डंजो (Dunzo) की हालत बद से बदतर होती जा रही है. कर्मचारियों की छंटनी करने और उनकी सैलरी (Salary) को कई बार टालने की खबरें तो पहले से ही आ रही थीं, लेकिन अब कंपनी ने एक बड़ा इस्तीफा हुआ है. इस बार कंपनी के को-फाउंडर दलवीर सूरी (Dalvir Suri) ने ही कंपनी का साथ छोड़ दिया है. वह करीब 6 सालों से इस स्टार्टअप (Startup) के साथ थे, लेकिन अब उन्होंने इससे एग्जिट ले ली है. खुद कंपनी के दूसरे को-फाउंडर और सीईओ कबीर विश्वास (Kabeer Biswas) ने इसकी जानकारी दी है. 

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कंपनी की तरफ से जी बिजनेस को भेजे गए बयान में कबीर ने कहा है- 'डंजो को आगे बढ़ाने में दलवीर ने अहम भूमिका निभाई है. वह हमारी टीम का अहम हिस्सा रहे. अब वह कुछ वक्त का ब्रेक लेना चाहते हैं. डंजो में करीब 6 साल बिताने के बाद अब उन्होंने इससे अलग होने का फैसला किया है. हम उन्हें डंजो में हमेशा याद रखेंगे, क्योंकि उनका हर काम को करने की तत्परता वाला एटिट्यूड सभी को पसंद आता था. हम इसी तिमाही से बिजनेस रीस्ट्रक्चरिंग से जुड़े कुछ बदलाव करने की तैयारी कर रहे हैं.'

4 में से सिर्फ 1 को-फाउंडर के पास है इक्विटी

दलवीर सूरी ने डंजो को मई 2015 में ज्वाइन किया था, जब यह स्टार्टअप सिर्फ वाट्सऐप के जरिए ही ऑर्डर लिया करता था. को-फाउंडर की उन्होंने कबीर विश्वास, अंकुर अग्रवाल और मुकुंद झा के साथ मिलकर काफी काम किया. बता दें कि इस स्टार्टअप में भले ही 4 को-फाउंडर हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ कबीर विश्वास के पास ही इक्विटी है और वह भी बहुत कम 3.6 फीसदी है. उनके अलावा दलवीर सूरी, अंकुर अग्रवाल और मुकुंद झा सिर्फ सैलरी लेते हैं, उनके पास कंपनी की इक्विटी नहीं है.

क्यों छोड़ दी कंपनी?

सूरी ने कंपनी क्यों छोड़ी है, अभी इसे लेकर सिर्फ इतना ही कहा गया है कि वह एक ब्रेक लेना चाहते हैं और किसी दूसरे काम पर फोकस करना चाहते हैं. हालांकि, डंजो की हालत किसी से छुपी नहीं है. पिछले कई महीनों से कंपनी अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रही है. नकदी से संकट से जूझ रही कंपनी को फंडिंग भी नहीं मिल पा रही है, जिससे हालात और ज्यादा खराब हो रहे हैं. इन सभी की वजह से कंपनी को लगातार नुकसान हो रहा है और सैलरी तक देने के पैसे नहीं हैं. ऐसे में अगर देखा जाए तो सूरी के पास इक्विटी है नहीं और सैलरी मिल नहीं रही है, जो दिखाता है कि कंपनी में उनका कोई बड़ा फ्यूचर नहीं था. वह सिर्फ एक कर्मचारी ही थे, जो सैलरी पर काम कर रहे थे और डंजो की खराब हालत देखकर उन्होंने कुछ अलग करने का सोचा है.

करीब 250 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी

पिछले दिनों खबर आई थी कि अब कंपनी 25-30 मिलियन डॉलर यानी करीब 250 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाने की तैयारी कर रही है. नकदी से संकट से जूझ रहा ये स्टार्टअप (Startup) कई राउंड की छंटनी (Layoff) कर चुका है. कई बार कर्मचारियों की सैलरी को भी टाल चुका है. ये सब कुछ हो रहा था फंडिंग विंटर (Funding Winter) के बीच फंडिंग ना मिल पाने की वजह से. आखिरकार अब फंडिंग की खबर से ऐसा लग रहा है मानो कंपनी के हालात सुधरने वाले हैं.

सूत्रों से मिली फंडिंग की इस जानकारी के बाद जब जी बिजनेस ने डंजो से संपर्क किया तो कपंनी ने इस पर कमेंट करने से मना कर दिया. कंपनी ने प्रवक्ता ने जी बिजनेस की तरफ से भेजे गए ईमेल का जवाब देते हुए लिखा- We do not have any comments at the moment. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि फंडिंग राउंड की इस खबर को लेकर कंपनी की तरफ से कब तक आधिकारिक घोषणा होती है.

