Shark Tank India-3: एग्रीवेस्ट से 'कपड़े' बनाता है ये Startup, दुनिया में ऐसी सिर्फ 3 कंपनियां, मिली ऑल 5 शार्क डील
शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में एक ऐसा स्टार्टअप (Startup) आया, जो एग्रीकल्चर वेस्ट से कपड़े बनाता है. इस स्टार्टअप का नाम है Canvaloop Fibre, जिसकी शुरुआत सूरत के रहने वाले श्रेयांस कोकरा और नंदिनी कोकरा ने की है.
शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में एक ऐसा स्टार्टअप (Startup) आया, जो एग्रीकल्चर वेस्ट से कपड़े बनाता है. इस स्टार्टअप का नाम है Canvaloop Fibre, जिसकी शुरुआत सूरत के रहने वाले श्रेयांस कोकरा और नंदिनी कोकरा ने की है. स्टार्टअप फाउंडर्स ने कहा कि कॉटन के कपड़े तो हर कोई पहनना चाहता है, लेकिन क्या आपको ये पता है कि एक जोड़ी कॉटन का कपड़ा बनाने में करीब 9000 लीटर पानी लगता है. वहीं पॉलिएस्टर और नाइलोन से बने कपड़े कच्चे तेल से बनते हैं और प्लास्टिक की तरह ही यह भी बायोडीग्रेड नहीं होते हैं. हर बार जब हम इन्हें धोनते हैं तो इससे पानी में माइक्रोप्लास्टिक रिलीज होता है, जो समुद्रों में माइक्रोप्लास्टिक की सबसे बड़ी वजह है.
वहीं एग्रीकल्चर वेस्ट को जलाना भी हमारे देश में एक बड़ी समस्या है, जिसके चलते प्रदूषण होता है. ऐसे में एग्रीकल्चर वेस्ट को जलाने से बचाने और टेक्सटाइल से होने वाले प्रदूषण को रोकने का एक सॉल्यूशन है कैन्वालूप. यह एक बायोमटीरियल साइंस कंपनी है, जो हेम्प, केला, तिलहनों के तने और अनानास के पत्तों का इस्तेमाल करते हुए यार्न बनाती है. यह सब जीरो वेस्ट टेक्नोलॉजी के जरिए होता है.
दुनिया में ऐसी सिर्फ 3 कंपनियां
फाउंडर्स का दावा है कि दुनिया में ऐसी सिर्फ 3 ही कंपनियां हैं, जिनमें से एक है कैन्वालूप. एग्रीवेस्ट से यार्न बनाने में कॉटन और पॉलिएस्टर की तुलना में 99 फीसदी कम पानी का इस्तेमाल होता है. वहीं इसमें 87 फीसदी कम कार्बन उत्सर्जन होता है. साथ ही 82 फीसदी कम एनर्जी इस्तेमाल करते हैं. इस वक्त यह स्टार्टअप हर महीने 200 टन एग्रीकल्चर वेस्ट को 40 टन टेक्सटाइल ग्रेड फाइबर में बदलने का काम करता है.
कपड़े नहीं बनाता, यार्न बनाता है ये स्टार्टअप
स्टार्टअप का दावा है कि यह फैब्रिक नेचुरली एंटी-यूवी, एंटी-माइक्रोबियल, ब्रीदेबल और मौसम के अनुसार ढलने वाला होता है. इसका इस्तेमाल करते हुए कई ग्लोबल ब्रांड ने बहुत सारे कलेक्शन भी लॉन्च किए हैं, जिनमें डेनिम, शर्ट, साड़ी आदि शामिल हैं. बता दें कि यह स्टार्टअप खुद कपड़े नहीं बनाता, बल्कि यार्न बनाकर दूसरी कंपनियों को सप्लाई करता है, जिससे वह कंपनियां कपड़े बनाती हैं.
