ट्रेनों में आसानी से मिल सकेगी कनफर्म सीट, रेलवे ने आधुनिक तकनीक के जरिए की ये प्लानिंग
रेल यात्रियों को अधिक से अधिक कनफर्म सीटें उपब्लध कराने के साथ ही ट्रेनों को चलाने का खर्च बचाने के लिए भारतीय रेलवे अपनी सभी प्रीमियम ट्रेनों को हेड ऑन जनरेशन (HOG) तकनीक के जरिए चलाने की योजना पर काम कर रही है. कुछ ट्रेनों को पहले से इस तकनीक के तहत चलाया जा रहा है.
रेल यात्रियों को अधिक से अधिक कनफर्म सीटें उपब्लध कराने के साथ ही ट्रेनों को चलाने का खर्च बचाने के लिए भारतीय रेलवे अपनी सभी प्रीमियम ट्रेनों को हेड ऑन जनरेशन (HOG) तकनीक के जरिए चलाने की योजना पर काम कर रही है. कुछ ट्रेनों को पहले से इस तकनीक के तहत चलाया जा रहा है.
हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) तकनीक के प्रयोग से ट्रेन के डिब्बों में बिजली की सप्लाई इंजन के जरिए होने के चलते पावर कार की जरूरत खत्म हो जाएगी. एक AC ट्रेन में सामान्य तौर पर दो पावर कार लगाई जाती हैं जिनकी जरूरत हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) तकनीक के प्रयोग के दौरान नहीं होती है. ऐसे में इन पावर कार को हटा कर इनकी जगह पर सामान्य यात्री डिब्बे लगाए जा सकते हैं. यदि किसी ट्रेन में दो डिब्बे बढ़ा दिए जाते हैं तो लगभग 140 यात्रियों को रेलगाड़ी में आसानी से सीट उपलब्ध उपलब्ध कराई जा सकेगी. सभी प्रीमियम ट्रेनों में HOG तकनीक के प्रयोग से हर दिन इन ट्रेनों में लगभग 4 लाख तक अतिरिक्त सीटें उपलब्ध होने की संभावना जताई जा रही है. इस तकनीक की वजह से रेलवे को ईंधन में सालाना 6000 करोड़ रुपए की बचत होगी.