मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के निवेश वाले स्टार्टअप Dunzo ने एक बार फिर से कर्मचारियों को दिया हुआ वादा तोड़ दिया है. इस स्टार्टअप (Startup) ने एक बार फिर कर्मचारियों की सैलरी टाल दी है. खबर है कि अब उन्हें सैलरी नवंबर के महीने में मिलेगी. बता दें कि पहले जून-जुलाई की सैलरी को 4 सितंबर को देने का वादा किया गया था. फिर से इसे अक्टूबर के पहले हफ्ते तक के लिए बढ़ा दिया और अब खबर है कि इस तारीख को फिर से नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है. बेशक कंपनी ने बकाया सैलरी पर 12 फीसदी ब्याज चुकाने का वादा किया है, लेकिन कर्मचारियों की सैलरी लगातार टलती जा रही है. 

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नकदी संकट से जूझ रहा ये फूड और ग्रॉसरी डिलीवरी स्टार्टअप (Startup) लगातार कोशिशें कर रहा है कि वह फंड जुटा पाए, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद डंजो को फंडिंग नहीं मिल रही है. इसका नतीजा ये हो रहा है कि कंपनी अपने पूर्व कर्मचारियों को उनके बकाया का भुगतान नहीं कर पा रही है. कुछ दिन पहले तो यह भी खबर आई थी कि कंपनी ने वनटैप से फाइनेंसिंग लेने का फैसला किया है, ताकि कर्मचारियों की सैलरी चुकाई जा सके. इस बार कंपनी सितंबर की सैलरी तो समय से दे रही है, लेकिन जून-जुलाई की सैलरी फिर से टाल दी गई है. अगर कंपनी को किसी निवेशक से फंडिंग नहीं मिलती है और कंपनी फिर से सैलरी चुकाने की तारीख को बढ़ा देती है तो हैरानी वाली बात नहीं होगी.

डंजो खुद भी कह चुका है कि उसे निवेशकों से पूंजी जुटाने में वक्त लग रहा है, जिसकी वजह से सारे भुगतानों में देरी हो रही है. बता दें कि पहले कंपनी ने कहा था कि 4 सितंबर को उनके बकाया का भुगतान कर दिया जाएगा, लेकिन फिर कंपनी ने नई तारीख दे दी और कहा कि अब सैलरी के पैसे 12 फीसदी ब्याज के साथ अक्टूबर के पहले हफ्ते में मिलेंगे. अब फिर से सैलरी टालते हुए कहा गया है कि नवंबर के महीने में भुगतान किया जाएगा. सोशल मीडिया पर को कई लोग ये बात करने लगे हैं कि अब शायद ही कंपनी सैलरी दे, डंजो की हालत इतनी खराब है कि यह स्टार्टअप बंद हो सकता है. खबर तो यह भी है कि सीईओ ने एक और राउंड की छंटनी करने का इशारा किया है.

जुलाई में ही की थी छंटनी

जुलाई के आखिरी हफ्ते में कंपनी के को-फाउंडर दलवीर सूरी ने कर्मचारियों के साथ एक मीटिंग कर के छंटनी की खबर दी थी. इसमें उन्होंने कहा था कि कंपनी एक और राउंड का लेऑफ या छंटनी कर रही है. को-फाउंडर की तरफ से आधिकारिक घोषणा किए जाने के बाद से डंजो के तमाम कर्मचारियों को ई-मेल आने लगे.

क्यों की छंटनी?

पिछले 7 महीनों में यह तीसरी बार था, जब कंपनी को छंटनी करनी पड़ी थी. इससे पहले दो बार में कंपनी करीब 380 लोगों को नौकरी से निकाल चुकी थी. इस बार की छंटनी के बाद कंपनी से 7 महीनों में करीब 500-600 कर्मचारी बाहर हो गए. कंपनी के सामने कैश फ्लो की दिक्कत होना सबसे बड़ी वजह है, जिसके चलते बार-बार छंटनी करनी पड़ रही है. कंपनी की हालत अभी भी बहुत खराब है, ऐसे में अगर आने वाले दिनों में फिर से छंटनी होती है तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए. सवाल तो यहां तक उठ रहे हैं कि कहीं ब्लिंकइट की तरह डंजो का बिजनेस भी कुछ दिन के लिए बंद ना हो जाए. या कहीं ऐसा ना हो कि इस स्टार्टअप को ही बंद करना पड़े.

डंजो को मिल चुका है लीगल नोटिस

कंपनी को बकाया भुगतान ना करने की वजह से दो कंपनियों ने लीगल नोटिस (Legal Notice) भी भेजा जा चुका है. फेसबुक इंडिया ऑलाइन सर्विसेस प्राइवेज लिमिटेड (Facebook India) और बेंगलुरु की सॉफ्टवेयर कंसल्टेंसी फर्म निलेंसो (Nilenso) ने डंजो को ये कानूनी नोटिस भेजे थे.

दूसरी सबसे बड़ी निवेशक कंपनी भी भेज चुकी है नोटिस

डंजो की हालत कितनी खराब है, इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि इस कंपनी के दूसरे सबसे बड़े निवेशक गूगल ने भी कंपनी को लीगल नोटिस भेजा है और बकाया का भुगतान करने को कहा है. ऐसे समय में फेसबुक और निलेंसो की तरफ से भी नोटिस आ जाना डंजो की वित्तीय हालत को दिखाता है. डंजो को दोनों कंपनियों ने जो कानूनी नोटिस भेजा है, उसके तहत करीब 4 करोड़ रुपये बकाया हैं.

आखिर क्यों भेजना पड़ा लीगल नोटिस?

डंजो को भेजे गए लीगल नोटिस में लिखा है कि कंपनी को बार-बार लिखित और मौखित रूप से बकाया की जानकारी दी गई. हालांकि, बार-बार याद दिलाने के बावजूद कंपनी ने भुगतान नहीं किया, ऐसे में ये नोटिस भेजना पड़ा. खबर है कि अब डंजो ने फेसबुक को भुगतान शुरू तो कर दिया है, लेकिन बहुत बड़ा भुगतान करना अभी तक बाकी है. कुछ सूत्रों तो ये यहां तक खबर मिल रही है कि डंजो को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत एक डिमांड नोटिस भी भेजा गया है.

2015 में हुई थी डंजो की शुरुआत

डंजो की शुरुआत साल 2015 में हुई थी. इस स्टार्टअप में रिलायंस, गूगल, लाइटरॉक, लाइटबॉक्स, ब्लूम वेंचर्स समेत कई संस्थाएं पैसे लगा चुकी हैं. इन सब से डंजो ने करीब 50 करोड़ रुपये की फंडिंग उठाई है. अगर कंपनी में हिस्सेदारी की बात करें तो सबसे बड़ा निवेशक रिलायंस है, जो करीब 25.8 फीसदी का मालिक है. वहीं दूसरे नंबर पर आता है गूगल, जिसके बाद कंपनी की करीब 19 फीसदी हिस्सेदारी है.