अगर आप नोएडा में रहते हैं तो आपने सड़कों के किनारे NOIDEA नाम के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के पोस्टर देखे होंगे. अब यह प्रोजेक्ट विवादों में फंसता नजर आ रहा है. दरअसल, उत्तर प्रदेश रेरा (Uttar Pradesh Real Estate Regulatory Authority) ने गौतम बुद्ध नगर स्थित M3M इंडिया प्रा.लि. की परियोजना NOIDEA को तत्काल कार्यवाही कर नोटिस जारी की है. यूपी रेरा ने पाया कि मेसर्स M3M इंडिया प्रा.लि. ने अपनी परियोजना NOIDEA की रेरा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की है और यूनिट की बिक्री के लिए प्रचार-प्रसार का काम पहले शुरू कर दिया है, जो कि रेरा अधिनियम की धारा-3 का प्रत्यक्ष उल्लंघन है. अधिनियम की धारा-59 के अंतर्गत प्रोमोटर को परियोजना की लागत के दस प्रतिशत तक की पेनाल्टी और तीन साल तक की जेल हो सकती है. यूपी रेरा M3M इंडिया पर सख्त कार्यवाही को तैयार है और प्रमोटरों को धारा-3/59 का नोटिस जारी किया है. 

प्रमोटरों पर सख्त नियामक

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इस मामले की आरम्भिक जांच में यूपी रेरा ने पाया कि M3M इंडिया प्रा.लि ने परियोजना का रजिस्ट्रेशन रेरा में नहीं करवाया और परियोजना का प्रचार शुरू कर दिया. प्राधिकरण ने पाया कि प्रमोटर द्वारा इस बात के साक्ष्य भी मौजूद हैं कि वो लगातार अपनी परियोजना को विभिन्न माध्यमों से  जन सामान्य तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. रेरा सचिव ने बताया कि रेरा अधिनियम का निर्माण होम-बायर्स के हितों की सुरक्षा और रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास के लिए हुआ है. उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट क्षेत्र में रेरा अधिनियम आने के पूर्व बिल्डरों ने जो भी मनमानी की हो पर अब इन पर तत्काल कार्यवाही कर सख्ती से निपटा जाएगा. अगर प्रदेश के अन्य प्रोमोटर्स को भी इस प्रकार के उल्लंघन में पाया गया तो कार्यवाही में जरा सी भी देर नहीं की जाएगी. 

प्रमोटरों को मिली हिदायत

सचिव ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य में यदि कोई भी प्रोमोटर प्राधिकरण की सीमा में आने वाली अपनी किसी भी परियोजना के साथ विकास करना चाहता है तो रेरा के अधिनियम की धारा 3/59 का विशेष ध्यान रख पालन करना होगा. धारा 3/59 के अनुसार- कोई भी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का मालिक, उसका निर्धारित अथॉरिटी के पास रजिस्ट्रेशन कराए बिना किसी भी स्थिति में उस प्रोजेक्ट के किसी भी हिस्से की बिक्री-खरीद की कोई कोशिश नहीं करेगा. 

रजिस्ट्रेशन न कराने पर दंड

नियम के मुताबिक, अगर कोई प्रमोटर धारा-3 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है तब उसे प्रोजेक्ट की लागत का दसवां हिस्सा जुर्माने में देना होगा. इसके अलावा, अगर वो चेताए जाने के बाद भी उल्लंघन करना जारी रखता है तो वह कारावास जिसकी अवधि तीन वर्ष तक हो सकती है या जुर्माने जो कि उस प्रोजेक्ट की लागत का दसवां हिस्सा होगा भरेगा, या दोनों ही सजाएं दी जा सकती हैं.

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