Railway Kavach 4.0: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Asheini Vaishnaw) ने स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ATP) कवच 4.0 के एडवांस्ड वर्जन की प्रगति की यहां रेल भवन में समीक्षा की. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि कवच 3.2 संस्करण को स्वीकृति प्रदान किये गए उन मार्गों पर लगाया जा रहा है जिन पर रेलगाड़ियों की अधिक आवाजाही है. उन्होंने कहा कि नये मार्गों पर नवीनतम संस्करण का उन्नयन किया जाना और कवच को लगाने का काम एकसाथ होगा, जिससे कम समय में व्यापक रेलवे नेटवर्क को इसके दायरे में लाया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि वैष्णव ने 22 जून को कवच 4.0 की प्रगति की समीक्षा की. 

कवच 4.0 का चल रहा है ट्रायल

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कवच के तीन विनिर्माता जो संस्करण 4.0 के परीक्षण के उन्नत चरण में हैं, उन्होंने मंत्री को इसकी प्रगति रिपोर्ट पेश की. उन्होंने कहा कि इसकी समीक्षा करने के बाद मंत्री ने निर्देश दिया कि कवच के तैयार होते ही इसे ‘मिशन मोड’ में योजनाबद्ध तरीके से लगाया जाए. 

2016 में हुई शुरुआत

रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) का कहना है कि कवच का विकास रेलवे सुरक्षा में एक मील का पत्थर है. वैष्णव ने पहले भी मीडिया से बातचीत के दौरान कई मौकों पर कहा है कि 1980 के दशक में दुनिया की अधिकांश प्रमुख रेलवे प्रणालियों में एटीपी का उपयोग शुरू कर दिया गया, जबकि भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने 2016 में ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली के पहले संस्करण की स्वीकृति के साथ इसकी शुरुआत की. वर्ष 2019 में, कठोर परीक्षणों और जांच के बाद, इस सुरक्षा प्रणाली को दुनिया में सुरक्षा प्रमाणन का उच्चतम स्तर, एसआईएल4 प्रमाणन प्राप्त हुआ था. 

किन रूट्स पर हुई शुरुआत

रेलवे के अनुसार, इसे 2020 में राष्ट्रीय एटीपी प्रणाली के रूप में अनुमोदित किया गया और कोविड-19 के प्रकोप के बावजूद परीक्षण और विकास जारी रहा. वर्ष 2021 में, प्रणाली के संस्करण 3.2 को प्रमाणित और अपनाया गया और 2022 की अंतिम तिमाही में, दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों पर इसे लगाने का काम शुरू किया गया. ये दोनों काफी व्यस्त रेल मार्ग हैं. 

कैसे काम करता है कवच

स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली की स्थापना से जुड़े विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस तरह की प्रणाली को काम करने के लिए पांच उप-प्रणालियों की आवश्यकता होती है. रेल पटरी के साथ ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, टावर और रेडियो उपकरण तथा आरएफआईडी टैग जैसी तीन उप-प्रणालियां स्थापित की गई हैं, जबकि रेलवे स्टेशनों पर डेटा सेंटर स्थापित किए गए हैं और सिग्नलिंग सिस्टम के साथ एकीकृत किए गए हैं. 

इसके अलावा, कवच का एक और उप-प्रणाली हर ट्रेन और इंजन पर स्थापित किया गया है. अधिकारियों ने कहा कि कवच संस्करण 4.0 के विकास और इसके प्रमाणन के बाद, रेलवे ‘मिशन मोड’ में इसे लगाएगा.