सरकार ने संसद में इस बात से इनकार किया है कि उसने विभिन्न पुराने रेलवे पुलों को कबाड़ के रूप में बेचने का फैसला किया है और साथ ही स्पष्ट किया कि पुलों के बेकार हो चुके हिस्सों का कबाड़ के रूप में निस्तारण किया जाता है. राज्यसभा में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के परिमल नथवानी ने लिखित सवाल के माध्यम से पूछा था कि क्या सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में पुराने पुलों को कबाड़ के रूप में बेचने का फैसला किया है. 

स्टील गर्डर को कबाड़ के रूप में किया निस्तारित 

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रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सवाल के जवाब में कहा,‘नहीं.’ उन्होंने कहा, ‘पुलों के अनुपयोगी हिस्सों, यानी स्टील गर्डर आदि को कबाड़ के रूप में निस्तारित किया जाता है ताकि इनका मूल्य हासिल किया जा सके.’ नथवानी ने यह भी पूछा कि क्या सरकार को जनता के आक्रोश के कारण कुछ पुलों के संबंध में निर्णय को स्थगित करना पड़ा था.  

राज्य सरकार को सौंपे थे गोदावरी पुल और कर्जन पुल    

रेल मंत्री वैष्णव ने इसके जवाब में कहा कि कुछ मामलों में बंद पड़े रेलवे पुलों को संबंधित राज्य सरकार को उसके अनुरोध पर पर्यटन उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने के लिए सौंप दिया जाता है, जैसा कि आंध्र प्रदेश में गोदावरी पुल (हैवलॉक पुल) और उत्तर प्रदेश में कर्जन पुल के मामले में किया गया था. 

नया मोबाइल ऐप विकसित कर रहा है रेलवे

सरकार ने बुधवार को लोकसभा को सूचित किया कि रेल मंत्रालय एक नया मोबाइल ऐप्लिकेशन विकसित कर रहा है, जो उपयोगकर्ताओं को अनारक्षित ट्रेन टिकट बुक करने, शिकायत दर्ज करने और रेलगाड़ियों को ट्रैक करने में सक्षम बनाएगा. तेलुगुदेशम पार्टी के सांसद बी के पार्थसारथी और बी. नागराजू ने रेल सेवाओं के लिए 'सुपर ऐप' लॉन्च करने की सरकार की योजना का मुद्दा उठाया. उन्होंने यह भी जानना चाहा कि "ऐप को व्यावसायिक उपयोग के लिए कब तक लॉन्च किया जाएगा और ऐप को विकसित करने की लागत कितनी होगी."