महिला कर्मचारियों को रेलवे की बड़ी राहत, ये महिलाएं कर सकती हैं अपनी जॉब कैटेगरी बदलने के लिए अप्लाई
Railway Jobs for Women: रेलवे बोर्ड महिला लोको पायलट और रेल पटरी की देखरेख करने वाली महिला कर्मचारियों को अपनी नौकरी की कैटेगरी बदलने का ऑप्शन देने पर विचार कर रही है.
(Source: PTI)
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Railway Jobs for Women: रेलवे बोर्ड महिला चालकों और रेल पटरी का रखरखाव करने वाली कर्मियों को अपनी नौकरी की श्रेणी बदलने का विकल्प देने की मांग पर विचार कर रहा है तथा इसने सभी जोन को ऐसे कर्मचारियों और लंबित आवेदनों की संख्या साझा करने को कहा है. बोर्ड ने चार अक्टूबर को सभी रेलवे जोन को भेजे एक पत्र में कहा कि नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआईआर) ने ‘वुमन ट्रैक मेंटेनर्स’ (पटरी की देखरेख करने वाली महिला कर्मी) और ‘रनिंग स्टाफ’ को अपनी नौकरी की श्रेणी बदलने के लिए एक बार का विकल्प देने का अनुरोध किया है. ‘रनिंग स्टाफ’ में सवारी गाड़ियों और माल गाड़ियों के चालक व ‘गुड्स गार्ड’ आदि कर्मचारी आते हैं.
बोर्ड कर रहा है विचार
रेलवे बोर्ड के लेटर में यह कहा गया है, ''मामला बोर्ड के कार्यालय में विचाराधीन है. इस संबंध में सभी जोनल रेलवे को महिला ट्रैक मेंटेनर्स, एएलपी (सहायक लोको पायलट) की संख्या और अन्य श्रेणियों में काम करने वाली महिला ‘रनिंग स्टाफ’ या महिला कर्मचारियों से उनकी निर्धारित श्रेणियों में बदलाव के लिए लंबित अनुरोधों की संख्या बताने का अनुरोध किया गया है.''
अपनी कैटेगरी बदलने के लिए आवेदन दे सकती हैं ये महिलाएं
सहायक ट्रेन चालकों को सहायक लोको पायलट के रूप में भी जाना जाता है. पटरी की देखरेख करने वाली महिला कर्मियों और सहायक लोको पायलट के संगठनों ने उनके काम की परिस्थितियों को बहुत कठिन और असुरक्षित बताया है, इसलिए वे अपनी नौकरी की श्रेणी को बदलना चाहती हैं. संगठनों ने बताया कि नौकरी की श्रेणी में बदलाव के ज्यादातर अनुरोध कई वर्षों से रेलवे जोन के पास लंबित है.
IRLRO ने किया विरोध
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इंडियन रेलवे लोको रनिंगमेन ऑर्गनाइजेशन (IRLRO) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने इस कदम का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का हल करने के लिए यह सही कदम नहीं है. उन्होंने कहा कि हालांकि, कुछ महिला सहायक लोको पायलट और लोको पायलट को उनकी नौकरी की श्रेणी बदले बगैर कार्यालयों में काम करने की अनुमति दी गई है.
रेलवे से की सुविधा की मांग
पांधी ने कहा, ''समस्या यह है कि जब महिलाएं रेलवे में रनिंग या फील्ड तैनाती पर जाती हैं, तभी उन्हें पता चलता है कि काम कितना कठिन है. सुविधाओं के अभाव के कारण महिला कामगारों के लिए काम करना मुश्किल हो जाता है. उदाहरण के लिए, काम के घंटों की अनिश्चितता और आराम के समय की कमी.''
उन्होंने कहा, ''नौकरी की श्रेणी में बदलाव पर विचार करने के बजाय मैं रेलवे को सुविधाएं देने की सलाह देता हूं ताकि महिला कर्मियों को फील्ड में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.''
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11:01 AM IST