आज के वक्त में स्टार्टअप कल्चर तेजी से बढ़ रहा है और सरकार इसे खूब प्रमोट भी कर रही है. हालांकि, स्टार्टअप्स को लेकर कई बार कुछ ऐसे मामले भी सामने आते हैं, जिन्हें देखकर एक सवाल ये उठता है कि क्या सरकार को स्टार्टअप्स पर रेगुलेशन सख्त कर देने चाहिए? पिछले दिनों एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक स्टार्टअप NueGo के स्टाफ ने एक ग्राहक (जो खुद भी एक स्टार्टअप फाउंडर हैं और IIM अहमदाबाद से ग्रेजुएट हैं) के साथ हाथापाई की. इस बात को करीब 3 दिन हो चुके हैं, लेकिन ना तो कंपनी ने इस पर कोई एक्शन लिया है, ना ही पुलिस प्रशासन ने मदद की है.

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इस स्टार्टअप फाउंडर का नाम है अमर चौधरी, जो एक हेल्दी स्नैक्स के स्टार्टअप Boyo के फाउंडर हैं. इस पूरी कहानी में पुलिस प्रशासन का रोल बेहद अहम है, क्योंकि खुद से हुई हाथापाई की एफआईआर लिखाने के लिए भी अमर को करीब 8-9 घंटे पुलिस स्टेशन में बिताने पड़े. इसके अलावा इस कहानी में कंपनी का बस स्टाफ और खुद कंपनी भी अलग-अलग किरदार निभाती दिखी.

पहली लापरवाही पुलिस ने की

अमर को अपने किसी काम के लिए पंजाब जाना था और उन्होंने बस सर्विस मुहैया कराने वाले स्टार्टअप NueGo से एक बस में सीट बुक की. दिल्ली के कश्मीरी गेट से यह बस निकलनी थी. अमर का दावा है कि वह समय से कुछ मिनट पहले ही बस स्टेशन तो पहुंच गए थे, लेकिन वहां प्लेटफॉर्म को लेकर कुछ कनफ्यूजन हुआ. वह लगातार बस स्टाफ से बात कर रहे थे, लेकिन इसी बीच उनकी बस निकल गई. अमर कहते हैं कि जब उन्होंने प्लेटफॉर्म पर मौजूद बस स्टाफ से शिकायत की तो वहां एक 20-22 साल के लड़के ने उनसे हाथापाई की.

जब अमर चौधरी इस बात की शिकायत करने पुलिस स्टेशन पहुंचे तो वहां पुलिस ने भी उनसे सीधे मुंह बात नहीं की. पुलिस स्टेशन में उन्हें परेशान करने की कितनी कोशिश की गई, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक एफआईआर लिखवाने में ही अमर चौधरी को 8-9 घंटों का वक्त लग गया. अमर के अनुसार पुलिस स्टेशन में हाथापाई की शिकायत पर कहा गया- 'आपके साथ कोई क्राइम नहीं हुआ है सर, आपके ईगो को ठेस पहुंची है बस. 30 मिनट इंतजार कीजिए और आप काम पर जाइए.' 

लगातार ऐसे मामले उठाते रहेंगे अमर

अमर ने पुलिस से ये भी कहा था कि मैं समझ सकता हूं, जब मेरे जैसे पढ़े-लिखे को एफआईआर लिखाने में 8 घंटे लग गए, तो 12 साल पहले निर्भया को 10 साल क्यों लगे. उन्होंने कहा कि अब वह किसी से डरेंगे नहीं और #NirbhayAmar के साथ लगातार ऐसी चीजों के खिलाफ पोस्ट डालते रहेंगे.

'न्याय अभी सेल के लिए लाइव नहीं है'

अमर चौधरी कहते हैं कि जब उन्होंने इसकी शिकायत बुकिंग काउंटर पर की तो उन्होंने कहा- 'आपको न्याय चाहिए? न्याय अभी सेल के लिए लाइव नहीं है. कोई डील आएगी तो बताएंगे. आप कल आइए.'

कंपनी की तरफ से कोई एक्शन नहीं

इस मामले को लेकर अमर चौधरी पिछले 3 दिनों से लिंक्डइन पर कई पोस्ट कर चुके हैं, लेकिन ना तो कंपनी ने किसी पोस्ट पर जवाब दिया है ना ही हाथापाई करने वाले स्टाफ के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया है. अमर चौधरी एक स्टार्टअप फाउंडर हैं और जिस कंपनी से वह शिकायत कर रहे हैं, वह भी एक स्टार्टअप ही है, लेकिन थोड़ा बड़ा. इस मामले से एक बात ये भी देखने को मिल रही है कि कुछ स्टार्टअप भी दूसरे स्टार्टअप की मदद नहीं करना चाहते हैं.

'तो पापा मैं बाहर खेलने जाऊं या नहीं?' 

अमर के साथ जो कुछ भी हुआ, उसके बाद भी घर-परिवार से लेकर दोस्तों तक ने यही कहा कि सब भूल जाओ. लोग बोले कि कहां तू दुनिया को ठीक करने निकला है, अपने बिजनेस पर ध्यान दे. लोगों की बातों से अमर लगभग मान भी गए थे, लेकिन उनकी बेटी ने एक ऐसा सवाल पूछा, जिसने उनका इरादा बदल दिया. अमर की बेटी ने पूछा- पापा जब सड़क पर कोई सुरक्षित नहीं है तो मैं अपने दोस्तों के साथ खेलने जाऊं या नहीं? अमर की बेटी का ये सवाल एक बाप के सीने में किसी तीर की तरह घुसा और उन्हें तय कर लिया कि अब वह अपनी जिंदगी का एक हिस्सा ऐसे काम के लिए गुजारेंगे, जिससे सभी लोग सुरक्षित हो सकें. उन्होंने #FightforRight नाम से एक हैशटैग इस्तेमाल करते हुए कैंपेन भी शुरू कर दिया है. इसमें उन्हें लोगों का साथ भी खूब मिल रहा है.

कौन हैं अमर चौधरी?

अमर चौधरी एक हेल्दी स्नैक्स वाले स्टार्टअप BoYo- Bold As You के फाउंडर हैं. दिल्ली-एनसीआर के रहने वाले अमर चौधरी ने साल 2006 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी. उसके बाद वह आईआईटी दिल्ली गए, लेकिन वहां कोर्स शुरू करने से पहले ही उसे ड्रॉप कर दिया. अमर चौधरी ने उसके बाद टाटा मोटर्स में नौकरी शुरू कर दी. करीब 40-45 दिन नौकरी करने के बाद वह इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड चले गए और वहां पर करीब 7-8 साल तक नौकरी की. बिजनेस बैकग्राउंड से आने वाले अमर चौधरी का मन आखिरकार नौकरी से ऊब गया और उन्होंने लाखों के पैकेज वाली अपनी नौकरी छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद से एमबीआई की पढ़ाई की.