PhonePe के बाद अब Flipkart अपना domicile करेगा भारत में शिफ्ट, जानिए सिंगापुर की तरफ क्यों भागते हैं Startups
Written By: अनुज मौर्या
Wed, May 15, 2024 11:40 AM IST
ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट (Flipkart) अपना डोमिसाइल सिंगापुर (Singapore) से शिफ्ट कर के भारत लाने की प्लानिंग कर रही है. इससे पहले फोनपे (PhonePe) भी फ्लिपकार्ट ग्रुप से पूरी तरह अलग होते हुए 2022 में ही भारत में शिफ्ट हो चुका है. बता दें कि जब फोनपे भारत में शिफ्ट हुआ था, तो उसके निवेशकों को भारत सरकार को भारी टैक्स चुकाना पड़ा था और अब उम्मीद की जा रही है कि फ्लिपकार्ट को भी तगड़ा टैक्स चुकाना होगा. दरअसल, बहुत सारे स्टार्टअप (Startup) अपना डोमिसाइल (Domicile) या यूं कहें कि रजिस्ट्रेशन सिंगापुर में कराते ही इसलिए हैं, ताकि उन्हें टैक्स (Tax) का फायदा मिल सके. ऐसे में एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर तमाम कंपनियां या स्टार्टअप सिंगापुर की तरफ क्यों भागते हैं?
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सिंगापुर की तरफ क्यों भागते हैं स्टार्टअप?
भारत में स्टार्टअप (Startup) कल्चर तो तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन स्टार्टअप को भारत में कई मामलों में परेशानी भी होती है. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) को लेकर स्टार्टअप सबसे ज्यादा संघर्ष करते हैं. वैसे तो सरकार ने पहले की तुलना में बिजनेस करना बहुत आसान बना दिया है, लेकिन अभी भी तमाम बिजनेस को कई दिक्कतें होती हैं. ऐसे में स्टार्टअप्स को सिंगापुर अपना बिजनेस रजिस्टर कराने के लिए एक अच्छी जगह लगती है, क्योंकि वहां पर कम टैक्स से लेकर बिजनेस में आसानी तक कई सुविधाएं मिलती हैं. आइए जानते हैं ऐसी 4 वजहें, जिनके चलते तमाम स्टार्टअप सिंगापुर की तरफ भागते हैं.
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1- ईज ऑफ डूईंग बिजनेस
तमाम स्टार्टअप्स के सिंगापुर भागने की सबसे बड़ी वजह है 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस'. सिंगापुर में स्टार्टअप्स के लिए बिजनेस से जुड़े तमाम काम करना बहुत ही आसान होता है. सिंगापुर में ना सिर्फ बिजनेस शुरू करना आसान है, बल्कि उसे बंद करना भी आसान है, जबकि भारत में यह एक मुश्किल काम है. सिंगापुर में बाहर से जो पैसा आता है, वह प्रोसेस भी जल्दी होता है, जबकि भारत में इस प्रक्रिया में लंबा वक्त लगता है. वहां पर मर्जर और एक्विजिशन के लिए भी अच्छा माहौल है. बता दें कि ईज ऑफ डूइंग बिजनस की 2020 की रैंकिंग में सिंगापुर दूसरे नंबर पर था, जबकि 190 देशों की लिस्ट में भारत 63वें नंबर पर था.
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2- प्रोटेक्शन का कानून करता है मदद
जो भी स्टार्टअप अपनी कंपनी सिंगापुर में रजिस्टर करते हैं, उन्हें सिंगापुर की तरफ से कंप्रेहेंसिव इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन दी जाती है. इससे स्टार्टअप को फायदा होता है. ये भी एक वजह है कि दुनिया की बहुत सारी कंपनियां सिंगापुर में अपना मुख्यालय बनाती हैं और फिर पूरी दुनिया में बिजनेस करती हैं.
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3- डबल टैक्सेशन का झमेला नहीं
बात भले ही किसी शख्स की हो या फिर कंपनी की, हर किसी को ये बात बहुत बुरी लगती है कि उसे भारी-भरकम टैक्स चुकाना पड़ता है. अब सोचिए अगर किसी को एक ही इनकम पर दो बार टैक्स देना पड़े तो कैसा लगेगा? तमाम कंपनियां अपने नेट प्रॉफिट से डिविडेंड देती हैं. यहां दिलचस्प बात ये है कि नेट प्रॉफिट टैक्स चुकाने के बाद ही निकलता है. वहीं डिविडेंड पर शेयर धारकों को फिर से टैक्स चुकाना पड़ता है. यानी एक ही इनकम पर दो बार टैक्स वसूला जाता है. सिंगापुर में डबल टैक्सेशन नहीं होता है, जिससे कंपनियों को फायदा होता है.
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