TMC सांसद ने फिर लगाया रेलवे पर बड़ा आरोप, वंदे भारत की कीमत को लेकर रेल मंत्री से पूछा ये सवाल
Vande Bharat Sleeper Train Cost: तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने एक बार फिर से सरकार और रेलवे पर वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की लागत में घोटाले का बुधवार को आरोप लगाया है.
Vande Bharat Sleeper Train Cost: तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने एक बार फिर से सरकार और रेलवे पर वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की लागत में घोटाले का बुधवार को आरोप लगाया है. इससे पहले रेलवे ने उनके इस दावे को 'गलत सूचना' बताकर खारिज कर दिया था कि एक ट्रेन की लागत 50 प्रतिशत बढ़ गयी है. दो दिन पहले X पर एक पोस्ट में गोखले ने आरोप लगाया था कि एक वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की लागत 290 करोड़ रुपये से बढ़कर 436 करोड़ रुपये हो गई है.
टीएमसी सांसद ने वंदे भारत की लागत पर उठाया सवाल
गोखले ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कई पोस्ट करके रेलवे के रुख को "हास्यास्पद" बताते हुए इसका खंडन किया और दावा किया कि ठेके "प्रति ट्रेन" के आधार पर दिए गए थे, न कि "प्रति डिब्बे" के आधार पर. सांसद ने कहा, "ट्रेन की लागत में सिर्फ 'डिब्बे बनाने' से कहीं ज्यादा चीजें जुड़ी होती हैं."
गोखले ने एक अन्य पोस्ट में कहा, "एक ट्रेन की लागत में केवल कोच का खर्च शामिल नहीं होता. 58,000 करोड़ रुपये में 200 ट्रेन का अनुबंध दिया गया, लेकिन बाद में संशोधन कर ट्रेनों की संख्या 133 कर दी गई. प्रति ट्रेन लागत 290 करोड़ रुपये से बढ़कर 435 करोड़ रुपये हो गई. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बताना चाहिए कि इस घोटाले से किसे फायदा हो रहा है?"
क्या है विवाद?
दरअसल, TMC सांसद साकेत गोखले ने 2 दिन पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट शेयर कर कहा था कि मोदी सरकार ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेन (Vande Bharat Sleeper Train) के कॉन्ट्रैक्ट की लागत को दोगुना कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि पहले जिस ट्रेन की लागत 290 करोड़ रुपये होने वाली थी, उसकी कीमत अब 436 करोड़ रुपये हो गई है.
50 फीसदी महंगी हो गई वंदे भारत?
गोखले ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को बनाने के लिए 58000 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट को संशोधित कर दिया है. ये ऑर्डर केवल वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के एसी कोच को बनाने के लिए दिया जा रहा है. जिससे गरीब लोग सफर नहीं कर सकते हैं. ऐसे में वंदे भारत ट्रेन के कॉन्ट्रैक्ट में इस 50 फीसदी लागत के बढ़ने से किसे फायदा होगा?
गोखले ने अपने पोस्ट में बताया कि 2023 में रेलवे ने 58000 करोड़ रुपये में 200 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों को बनाने का ऑर्डर दिया था, जिसे घटाकर 133 कर दिया गया है. ऐसे में पहले जहां हर ट्रेन की लागत 290 करोड़ रुपये (58000/200) आने वाली थी, अब वह करीब 436 करोड़ रुपये (58000/133) प्रति ट्रेन पड़ने वाली है.
रेलवे ने कहा- गलत जानकारी न फैलाएं
गोखले के पोस्ट का जवाब देते हुए रेलवे ने कहा कि कृपया गलत सूचना और फर्जी खबरों को फैलाना बंद करें. अगर आप प्रति कोच की लागत को कोचों की संख्या को देखें, तो ट्रेन की लागत पहले जितनी ही हैं.
उतनी ही कोचों का होगा निर्माण
रेलवे ने बताया कि हमारे कॉन्ट्रैक्ट में कोचों की कुल संख्या को उतना ही रखा गया, जितना पहले था. हालांकि, ट्रेनों को और लंबा बनाने के लिए हर ट्रेन में 16 कोच के मुकाबले 24 कोच को लगाया जाएगा. पहले 16 कोच वाली 200 ट्रेनों को बनाने का ऑर्डर था, जिसे संशोधित करके 24 कोच वाली 133 ट्रेनों का ऑर्डर दिया गया है. ऐसे में दोनों ही स्थिति में करीब 3200 कोचों को निर्माण होना है.