कई बार टाली है कर्मचारियों की सैलरी

फंडिंग ना मिल पाने की वजह से कंपनी अपने पूर्व कर्मचारियों को उनके बकाया का भुगतान नहीं कर पा रही है. कुछ दिन पहले तो यह भी खबर आई थी कि कंपनी ने वनटैप से फाइनेंसिंग लेने का फैसला किया है, ताकि कर्मचारियों की सैलरी चुकाई जा सके. वहीं कंपनी की तरफ से पुराने कर्मचारियों की जून-जुलाई की सैलरी सितंबर में भी टाल दी गई थी. कंपनी ने कहा था कि 4 सितंबर को उनके बकाया का भुगतान कर दिया जाएगा, लेकिन फिर कंपनी ने नई तारीख दे दी और कहा कि अब सैलरी के पैसे 12 फीसदी ब्याज के साथ अक्टूबर के पहले हफ्ते में मिलेंगे. उसके बाद हाल ही में कंपनी ने सैलरी टालते हुए कहा था कि नवंबर के महीने में भुगतान किया जाएगा.

जुलाई में ही की थी छंटनी

जुलाई के आखिरी हफ्ते में कंपनी के को-फाउंडर दलवीर सूरी ने कर्मचारियों के साथ एक मीटिंग कर के छंटनी की खबर दी थी. इसमें उन्होंने कहा था कि कंपनी एक और राउंड का लेऑफ या छंटनी कर रही है. को-फाउंडर की तरफ से आधिकारिक घोषणा किए जाने के बाद से डंजो के तमाम कर्मचारियों को ई-मेल आने लगे. वहीं इस बार दलवीर सूरी के बाहर जाने के बाद बिजनेस रीस्ट्रक्चरिंग होने वाली है, जिसके चलते भी कंपनी में एक बार फिर से छंटनी हो सकती है. हालांकि, कंपनी ने छंटनी को लेकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन देखा गया है कि बिजनेस रीस्ट्रक्चरिंग का नतीजा हमेशा ही छंटनी होता है.

पिछली बार क्यों की थी छंटनी?

पिछले 7 महीनों में यह तीसरी बार था, जब कंपनी को छंटनी करनी पड़ी थी. इससे पहले दो बार में कंपनी करीब 380 लोगों को नौकरी से निकाल चुकी थी. इस बार की छंटनी के बाद कंपनी से 7 महीनों में करीब 500-600 कर्मचारी बाहर हो गए. कंपनी के सामने कैश फ्लो की दिक्कत होना सबसे बड़ी वजह है, जिसके चलते बार-बार छंटनी करनी पड़ रही है. कंपनी की हालत अभी भी बहुत खराब है, ऐसे में अगर आने वाले दिनों में फिर से छंटनी होती है तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए. सवाल तो यहां तक उठ रहे हैं कि कहीं ब्लिंकइट की तरह डंजो का बिजनेस भी कुछ दिन के लिए बंद ना हो जाए. या कहीं ऐसा ना हो कि इस स्टार्टअप को ही बंद करना पड़े.

डंजो को मिल चुका है लीगल नोटिस

कंपनी को बकाया भुगतान ना करने की वजह से दो कंपनियों ने लीगल नोटिस (Legal Notice) भी भेजा जा चुका है. फेसबुक इंडिया ऑलाइन सर्विसेस प्राइवेज लिमिटेड (Facebook India) और बेंगलुरु की सॉफ्टवेयर कंसल्टेंसी फर्म निलेंसो (Nilenso) ने डंजो को ये कानूनी नोटिस भेजे थे.

दूसरी सबसे बड़ी निवेशक कंपनी भी भेज चुकी है नोटिस

डंजो की हालत कितनी खराब है, इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि इस कंपनी के दूसरे सबसे बड़े निवेशक गूगल ने भी कंपनी को लीगल नोटिस भेजा है और बकाया का भुगतान करने को कहा है. ऐसे समय में फेसबुक और निलेंसो की तरफ से भी नोटिस आ जाना डंजो की वित्तीय हालत को दिखाता है. डंजो को दोनों कंपनियों ने जो कानूनी नोटिस भेजा है, उसके तहत करीब 4 करोड़ रुपये बकाया हैं.

आखिर क्यों भेजना पड़ा लीगल नोटिस?

डंजो को भेजे गए लीगल नोटिस में लिखा है कि कंपनी को बार-बार लिखित और मौखित रूप से बकाया की जानकारी दी गई. हालांकि, बार-बार याद दिलाने के बावजूद कंपनी ने भुगतान नहीं किया, ऐसे में ये नोटिस भेजना पड़ा. खबर है कि अब डंजो ने फेसबुक को भुगतान शुरू तो कर दिया है, लेकिन बहुत बड़ा भुगतान करना अभी तक बाकी है. कुछ सूत्रों तो ये यहां तक खबर मिल रही है कि डंजो को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत एक डिमांड नोटिस भी भेजा गया है.

2015 में हुई थी डंजो की शुरुआत

डंजो की शुरुआत साल 2015 में हुई थी. इस स्टार्टअप में रिलायंस, गूगल, लाइटरॉक, लाइटबॉक्स, ब्लूम वेंचर्स समेत कई संस्थाएं पैसे लगा चुकी हैं. इन सब से डंजो ने करीब 50 करोड़ रुपये की फंडिंग उठाई है. अगर कंपनी में हिस्सेदारी की बात करें तो सबसे बड़ा निवेशक रिलायंस है, जो करीब 25.8 फीसदी का मालिक है. वहीं दूसरे नंबर पर आता है गूगल, जिसके बाद कंपनी की करीब 19 फीसदी हिस्सेदारी है.