घर खरीदना हर किसी का सपना होता है. नौकरी की तलाश में लोगों का शहरों की तरफ पलायन हो रहा है. नए शहर में उन्हें अपना भविष्य दिखता है. हर किसी की कोशिश होती है कि उनका अपना घर हो. यही वजह है कि होम लोन का बाजार पिछले कुछ दशकों में बहुत तेजी से फैला है. कोरोना काल में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 4 फीसदी तक कम किया था. मई से इसमें बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू हुआ और बीते पांच महीने में रेपो रेट 1.90 फीसदी बढ़ाया जा चुका है. इसका सीधा असर होम लोन पर होता है और यह भी महंगा हो रहा है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक,  ब्याज दरों में बदलाव का उन लोगों पर कोई खास असर नहीं पड़ता है जो उधार ली गई रकम से अपने सपनों का घर खरीदते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों का होम लोन बकाया पिछले पांच साल में लगभग दोगुना होकर 16.85 लाख करोड़ रुपए हो गया है. 

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रेपो रेट 1.40 फीसदी बढ़ाया जा चुका है

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में ब्याज दरों में 1.40 फीसदी की वृद्धि की है जिसकी वजह से होम लोन पर लागू ब्याज दर भी बढ़ गई है. इसके बावजूद इस अवधि में बैंकों के होम लोन के बकाये में दहाई अंकों की वृद्धि हुई है. इस गणना अवधि के बाद सितंबर में भी आरबीआई रेपो दर में 0.50 फीसदी की एक और वृद्धि कर चुका है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 के अंत में बैंकों का होम लोन बकाया 8,60,086 करोड़ रुपए था जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 16,84,424 करोड़ रुपए हो गया.

ब्याज दरों का घर खरीदने के फैसले पर ज्यादा असर नहीं

बैंकिंग और रियल एस्टेट उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि ब्याज दरें मायने रखती हैं, लेकिन वे घर खरीदार के फैसले को प्रभावित नहीं करतीं. इसकी वजह यह है कि घर खरीदने का फैसला व्यक्ति अपनी मौजूदा आय और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए ही करता है. इसके अलावा लोगों को यह बात भी समझ में आ चुकी है कि आम तौर पर 15 वर्षों की लोन अवधि में ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव आता रहेगा.

ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा

बैंक ऑफ बड़ौदा में महाप्रबंधक (गिरवी एवं अन्य खुदरा परिसंपत्तियां) एच टी सोलंकी ने कहा, ‘‘आवासीय लोन लंबे समय तक चलते हैं और ग्राहक जानते हैं कि इस दौरान ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव आता ही रहेगा. वैसे देश में औसत आय में आठ से 12 फीसदी की वृद्धि होने से भी ब्याज दरों में वृद्धि का असर कुछ हद तक कम हो जाता है.’ आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि बैंकों के होम लोन का बकाया चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान प्रत्येक महीने सालाना आधार पर 13.7 से 16.4 फीसदी बढ़ा है. अगस्त 2022 के अंत में यह बढ़कर 17.85 लाख करोड़ रुपए हो गया.

इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी का नहीं होगा कोई खास असर

आवासीय वित्त कंपनी एचडीएफसी की प्रबंध निदेशक रेणु सूद कर्नाड ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि ब्याज दरों में वृद्धि का होम लोन की मांग पर कोई विशेष प्रभाव होगा.’’ उन्होंने कहा कि अन्य उत्पादों के विपरीत आवास की खरीद योजनाबद्ध तरीके से और परिवार के भीतर अच्छी तरह से सोच-विचार करने के बाद होती है. उन्होंने कहा, ‘‘12 से 15 वर्ष की लोन अवधि के दौरान दो से तीन बार ब्याज दर बदलती है इसलिए कर्जदार यह जानते हैं कि इतनी लंबी अवधि के कर्ज में ब्याज दरों में कमी भी आ सकती है.’’हालांकि परिसंपत्ति सलाहकार जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री सामंतक दास आगाह करते हैं कि होम लोन पर ब्याज दरों और मासिक किस्तों के लगातार बढ़ने से खरीद की धारणा प्रभावित हो सकती है.