Shark Tank India-4: लूपस हुआ.. दिखने लगे एलियन जैसे.. कैंसर हुआ.. फिर बनाया ऐसा Startup जो दूसरों को बचाएगा!
शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India Season 4) में एक ऐसा स्टार्टअप (Startup) आया, जिसने इसी तनाव को कम करने का डिवाइस बनाया है. यह दिल्ला का स्टार्टअप है, जिसकी शुरुआत डॉक्टर सिद्धांत, शालमली काडु और मितांश खुराना ने की है.
आज के वक्त में मेंटल स्ट्रेस (Mental Stress) एक ग्लोबल क्राइसिस बन चुका है. लोग थकान, तनाव और नींद से परेशान हैं. यहां तक कि खराब नींद के मामले में भारत आज दूसरे नंबर पर पहुंच गया है. शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India Season 4) में एक ऐसा स्टार्टअप (Startup) आया, जिसने इसी तनाव को कम करने का डिवाइस बनाया है. यह दिल्ला का स्टार्टअप है, जिसकी शुरुआत डॉक्टर सिद्धांत, शालमली काडु और मितांश खुराना ने की है.
इस स्टार्टअप ने तनाव से लड़ने की क्षमता बढ़ाने वाला डिवाइस बनाया है. यह डिवाइस कान के पीछे लगता है. इसके बाद आप ऐप पर प्ले कर सकते हैं. यह डिवाइस जेंटल इलेक्ट्रिकल स्टीमुलेशन के जरिए आपकी वेगा नर्व पर काम करता है, जिससे आपको आराम महसूस होता है. इससे लोग रिलैक्स महसूस करने लगते हैं. यह डिवाइस साइकाइट्रिस्ट, साइकोलॉजिस्ट और न्यूरोलॉजिस्ट से टेस्ट किया हुआ है. अभी यह डिवाइस लॉन्च होने के लिए रेडी है.
लूपस की वजह से दिखने लगे एलियन जैसे
डॉक्टर सिद्धांत ने एमबीबीएस के बाद फूड दर्जी नाम का एक स्टार्टअप शुरू किया. उनके पिता और दादा दोनों ही डॉक्टर हैं, लेकिन दुर्भाग्य से वह खुद डॉक्टर नहीं बन सके. ऐसा इस वजह से हुआ, क्योंकि 20 साल की उम्र में ही उन्हें लूपस हो गया था. इसकी वजह से उनके सारे बाल झड़ गए और धीरे-धीरे वह एलियन जैसे दिखने लगे. बच्चे उन्हें देखकर अपने मां-बाप से ये नहीं पूछते थे कि वह कौन है, बल्कि ये पूछते थे कि ये क्या है?
लड़ रहे हैं स्टेज 2 थायरॉयड कैंसर से
इन सब से सिद्धांत को बहुत दुख होता था. लूपस की वजह से उन्हें भारी डोज वाली दवाएं लेनी पड़ीं. उनकी बॉडी ये भूल गई कि क्या सेल्फ है और क्या इम्यून, क्योंकि इम्यून सिस्टम बहुत खराब हो गया. कहीं भी बैठते तो डर लगता कि उन्हें ही सामने वाली की बीमारी ना लग जाए, क्योंकि इन्युनिटी बहुत कमजोर हो गई थी. उन्हें आज भी बीमारी से लड़ने के लिए स्टेरॉयड लेना पड़ता है. इसके बाद वह धीरे-धीरे सेलेब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट बन गए. करीब 4 साल बाद 26 साल की उम्र में पता चला कि उन्हें स्टेज 2 थायरॉयड कैंसर है. अभी भी वह इससे लड़ रहे हैं.
'आप पर तो भगवान का हाथ है'
कुणाल बहल ने जब सिद्धांत की कहानी सुनी तो वह बोले- 'मैं जब भी किसी फाउंडर से मिलता हूं तो पहले 10 मिनट ये पता करने की कोशिश करता हूं कि किसकी सुपर पावर क्या है? मुझे लगता है आपको फंडिंग चाहिए ही नहीं, आप पर तो भगवान का हाथ है. मुझे पूरा भरोसा है कि भगवान का आपके लिए कुछ प्लान है.'
