कुछ समय पहले ही भारत सरकार की तरफ से एंजेल टैक्स (Angel Tax) को लेकर नए नियम (New Angel Tax Regime) अधिसूचित किए गए थे. उसके बाद से ही पूरे स्टार्टअप (Startup) ईकोसिस्टम में कई तरह के कनफ्यूजन पैदा हो गए थे. अब प्रत्यक्ष कर केंद्रीय बोर्ड (CBDT) ने तमाम कनफ्यूजन दूर करते हुए टैक्स अधिकारियों के लिए एंजेल टैक्स से जुड़े कुछ अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसके बाद आब टैक्स (Tax) अधिकारी नए एंजल टैक्स नियमों के तहत उन स्टार्टअप की तरफ से जुटाए फंड की स्क्रूटनी नहीं कर सकेंगे, जो DPIIT रिकॉग्नाइज्ड हैं. बता दें कि स्टार्टअप इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक 99,380 स्टार्टऐप ऐसे हैं, जो DPIIT रिकॉग्नाइज्ड हैं.

क्या होता है एंजेल टैक्स?

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Angel Tax को साल 2012 में लागू किया गया था. यह उन अनलिस्टेड बिजनेस पर लागू होता है, जो एंजेल निवेशकों से फंडिंग हासिल करते हैं. जब किसी स्टार्टअप को किसी एंजेल निवेशक से फंड हासिल होता है, तो उसे इस पर टैक्स चुकाना पड़ता है. आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56 (2) (vii) (b) के तहत स्टार्टअप को Angel Tax चुकाना पड़ता है. असली दिक्कत तो तब होती है जब किसी स्टार्टअप को मिलने वाला इन्वेस्टमेंट उसकी Fair Market Value (FMV) से भी अधिक हो जाता है. ऐसी हालत में स्टार्टअप को 30.9 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है.

हाल ही में नोटिफाई हुए थे एंजेल टैक्स के नए नियम

सीबीडीटी ने इसी साल मई में गैर-सूचीबद्ध और गैर-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप इकाइयों में वित्तपोषण के मूल्यांकन पर नियमों का मसौदा जारी किया था. सीबीडीटी ने यह मसौदा इनकम टैक्स लगाने के मकसद से जारी किए थे. इसे ‘एंजेल टैक्स’ कहा जाता है. इस पर सभी से टिप्पणियां मांगी गई थीं. करीब 3 हफ्ते पहले ही Income Tax विभाग ने Startup में निवेश के मूल्यांकन के लिए ‘Angel Tax’ के नियम नोटिफाई किए थे, जिन्हें 2023-24 के बजट में संशोधित किया गया था.

आयकर विभाग ने स्टार्टअप (Startup) कंपनियों की तरफ से रेसिडेंट और नॉन-रेसिडेंट निवेशकों को जारी इक्विटी और अनिवार्य रूप से कन्वर्टिबल प्रिफरेबल शेयर (CCPS) के मूल्यांकन के लिए नियमों को अधिसूचित किया था. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर अधिनियम के नियम 11UA में बदलाव के तहत यह प्रावधान किया है कि अनिवार्य रूप से कन्वर्टिबल प्रिफरेबल शेयरों का मूल्यांकन भी उचित बाजार मूल्य पर आधारित हो सकता है.

Angel Tax से परेशान क्यों हैं स्टार्टअप?

सरकार की तरफ से इस टैक्स को मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए लागू किया गया था. साथ ही इसकी मदद से तमाम बिजनेस को टैक्स के दायरे में लाने की कोशिश की गई. स्टार्टअप्स को angel tax की वजह से बहुत सी दिक्कतें होती हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में.

बिजनेस बढ़ाने में दिक्कत

जब भी कोई फाउंडर अपने स्टार्टअप का बिजनेस बढ़ाना चाहता है तो उसे फंड की जरूरत होती है. इसके लिए एंजेल निवेशकों से पैसे जुटाना एक अच्छी प्रैक्टिस होती है. हालांकि, जब भी कोई फाउंडर किसी एंजेल निवेशक से पैसे जुटाता है तो उसे टैक्स चुकाना पड़ता है. वहीं अगर स्टार्टअप की FMV से ज्यादा निवेश मिला तो टैक्स 30.9 फीसदी लगता है. ऐसे में स्टार्टअप जितना कमाता नहीं है, उससे ज्यादा तो वह टैक्स चुका देता है.

फंडिंग में दिक्कत

अमीर लोग और एंजेल निवेशक इस भारी भरकम एंजेल टैक्स की वजह से कई बार स्टार्टअप में निवेश करने से कतराते हैं. इससे आंत्रप्रेन्योर्स को फंड की दिक्कत हो सकती है.

आसान नहीं सही FMV बता पाना

किसी स्टार्टअप की बिल्कुल सही FMV  बता पाना आसान नहीं है, खासकर उस स्टार्टअप के शुरुआती दिनों में. ऐसे में टैक्स अथॉरिटीज के साथ अक्सर डिस्प्यूट भी हो जाते हैं. कई बार असेसमेंट लंबा खिंच जाता है, जिससे बेकार का बोझ स्टार्टअप पर आ जाता है. इसकी वजह से कई भारतीय स्टार्टअप्स को ग्लोबल लेवल की कंपनियों से टक्कर भी नहीं ले पाते हैं.