ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों के लिए बड़ी खबर है. अब ट्रेन में कन्‍फर्म सीट की समस्‍या से उन्‍हें जल्‍द ही छुटकारा मिलेगा. रेल यात्रा को बेहतर बनाने के लिए सरकार की तरफ से मेगा प्‍लान तैयार किया गया है. अगले दो वर्षों स्‍लीपर कोच के प्रोडक्‍शन पर सरकार का पूरा फोकस रहेगा. इसके लिए भारतीय रेलवे ने 10,000 नॉन-एसी कोचों के उत्पादन की योजना बनाई है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ये ऐलान किया है.

जानिए रेल मंत्री ने क्‍या कहा

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रेलमंत्री ने रेलवे का मेगा प्‍लान बताते हुए कहा कि रेलवे का फोकस हमेशा लोअर/लोअर मिडिल और मिडिल सेगमेंट में रहा है. इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसे राजनीतिक रूप देकर नए तरह का नरेशन तैयार किया जा रहा है. स्लीपर कोच का उत्पादन बढ़ा रहे हैं. आम यात्रियों के जीवन को आसान बनाने के लिए भारतीय रेलवे ने अगले दो वर्षों में लगभग 10,000 नॉन-एसी कोचों के उत्पादन की योजना बनाई है. 

False Narrative बनाने वालों को उसी भाषा में जवाब दें

17 जोन में से 11 जोन की पंक्चुअलिटी बेहतर है. इसको और बेहतर करेंगे. हम 24*7 यात्रियों के लिए काम कर रहे हैं, कर्मचारियों के लिए सरकार और मंत्रालय भी उपलब्ध है. मैं रेलवे और कर्मचारियों को आश्वासन देता हूं, उन्‍हें सभी तरह की सहायता और सहयोग मिलेगा. जो राजनीति और False Narrative बनाने का प्रयास कर रहे हैं उनको उसी भाषा में जवाब दें.

ये है अगले दो सालों की योजना

अधिकारियों के अनुसार- वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 के दौरान लगभग 10000 कोचों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जिसमें रिकॉर्ड संख्या में 5300 से अधिक जनरल कोच शामिल हैं. वित्त वर्ष 2024-25 में रेलवे की योजना अमृत भारत जनरल कोचों सहित 2605 जनरल कोच, अमृत भारत स्लीपर कोचों सहित 1470 नॉन एसी स्लीपर, अमृत भारत एसएलआर कोचों सहित 323 एसएलआर कोच, 32 उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन और 55 पेंट्री कार बनाने की है.

वित्त वर्ष 2025-26 में, रेलवे ने अमृत भारत जनरल कोच सहित 2710 जनरल कोच, अमृत भारत स्लीपर कोच सहित 1910 नॉन एसी स्लीपर, अमृत भारत एसएलआर कोच सहित 514 एसएलआर कोच, 200 उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन और 110 पेंट्री कार बनाने की योजना बनाई है. रेल सेवा की मांग गतिशील है और मौसमी बदलावों, यात्री यातायात की वृद्धि आदि के आधार पर घटती/बढ़ती रहती है. कोचों की आवश्यकता इन कारकों पर आधारित होती है और वार्षिक कोच उत्पादन कार्यक्रम में शामिल हो जाती है. कोचों का उत्पादन आम तौर पर आवश्यकता के अनुरूप होता है.