यूं मिले तीनों को-फाउंडर
सिद्धांत की मुलाकात शालमली से एक इवेंट के दौरान हुई, जहां पर वह गेस्ट स्पीकर बनकर गए थे. शालमली ने इंजीनियरिंग की हुई है. शालमली बताती हैं कि करीब साल भर पहले उनकी तबियत खराब हुई और पता चला कि उन्हें टाइप-1 डायबिटीज है, जिसके चलते उन्हें आज भी इंसुलिन लेनी पड़ती है. यह सब तनाव से जुड़ा हुआ है. तनाव की वजह से कोवड के दौरान उन्होंने किसी अपने को भी खो दिया. शालमली की मुलाकात मितांश से एक दूसरे कॉम्पटीशन के दौरान हुई, जो एक हैकेथॉन था. बता दें कि मितांश खुराना मैथमेटिक्स और कम्प्यूटिंग में गोल्ड मेडलिस्ट हैं.
रोज 10 मिनट के लिए 2-4 बार इस्तेमाल
मौजूदा वक्त में इस डिवाइस को हर रोज 10 मिनट के लिए 2-4 बार इस्तेमाल करना होता है. 1 हफ्ते इस्तेमाल करने के बाद लोग अच्छा महसूस करने लगते हैं. यह पूरी तरह सुरक्षित है, जिसकी प्री-क्निकल स्टडी 110 लोगों पर हो चुकी है. इस पर करीब 12 महीनों तक स्टडी की गई है. यह डिवाइस जिस वेगा नर्व पर काम करता है, उस पर पिछले 30 सालों से डॉक्टर्स एक्सपेरिमेंट करते रहे हैं.
5000 रुपये में मिलेगा डिवाइस
इस डिवाइस की कीमत अभी 5000 रुपये रखने का फैसला किया गया है. इसमें एक डिवाइस है, उसका चार्जर है और डिवाइस को चिपकाने वाले 12 पैच हैं. वहीं अगर आपको उसके बाद भी पैच की जरूरत होगी, तो आप 8 पैच का सेट 500 रुपये में ले सकते हैं. फाउंडर्स ने बताया कि अभी इस डिवाइस को बनाने में उन्हें 1200 रुपये की लागत आती है. फाउंडर्स इसे डी2सी ब्रांड बनाना चाहते हैं, लेकिन शुरुआती 6-8 महीनों में इसे बी2बी के जरिए फेमस किया जाएगा. इसके लिए वह बिजनेस को अप्रोच करेंगे और उनके मेंटल हेल्थ पार्टनर बनेंगे. उसके बाद लोगों को प्रति सेशन 5-10 रुपये की मामूली कीमत पर लोगों को इस डिवाइस के फायदे समझाए जाएंगे, जिससे डिमांड पैदा होगी.
कई सेलेब्रिटी भी लगा रहे पैसे
फाउंडर्स ने अपने स्टार्टअप के लिए 1.5 फीसदी इक्विटी के बदले 54 लाख रुपये की फंडिंग मांगी. इस स्टार्टअप में तीनों ही फाउंडर्स की 33-33 फीसदी हिस्सेदारी है, यानी बराबर की हिस्सेदारी है. इससे पहले ये स्टार्टअप 2 करोड़ रुपये जुटा चुका है, जिसमें 1.1 करोड़ रुपये की फंडिंग उठाई है, जबकि 90 लाख रुपये का ग्रांट मिला है. फाउंडर्स ने बताया कि अभी 4 करोड़ रुपये का राउंड चल रहा है, जिसमें अर्जुन वैद्य, आलिया भट्ट और फिनफ्लुएंसर शरन हेगड़े भी पैसे लगा रहे हैं.
अमन, रितेश और अजहर ने दी फंडिंग
शार्क टैंक में रितेश अग्रवाल और अजहर इकबाल ने इस स्टार्टअप को 1.5 फीसदी के बदले 54 लाख रुपये देने का ऑफर दिया, जो इस स्टार्टअप ने मांगे थे. वहीं कुणाल और विनीता इस डील से बाहर हो गए. अमन ने 2.5 फीसदी के बदले 54 लाख रुपये देने का ऑफर दिया. बाद में तीनों जजों ने मिलकर 3 फीसदी के बदले 75 लाख रुपये की फंडिंग देने की पेशकश की. हालांकि, काफी मोलभाव के बाद अमन, रितेश और अजहर ने 4.2 फीसदी इक्विटी के बदले 1 करोड़ रुपये में डील फाइनल कर ली.