पिछले ही महीने खबर आई थी कि फाइनेंसिंग प्लेटफॉर्म जेस्टमनी (ZestMoney) अपना ऑपरेशन बंद कर रहा है. इसकी वजह से करीब 150 कर्मचारियों की नौकरी चली गई थी. अब खबर आ रही है कि इस स्टार्टअप का डीएमआई ग्रुप ने अधिग्रहण कर लिया है.

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डीएमआई ग्रुप ने घरेलू डिजिटल ईएमआई फाइनेंसिंग प्लेटफॉर्म जेस्टमनी (ZestMoney) का अधिग्रहण कर लिया है. कंपनी ने गुरुवार को इसकी घोषणा की. हालांकि, ये नहीं बताया गया है कि ये डील कितने रुपये में हुई है. यह घटनाक्रम स्टार्टअप के दिसंबर, 2023 के अंत तक परिचालन बंद करने के निर्णय के बाद आया है.

डीएमआई की एनबीएफसी शाखा, डीएमआई फाइनेंस, जेस्ट प्लेटफॉर्म पर एक पसंदीदा ऋणदाता होगी. इस अधिग्रहण के माध्यम से, डीएमआई के पास सभी जेस्ट ब्रांडों के उपयोग का विशेष अधिकार होगा. यह अधिग्रहण डीएमआई को जेस्टमनी चेकआउट फाइनेंसिंग प्लेटफॉर्म को जोड़कर वर्तमान और संभावित ग्राहकों के साथ अपने जुड़ाव को व्यापक बनाने में सक्षम बनाएगा.

8 साल तक जेस्टमनी के साथ पार्टनरशिप

डीएमआई के सह-संस्थापक और संयुक्त प्रबंध निदेशक शिवाशीष चटर्जी ने कहा, "हमने विभिन्न क्षमताओं में आठ साल तक जेस्टमनी के साथ भागीदारी की है. हमारा दृढ़ विश्वास है कि यह अधिग्रहण पूरे भारत में बड़े पैमाने पर डिजिटल वित्तीय समावेशन प्रदान करने की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा."

डीएमआई जेस्टमनी का शुरुआती समर्थक

जेस्ट के ऑनलाइन और ऑफलाइन मर्चेंट नेटवर्क में डीएमआई अपने ग्राहक आधार, बैलेंस-शीट की ताकत और महत्वपूर्ण जोखिम-प्रबंधन अनुभव भी लाएगा. जेस्ट के मुख्य परिचालन अधिकारी मंदार सातपुते ने कहा, "डीएमआई भारत में डिजिटल ऋण देने में सबसे आगे रहा है. वह मजबूत पूंजी समर्थन और गहरी विशेषज्ञता लाता है. डीएमआई जेस्टमनी का शुरुआती समर्थक रहा है."

2008 में हुई थी डीएमआई की शुरुआत

2008 में स्थापित डीएमआई डिजिटल फाइनेंस, हाउसिंग फाइनेंस और एसेट मैनेजमेंट में मुख्य व्यवसायों के साथ एक अखिल भारतीय वित्तीय सेवा प्लेटफॉर्म है. इसने 1.5 अरब डॉलर से अधिक की निवेश पूंजी जुटाई है और इसे वैश्विक संस्थागत निवेशकों, रणनीतिक पारिवारिक कार्यालयों और अग्रणी अंतरराष्ट्रीय बैंकों का समर्थन प्राप्त है.

150 कर्मचारियों की गई थी नौकरी

कंपनी की तरफ से 5 दिसंबर को एक टाउनहॉल किया गया था. इसमें कर्मचारियों को बताया गया था कि कंपनी अपना बिजनेस बंद कर रही है. इसके चलते कंपनी 150 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही है. हालांकि, जब तक बिजनेस बंद होने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक लीगल और फाइनेंस टीम को बनाए रखा जाएगा. एक वक्त ऐसा भी था जब ZestMoney का वैल्यूएशन 40 करोड़ डॉलर यानी करीब 3333 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा था. 

फाउंडर्स के इस्तीफे के बाद शुरू हुआ बुरा दौर

कंपनी का बुरा वक्त तब शुरू हुआ, जब कंपनी के फाउंडर्स ने इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के बाद कंपनी की जिम्मेदारी नए मैनेजमेंट और निवेशकों पर आ गई, जो कंपनी को संभाल नहीं पाए. खुद को बचाने के लिए इस कंपनी ने फोनपे से अधिग्रहण करने को लेकर भी बात की, लेकिन बाद में फोनपे भी कंपनी के अधिग्रहण से पीछे हट गया. और फिर हालात खराब होते चले गए. जेस्टमनी के नए मैनेजमेंट ने कंपनी के बिजनेस को फिर से जिंदा करने के लिए 'ZestMoney 2.0' नाम से एक नई योजना भी शुरू की थी, लेकिन वह भी फ्लॉप रही. 

2016 में हुई थी कंपनी की शुरुआत

जेस्टमनी की शुरुआत साल 2016 में लिजी चैपमैन, प्रिया शर्मा और आशीष अनंतरामन ने की थी. कंपनी के पास करीब 1.7 करोड़ ग्राहकों का बड़ा यूजरबेस था और कंपनी हर महीने करीब 400 करोड़ रुपये के लोन बांट रही थी. कंपनी के 27 लेंडिंग पार्टनर थे. साथ ही इस कंपनी ने 10 हजार ऑनलाइन ब्रांड्स और करीब 75 हजार ऑफलाइन स्टोर्स के साथ साझेदारी की हुई थी.

(आईएएनएस से इनपुट के साथ)