अमेरिका गए पढ़ने तो दिखी प्रॉब्लम
श्रेयांस ने फाइनेंस में पढ़ाई की है. जब वह मास्टर्स करने अमेरिका गए तो पता चला कि यह एक बड़ी समस्या है. श्रेयांस का परिवार पहले से ही टेक्सटाइल का बिजनेस करता है. श्रेयांस ने कॉलेज में ही एक प्रोजेक्ट की तरह इसे शुरू किया था, जो आज एक बड़े स्टार्टअप की शक्ल ले चुका है. जब फाउंडर्स ने जज को यार्न दिखाया तो उन्होंने इसकी काफी तारीफ की.
क्या है इस खास यार्न की कीमत?
अभी के वक्त में तमाम ब्रांड इसे लेकर एक प्रीमियम ले रहे हैं ग्राहकों से, क्योंकि वह इसकी अवेयरनेस के लिए मार्केटिंग कैंपेन भी चलाते हैं. हालांकि, अगर बात करें यार्न की कीमत की तो यह 350 रुपये प्रति किलो से शुरू होता है, जबकि कॉटन की कीमत 180-200 रुपये के करीब है. पाइनलूप 2500 रुपये किलो मिलता है, जो पाइन एप्पल की पत्तियों से बनता है. यह सिल्क के रिप्लेसमेंट जैसा है. बता दें कि सिल्क की कीमत करीब 5500 रुपये किलो होती है.
5 साल में 2000 करोड़ रुपये हो जाएगा टर्नओवर
इस स्टार्टअप ने 2022-23 में 3.2 करोड़ रुपये की सेल की थी. वहीं इस साल कंपनी का टारगेट है कि वह करीब 8 करोड़ रुपये की सेल करेगी. अभी कंपनी मुनाफे में है, जिसका एबिटडा 27 फीसदी है, जो अगले साल 31-32 फीसदी तक पहुंच जाएगा. कंपनी के पास अगले साल के लिए 18 करोड़ रुपये का बड़ा ऑर्डर पहले से ही है. फाउंडर्स का अनुमान है कि अगले 5 साल में कंपनी 2000 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक पहुंच जाएगी.
पहले ही कुछ राउंड की फंडिंग उठा चुकी है कंपनी
अगर बात करें फंडिंग की तो कंपनी ने पहला राउंड अगस्त 2021 में उठाया था, जो 1.5 करोड़ रुपये का प्री-सीड राउंड था. यह राउंड 10 करोड़ रुपये के प्री-मनी वैल्युएशन पर था. अगस्त 2023 में कंपनी ने एक ब्रिज राउंड भी उठाया था, जिसका इस्तेमाल तमाम तरह के सर्टिफिकेशन और लाइसेंसिंग के लिए किया गया. इसके तहत कंपनी ने 1.10 करोड़ रुपये उठाए थे, जो 25-30 करोड़ रुपये के वैल्युएशन पर उठाया था.
मिली ऑल 5 शार्क डील
अभी 60 फीसदी एग्रीवेस्ट आयात किया जाता है, जबकि 40 फीसदी एग्रीवेस्ट भारत के 9 क्लस्टर के एफपीओ से आता है. अगले 3 साल में 100 फीसदी एग्रीवेस्ट भारत से उठाया जाएगा, जिसके लिए धीरे-धीरे क्लस्टर बढ़ाने होंगे. इस स्टार्टअप ने 75 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर 1 करोड़ रुपये के बदले 1.33 फीसदी इक्विटी देने की पेशकश की थी. हालांकि, डील करने के दौरान एक वक्त ऐसा आया कि जब सभी शार्क 1.5 फीसदी इक्विटी के बदले 1 करोड़ रुपये देने पर राजी हो गए. बता दें कि अभी स्टार्टअप 75 करोड़ रुपये के वैल्युएशन पर करीब 10 करोड़ रुपये का फंडिंग राउंड उठा रहा है. हालांकि, अंत में सारे शार्क 4 फीसदी इक्विटी लेकर आए और 2 करोड़ रुपये मिलकर निवेश किया.