Kanchanjunga Express Accident: रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संघों ने पश्चिम बंगाल ट्रेन दुर्घटना पर रेल मंत्रालय की उस प्रारंभिक प्रतिक्रिया को लेकर आपत्ति जताई है, जिसमें दुर्घटना के लिए कंचनजंघा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारने वाली मालगाड़ी के चालक को प्रथम दृष्टया दोषी ठहराया गया था. न्यू जलपाईगुड़ी के पास सोमवार को हुई दुर्घटना में चालक सहित 10 लोगों की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए. 

लोको पायलट को न बनाएं बलि का बकरा

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कर्मचारी संघों ने कहा कि चालक को दोषी ठहराना (जो खुद का बचाव करने के लिए जीवित नहीं है) उसे रेलवे की कमियों के लिए ‘‘बलि का बकरा’’ बनाने के समान है. 

चार रात से ड्यूटी पर था लोको पायलट

भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (IRLRO) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा कि, "चालक ने कथित तौर पर चार रात तक ड्यूटी की. मुझे पता चला है कि वह ड्यूटी करने को अनिच्छुक था. यह निर्धारित नियमों के खिलाफ है." 

ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा, "रेलवे बोर्ड की ओर से यह कहना बेहद असंवेदनशील है कि चालक ने लाल सिग्नल को पार कर लिया, जिसके कारण दुर्घटना हुई." 

जांच पूरी होने का करें इंतजार

उन्होंने कहा, "रेलवे बोर्ड को मेरी सलाह है कि ऐसे मामलों में किसी कर्मचारी को दोषी ठहराने के बजाय जांच पूरी होने तक इंतजार करे. मुझे नहीं लगता कि दुर्घटना के लिए चालक पूरी तरह जिम्मेदार है." 

लोको पायलटों पर काम का दबाव

रेलवे बोर्ड ने सोमवार को स्वीकार किया कि रानीपतरा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट जंक्शन के बीच ‘सिग्नल फेल’ हो गया था. नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआईआर) के महासचिव एम. राघवैया ने रिक्त पदों और लोको पायलट पर काम के बोझ के दवाब को भी रेखांकित किया. 

राघवैया ने कहा, "लोको पायलट के 15 प्रतिशत पद रिक्त हैं. यह एक महत्वपूर्ण श्रेणी का पद है. उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिलता और न ही अपने सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए छुट्टी मिलती है."