सफेद चादर से ढके पहाड़ किसे अच्छे नहीं लगते, लेकिन आज के वक्त में यह बर्फ की चादर पिघलती जा रही है. यह सब हो रहा है जलवायु परिवर्तन की वजह से, जिसके लिए जिम्मेदार है तेजी से बढ़ रहा प्रदूषण. शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India Season 4) में एक ऐसा स्टार्टअप (Startup) आया, जिसने इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए बिजनेस बनाया. फाउडर्स कहते हैं कि शहरों में जितनी कारें चलती हैं, उसमें से ज्यादा 5 किलोमीटर का फासला तय करती हैं, जो हमारी बाइक ही कर सकती हैं.

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इस स्टार्टअप का नाम है CURVE electric, जो बैटरी से चलने वाली प्रीमियम बाइक्स बनाता है और रेंट पर देता है. इसकी शुरुआत की है श्रीनगर के रहने वाले जुबैर अहमद भट्ट और शेख यामीन ने. दोनों ने इसकी शुरुआत 2023 में की. पिछले करीब 1.5 साल में इस स्टार्टअप ने 145 मीट्रिक टन कार्बन एमिशन बचाया है. आने वाले दिनों में यह स्टार्टअप अपनी सर्विस हिमालय के अन्य शहरों और 20 से भी ज्यादा यूनिवर्सिटी में देने की प्लानिंग कर रहा है.

कहां से आया ये आइडिया?

कंपनी के फाउंडर्स बचपन के दोस्त और पड़ोसी हैं. दोनों ने ही एमबीए किया हुआ है. 2022 के बाद जब लॉकडाउन हटा तो अचानक से ट्रैवल इंडस्ट्री तेजी से बढ़ने लग गई. तब फाउंडर्स ने देका कि एयर क्वालिटी तेजी से गिर रही है. एक दिन फाउंडर्स अपने 2 दोस्तों के साथ बैठकर एक दुकान पर चाय पी रहे थे. 

उन्होंने देखा कि अब आसमान नीला नहीं दिखता, जैसा बचपन में दिखा करता था. ना ही अब दूर से पहाड़ और घाटी दिखती है. यहां तक कि सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है. उसके बाद उन्होंने देखा कि एक्यूआई लेवल बहुत बढ़ गया है और उन्होंने सोचा कि कुछ करते हैं, जिसके बाद ये बिजनेस शुरू किया.

पहले भी जुटा चुके हैं 50 लाख रुपये

इस कंपनी में यामीन के पास 57 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि जुबैर के पास 33 पीसदी हिस्सेदारी है. दो इनक्युबेटर्स हैं, उनके पास 4 फीसदी है. वीसी और एंजेस के पास 6 फीसदी है. अक्टूबर 2024 में इस स्टार्टअप ने 8.5 करोड़ रुपये के वैल्युएशन पर 50 लाख रुपये की फंडिंग उठाई थी. 

कैसे काम करता है ये स्टार्टअप?

इस स्टार्टअप ने फ्रंटएंड मैनुअल रखा है और बैकएंड में टेक लगाया है. इसके तहत लोगों को कंपनी के डॉक स्टेशन पर जाना होता है. वहां पर मैनुअली आपका आईडी कार्ड देखा जाता है और उसकी फोटो ली जाती है. इसके अलावा आपके पास एक ओटीपी आता है, जो डालने के बाद बाइक आप ले जा सकते हैं. आपको इसके लिए ना तो पहले से कोई पैसा देना होगा, ना ही कोई सिक्योरिटी डिपॉजिट करनी होगी और ना ही कोई ऐप डाउनलोड करना होगा. फाउंडर्स ने कहा पीयूष हम जानते हैं आप टेक्नोलॉजी के फेवर में हैं, लेकिन हमारा मानना है कि जहां जरूरत नहीं वहां भी टेक्नोलॉजी क्यों घुसाना.

सभी बाइक में जीपीएस है, तो बाइक कहां पर हैं, ये कंपनी को हर वक्त पता रहता है. साथ ही सभी बाइक की जियोफेंसिंग है, जिसके चलते अगर कोई बाइक श्रीनगर से बाहर जाती है तो कंपनी को तुरंत पता चल जाता है. फाउंडर्स का कहना है कि आज तक किसी बाइक को कोई नुकसान नहीं हुआ है. 2 बाइक चोरी हुई थीं, लेकिन जीपीएस की बदौलत वह भी आसानी से रिकवर हो गईं.

150 बाइक और 55 हजार राइड

इस स्टार्टअप के श्रीनगर में कुल 11 स्टेशन हैं, जबकि गांडरबाल में 4 स्टेशन हैं. हर 5 किलोमीटर पर कंपनी का एक डॉकिंग स्टेशन है. श्रीनगर में एक चार्जिंग वेयरहाउस है, जहां कंट्रोल एनवायरमेंट में बैटरियां चार्ज होती हैं, जिससे बैटरी की लाइफ बढ़ती है. कंपनी के पास अभी तक 150 बाइक हैं, जिनके जरिए यह स्टार्टअप कुल 55 हजार राइड पूरी कर चुका है.

इस बाइक को बनाने से पहले फाउंडर्स ने काफी स्टडी की और इसकी इंजीनियरिंग में भी घुसे. ऐसा इसलिए क्योंकि पहाड़ी इलाके की जरूरत अलग है. दूसरी बाइक ऐसे इलाकों में चलेंगी तो उनकी मोटर जल सकती है. इस एक बाइक की कीमत 30 हजार रुपये है, जिसका पेबैक पीरियड करीब 4 साल है. आने वाले वक्त में यह पीरियड 2.5 साल तक हो जाएगा. एक बैटरी 5 साल तक चलती है और करीब 1500 बार काम कर सकती है.

इस स्टार्टअप से इलेक्ट्रिक बाइक रेंट करने पर आपको सिर्फ 1.5 रुपये प्रति मिनट के हिसाब से चुकाने होते हैं. साल 2023 में कंपनी के पास 50 साइकिल थीं, जिनसे कंपनी ने 4.5 लाख रुपये की सेल की. 2024 में कंपनी की सेल बढ़कर 21 लाख रुपये हो गई, जिसमें 1.5 लाख रुपये एबिटडा रहा. वहीं इस साल यानी 2025 में अक्टूबर तक कंपनी ने 29 लाख की सेल कर ली है और अभी तक 4.5 लाख रुपये एबिटडा है.

नहीं मिली कोई फंडिंग

इस स्टार्टअप के लिए फाउंडर्स ने 5 फीसदी इक्विटी के बदले 50 लाख रुपये मांगे, यानी बिजनेस का वैल्युएशन हो गया 10 करोड़ रुपये. हालांकि, जजों को यह बिजनेस काफी रिस्की लगा, मार्केट छोटी लगी और बिजनेस को स्केल करना मुश्किल लगा, जिसके चलते किसी भी जज ने फंडिंग नहीं दी.