Maha RERA ने तैयार किया ड्राफ्ट पेपर, आम नागरिकों से भी मांगे सुझाव, जानें क्यों पड़ी जरूरत?
महाराष्ट्र में हाउसिंग रेगुलेटर महारेरा ने सीनियर सिटीजन हाउसिंग मॉडल के लिए ड्राफ्ट पेपर तैयार किया है. गाइडलाइन में बुजुर्गों को ध्यान में रखते हुए बिल्डिंग निर्माण की सलाह दी गई है.
महाराष्ट्र में हाउसिंग रेगुलेटर महारेरा ने सीनियर सिटीजन हाउसिंग मॉडल के लिए ड्राफ्ट पेपर तैयार किया है. गाइडलाइन में बुजुर्गों को ध्यान में रखते हुए बिल्डिंग निर्माण, ग्रीन बिल्डिंग प्रिंसिपल, लिफ्ट्स, रैंप, स्टेयरकेस, कॉरिडोर, किचन, बाथरूम, वेंटिलेशन आदि का ध्यान रखने की सलाह दी गई है.
आम नागरिकों से भी मांगा सुझाव इसी के साथ महाराष्ट्र में हाउसिंग रेगुलेटर महारेरा ने आम नागरिकों से भी सुझाव मांगे हैं. इसमें आम नागरिकों से पूछा गया है कि आपकी नजर में आपके रिटायरमेंट का घर कैसा होना चाहिए. अगर आप इसके लिए कोई सजेशन देना चाहते हैं तो दिए गए इस ई-मेल आईडी maharera@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं. आप इसके लिए अपने सुझाव मेल कर 29 फरवरी 2024 तक भेज सकते हैं. महारेरा मार्च 2024 तक ड्राफ्ट पेपर को अंतिम रूप देने की तैयारी कर रहा है. महारेरा द्वारा दिए गए सुझाव- सीनियर सिटीजन के आने-जाने में कोई दिक्कत न हो.
- एक मंजिल से अधिक ऊंची बिल्डिंग में लिफ्ट हो.
- बिल्डिंग में व्हीलचेयर के लिए रैंप होने चाहिए.
- सीढ़ी के दोनों तरफ पकड़ने के लिए हैंडल हो.
- दो सीढ़ियों के बीच का अंतर कम हो.
- कॉरिडोर में सीढ़ियां नहीं हो.
- किचन में गैस लीक डिटेक्शन सिस्टम हो.
- इलेक्ट्रिसिटी बैक अप सिस्टम हो.
- बाथरूम में वाशबेसिन के साथ हैंडल हो.
- बिना फिसलन वाली टाइल्स का इस्तेमाल किया जाए.
- अलार्म सिस्टम और सीसीटीवी रखना अनिवार्य.
क्यों पड़ी गाइडलाइन बनने की जरूरत?
मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स ने इस संदर्भ में एक मॉडल गाइडलाइन जारी की जिसमे इन प्रोजेक्ट्स में बिल्डिंग का डिजाइन, स्टेयरकेस, कॉरिडोर, और सुरक्षा की तैयारी को लेकर जानकारी दी थी और राज्यों के रेरा रेगुलेटर को इन्हें तैयार करने को कहा था. इसके साथ ही महाराष्ट्र स्पेशल प्रोजेक्ट ड्राफ्ट तैयार करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. क्या थी लोगों की समस्या? ड्राफ्ट तैयार करने के पीछे की अहम वजह थी लोगों से मंगाए गए फीडबैक जिसमें पता चला की कुछ प्रोजेक्ट्स और स्टेकहोल्डर्स 'रिटायरमेंट होम्स' का गलत प्रचार और बिक्री कर रहे, और जब अथॉरिटी इनका संज्ञान लिया तब पता चला की यह प्रोजेक्ट्स किसी भी तरह से ' रिटायरमेंट होम्स' या 'सीनियर सिटीजन' के मापदंडों में खरी नहीं उतरी है.