जब से लोग स्टार्टअप (Startup) के बारे में जानने-सुनने लगे हैं, तब से अक्सर Unicorn का जिक्र होता है. जिस स्टार्टअप का वैल्युएशन 1 अरब डॉलर यानी करीब ₹8300 करोड़ से ज्यादा हो जाता है, उसे यूनिकॉर्न स्टार्टअप (Unicorn Startup) कहा जाता है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं Decacorn कौन से स्टार्टअप्स को कहते हैं और इनकी क्या खूबी होती है. आइए जानते हैं Decacorn के बारे में और देखते हैं भारत में ऐसे कितने स्टार्टअप हैं.

क्या होते हैं Decacorn स्टार्टअप?

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डेकाकॉर्न स्टार्टअप वह होते हैं, जिनका वैल्युएशन 10 अरब डॉलर यानी करीब 83,300 करोड़ रुपये से भी अधिक हो जाता है. इस लेवल तक पहुंचने में एक स्टार्टअप को बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. सालों की मेहनत के बाद कोई स्टार्टअप इस मुकाम को हासिल कर पाता है. अब सवाल ये है कि क्या भारत का कोई स्टार्टअप इस लेवल तक पहुंच सका है?

भारत में हैं कितने Decacorn स्टार्टअप?

डेकाकॉर्न को लेकर सरकार ने कुछ आंकड़े जारी किए थे. जनवरी 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में 47 कंपनियों ने डेकाकॉर्न का लेवल छुआ है. अगर भारत की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के हिसाब से जनवरी 2023 तक कुल 5 स्टार्टअप डेकाकॉर्न बन पाए थे. भारत के ये 5 डेकाकॉर्न स्टार्टअप Flipkart, BYJU’s, Nykaa, Swiggy और PhonePe थे. हालांकि, अभी के हिसाब से देखें तो BYJU’s, (करीब $1B) और Nykaa (करीब $8B) की वैल्युएशन डेकाकॉर्न जितनी नहीं बची है.

भारत के डेकाकॉर्न स्टार्टअप्स में किन निवेशकों ने लगाए हैं पैसे?

भारत के डेकाकॉर्न स्टार्टअप्स में टाइगर ग्लोबल, सॉफ्टबैंक, लाइटस्पीड, एक्सेल और पीक एक्सवी पार्टनर्स जैसे निवेशकों ने पैसे लगाए हुए हैं. वैसे तो तमाम निवेशकों ने इन डेकाकॉर्न में पैसे लगाए हैं, लेकिन ये कुछ चुनिंदा बड़े निवेशक हैं.

कितने साल में कोई स्टार्टअप बन जाता है डेकाकॉर्न?

कोई स्टार्टअप कितने साल में डेकाकॉर्न या फिर यूनिकॉर्न बनेगा, ये इस बात पर निर्भर करेगी कि वह कितनी स्पीड से बढ़ रहा है. साथ ही यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि वह आइडिया कितना यूनीक है और उसके कॉम्पटीशन में कोई आया या नहीं. तमाम तरह की परिस्थितियां भी काफी हद तक निर्भर करती हैं. जैसे अभी फंडिंग विंटर का दौर चल रहा है, ऐसे में यूनिकॉर्न या डेकाकॉर्न बन पाना यानी इतनी बड़ी वैल्युएशन हासिल करना आसान नहीं. दरअसल, वैल्युएशन फंडिंग राउंड से ही तय होती है और अभी फंडिंग लगभग रुक सी गई है.