भारतीय रेलवे नई तकनीक की खोज में हमेशा तत्पर रहा है. यही वजह है कि देश को उसका पहला ऑटोमेटिक रेल कोच वॉशिंग प्लांट मिल सका. रेलवे ने इस ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट सबसे पहले भोपाल के पास हबीबगंज रेलवे स्टेशन में तैयार किया है. ये कार वाशिंग प्लांट कई मायने में अनोखा और खास है.
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10 मिनट में धुल जाती है पूरी कोच
हबीब गंज में तैयार की गई ये कोच दस मिनट में पूरी कोच को धो देती है. पहले एक कोच को धोने में काफी मशक्कत, टाइम और कर्मचारियों की जरूरत पड़ती थी. लेकिन अब ये काम मिनटों में होने से बचत ही बचत होने की उम्मीद है.
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90% कम पानी का होता है इस्तेमाल
रेलवे का ये ऑटोमेटेड कोच वॉशिंप प्लांट एंवायरोमेंट फ्रेंडली भी है. ये प्लांट रेल कोच धोने के परंपरागत तरीकों के मुकाबले 90% कम पानी का इस्तेमाल करता है. यानी केवल 10 फीसदी पानी में ही पूरी कोच धुल जाती है. इससे सरकार के जल संरक्षण मिशन को मजबूती मिलती है.
आम कोच वॉशिंग प्लांच में एक कोच को धोने के लिए 1500 लीटर पानी की जरूरत होती है. लेकिन ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट से केवल 300 लीटर पानी में पूरी कोच धुल जाएगी. इस 300 लीटर पानी में भी 80 प्रतिशत पानी रिसाइकल यानी इस्तेमाल किए गए पानी को साफ कर दोबारा इस्तेमाल में लाया जाता है. केवल 20 प्रतिशत पानी ताजा पानी लिया जाता है. यानी प्रति कोच धोने के लिए ताजा पानी केवल 60 लीटर ही लगता है. इसे 96% पानी की बचत होगी यानी सालाना 1.28 करोड़ लीटर पानी की बचत.
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देश भर में बनेंगे ऐसे और वॉशिंग प्लांट
रेलवे बता भी चुका है कि ऐसे वॉशिंग प्लांट रेलवे देश के प्रमुख डिपोज़ में तैयार करेगी. इससे रेलवे का काफी समय, मानवबल और सबसे अहम पानी की बचत हो सकेगी.
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