वेस्टर्न रेलवे की विजिलेंस टीम ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो फर्जी सॉफ्टवेयर के जरिए बल्क टिकटिंग कर , टिकटों की काला बाजारी करता था. रेलवे के विजिलेंस टीम ने मुंबई से सटे सूरत में एक ऑपरेशन को अंजाम दिया जहां टिकट दलालों को गिरफ्तार कर पहली बार आईपीसी की धाराएं लगाई गई. आरोपी राजेश मित्तल के टिकटिंग हिस्टरी से पता चला की कुल ट्रांजेक्शन करीब 4 करोड़ रुपए के ऊपर की ग्रुप बुकिंग कर चुके है.

एक महीने में 14 लाख रुपए के करीब 600 पीएनआर किए गए बुक 

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छानबीन में पता चला की आरोपी ने 24 मई से 24 जून तक के बीच अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए करीब 600 पीएनआर बुक किए थे जिनकी रकम 14 लाख के करीब आ रही थी, जो की प्रति टिकट 500 से 700 रुपए लेकर काम करते थे. समर वेकेशन और बकरी ईद के छुट्टी के दौरान विजिलेंस टीम में करीब 10 फीसदी यात्रियों से जानना चाहा की उन्होंने किस आईडी से अपनी टिकट बुक की थी, लेकिन जवाब देने में असमर्थ यात्री कुछ ने कह सके. 

किस तरह से दिया जा रहा था इस फर्जीवाड़े को अंजाम, सिटी लाइट एरिया से किया आरोपियों को गिरफ्तार

बुकिंग के दौरान दिए गए नंबर पर जब संपर्क किया गया तो पता चला की नंबर किसी टूर ऑपरेटर या सूरत के छोटे दलाल का दिया हुआ है. जिसके बाद विजिलेंस ने एक एक कड़ी जोड़ते हुए राजेश मित्तल तक पहुंचने में कामयाबी मिली. विजिलेंस टीम में सूरत पुलिस की मदद से सूरत के पॉश इलाके सिटी लाइट एरिया से गिरफ्तार किया जहां आरोपियों न शानदार सर अप कर टिकट बुक किया करते थे, पुलिस ने तत्काल बुकिंग के समय ठीक 11 बजे दबिश कर आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ा. 

1.5 लाख रुपए के मिले 54 लाइव टिकट, किस तरह से होती थी टिकट बुकिंग

रेलवे को छानबीन के दौरान आरोपी के पास से करीब 54 लाइव टिकट मिले जिसके कीमत 1.5 लाख रुपए है. ऑफिस से नेट की स्पीड मेंटेन रखने के लिए 5 राउटर मिले, जिनका इस्तेमाल 5 अलग अलग लैपटॉप से किया जा रहा था, और किसी को शक न हो इसलिए अलग अलग आईपी एड्रेस का भी इंतजाम था. टिकट बुक करने के लिए इंटरनेट स्पीड करीब 150mbps की थी, रेलवे के मुताबिक आरोपी के पास से कुल 973 आईआरसीटीसी आईडी टिकट बुक करने के लिए इस्तेमाल की जानेवाली गदर और नेक्सस सॉफ्टवेयर बरामद हुआ. 

सिक्योरिटी फायरवॉल को हैक करने के लिए मंगाया थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर, कितने टिकटों का मिला रिकॉर्ड

गदर और नेक्सेस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल irctc थर्ड पार्टी पेमेंट गेटवे  के सिक्योरिटी फायरवॉल को हैक करने के लिए मंगाया गया था. इस सॉफ्टवेयर के जरिए आईआरसीटीसी के थर्ड पार्टी गेटवे सिक्योरिटी प्रोटेक्शन को बायपास कर सिर्फ एक क्लिक पर टिकट बुक कर लिया जाता था. रेलवे को करीब 54 लाइव टिकट का रिकार्ड मिला जिनके कीमत कुल 1.5लाख रुपए बताए जा रही हैं, अधिकारियों का कहना की सभी 54 टिकट को सूरत पीआरएस से ब्लॉक कर दिए गए हैं, जिससे यात्रियों के टिकट और पैसे दोनो ही ब्लॉक कर दिए गए हैं.

किस तरह से सूरत बना टिकट दलाली का हब

वेस्टर्न रेलवे की टिकट डिमांड मुंबई से ज्यादा सूरत में होती हैं क्यों की सूरत एक मुख्य इंडस्ट्रियल हब के रूप में उभर कर आया है. यहां के फैक्ट्रियों में लोग ओडिशा, वेस्ट बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग बड़ी संख्या में काम करते हैं. शहर भले ही छोटा है लेकिन डिमांड मुंबई से ज्यादा है। इस मांग को पूरी करने के लिए सूरत के छोटे छोटे गलियों में अलग अलग टिकट दलाल देखने को मिलते है, जिनका गिरोह को उजागर करने में रेलवे हमेशा असमर्थ साबित होती हैं. 

रेलवे के पास "प्रबल" नाम का सॉफ्टवेयर है जिससे इस तरह की टिकट बुकिंग की गतिविधि पर पैनी नजर रखी जाती है और इसकी मदद से पुलिस आराम से अपनी कारवाई कर सकती है, किंतु इस डाटा का एक्सेस सिर्फ बड़े लेवल पर बैठे अधिकारियों को ही है.