आमतौर पर जब भी आप ट्रेन में RAC या वेटिंग टिकट पर यात्रा करते हैं तो कुछ लोग TTE से सेटिंग करके सीट ले लेते हैं. इसके चक्कर में उन लोगों को सीट नहीं मिलती जो नियम के मुताबिक वाकई हकदार हैं. अब रेलवे ने TTE की इस 'हेराफेरी' का तोड़ निकाल लिया है. यानी वेटिंग टिकट उसी की कन्फर्म होगी, जो हकदार होगा. इसके लिए रेलवे ट्रेन में मौजूद हर TTE तो हैंड हेल्ड मशीन देगा. इससे जिस क्रम में यात्रियों की वेटिंग या RAC होगी उसे सीट मिलती जाएगी.

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कैसे काम करेगी मशीन

TTE के पास नोटपैड के आकार की मशीन होगी, जो इंटरनेट और रेलवे के मेन सर्वर से कनेक्ट होगी. इस मशीन पर संबंधित ट्रेन में यात्रियों की बुक हुई सीटों का चार्ट डिस्प्ले होगा. अब जो यात्री किसी कारणवश ट्रेन में सफर नहीं कर पाएगी, उसकी सीटों का ब्योरा TTE भरेगा और ये सारी जानकारी मेन सर्वर पर चली जाएगी. TTE के क्लिक करने पर जो भी यात्री क्रमानुसार RAC और वेटिंग टिकटों पर यात्रा कर रहे होंगे उन्हें सीट आवंटित हो जाएगी. आसान भाषा में कहें तो वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को वो सीट सेल्फ ट्रांसफर हो जाएंगी और इसका मैसेज उनको मिल जाएगा. इस तरह TTE की हेराफेरी बिल्कुल खत्म हो जाएगी.

कहां शुरू हुआ प्रोजेक्ट?

इस मशीन से लैश होने वाली फिरोजपुर मंडल रेलवे की अमृतसर-नई दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस पहली ट्रेन बन गई है. फिरोजपुर-नई दिल्ली के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस में भी जल्द ही ये व्‍यवस्‍था लागू होगी. अगर दोनों ट्रेनों में ये प्रोजेक्ट सफल रहता है तो आने वाले दिनों में TTE को पैसे देकर सीट पाने की परंपरा खत्म हो सकती है.