते. खर्चे पूरे हो जाते हैं तो फ्यूचर की चिंता सताने लगती है. यही वजह है कि मिडिल क्लास फैमिली वाले लोग लग्जरी चीजों के बारे में सोच भी नहीं पाते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है मिडिल क्लास फैमिली मैन सुश्रुत मिश्रा की, जो VC Media के फाउंडर हैं. कॉन्टेंट बनाने और मार्केटिंग एजेंसी की सेवा देने वाले इस स्टार्टअप में उनका साथ दे रहे हैं कंपनी के को-फाउंडर रोशन कुमार शर्मा.
23 साल के सुश्रुत मिश्रा ने हाल ही में एक ट्वीट किया है और लिखा है कि इस वक्त उनकी सैलरी 1.5 लाख रुपये प्रति महीना है, लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों के चलते उन्होंने कोई शौक नहीं पाला है. उनके पास ना कार है, ना बाइक है, ना ही हर बिजनेसमैन के हाथ में दिखने वाला आईफोन है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि उनके ऊपर कई जिम्मेदारियां हैं. उनके माता-पिता रिटायर हो चुके हैं, सुश्रुत खुद ही सारे बिल का भुगतान करते हैं और वह अपने परिवार के भविष्य की प्लानिंग कर रहे हैं. अपने ट्वीट में सुश्रुत ने कहा है कि वह इस लाइफस्टाइल को ग्लैमराइज करना चाहते हैं.
सुश्रुत मिश्रा के इस ट्वीट पर लोग तेजी से जवाब दे रहे हैं. इनमें ना सिर्फ दूसरे ट्विटर यूजर्स हैं, बल्कि तमाम दूसरे स्टार्टअप के फाउंडर्स भी हैं. कुछ लोग तो सुश्रुत का मजाक बना रहे हैं, लेकिन अधिकतर लोग इसे एक प्रेरणादायक स्टोरी की तरह देख रहे हैं और तेजी से शेयर कर रहे हैं. कुछ ने तो अपना खुद का अनुभव भी सुश्रुत के साथ साझा किया है, जब वह लोग 23 साल की उम्र के थे. एक यूजर ने लिखा है कि 'यह पूरे देश की कहानी है. 23 साल की उम्र में (2011) मेरी सैलरी 35 हजार रुपये थी, मैंने भी यही किया था.'
एक अन्य यूजर ने कहा है कि मेरे ऊपर भी ये सारी जिम्मेदारियां हैं, लेकिन ये समझ नहीं आ रहा कि आपको बाइक लेने या आईफोन खरीदने से कौन रोक रहा है. इस पर सुश्रुत मिश्रा ने जवाब दिया है कि परिवार के खर्चे, बहन की शिक्षा और उसके खर्चे, भविष्य के लिए निवेश, मां की दवाओं के खर्चे, घर खरीदने के लिए बचत (अभी गांव में ही रहते हैं) समेत कुछ और भी खर्चे हैं, जिनके चलते वह ये सब नहीं खरीद पा रहे.
एक यूजर ने तो कहा है कि मैं आपकी जिम्मेदारियों को समझता हूं, लेकिन कार या एप्पल प्रोडक्ट ना खरीद पाने की बात कहना विरोधाभासी लगती है. जहां एक ओर आपने ट्विटर का ब्लू टिक चुना है, जिसके लिए आपको पैसों का भुगतान करना पड़ रहा है, जो देखा जाए तो जरूरी है भी नहीं.
एक यूजर ने कहा है कि बाइक या स्कूटर कहीं आने-जाने के लिए अलग-अलग कीमत पर खरीदे जा सकते हैं. हो सकता है कि आप इन्हें नहीं खरीदना चाहते हैं, लेकिन ऐसा ना करने को ग्लैमराइज करने का कोई मतलब नहीं बनता है.
दूसरे यूजर ने भी सुश्रुत की आलोचना की है और कहा है कि 18 साल की उम्र में उसकी सैलरी महज 10 हजार रुपये थी और वह भी ये सब कर रहा था, लेकिन वह इसे ग्लैमराइज नहीं करना चाहता है.