रेलवे में इस तकनीक को पूरे हुए दस साल, जल्द डीजल इंजन हो जाएंगे बीते दिनों की बात
रेलवे लाइनों के इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शुरू हुए 10 साल पूरे हो गए हैं. पहली बार 01 मार्च 2010 को भारतीय रेलवे में बोरीवली (borivali) से विरार (Virar) के बीच पहली बार अटरनेटिव करेंट सिस्टम (Alternate Current AC system ) को शुरू किया गया था.
रेलवे लाइनों के इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शुरू हुए 10 साल पूरे हो गए हैं. पहली बार 01 मार्च 2010 को भारतीय रेलवे में बोरीवली (borivali) से विरार (Virar) के बीच पहली बार अटरनेटिव करेंट सिस्टम (Alternate Current AC system ) को शुरू किया गया था. इस तकनीक के इस्तेमाल से जहां प्रदूषण में कमी आई है वहीं गाड़ियों की स्पीड बढ़ाने में भी मदद मिली है. भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने 2024 तक पूरे देश में रेलवे लाइनों के इलेक्ट्रिफिकेशन का लक्ष्य रखा है.
2024 तक पूरे देश में होगा इलेक्ट्रिफिकेशन
केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने 2024 तक देश में इस्तेमाल किए जा रहे सभी डीजल इंजन (Diesel Engines) हटाने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा है कि 2024 तक रेलवे के पूरे नेटवर्क को इलेक्ट्रिक कर दिया जाएगा. इसका मतलब ये हुआ कि देश के हर रूट पर इलेक्ट्रिक इंजन (Electric Engines) के जरिए ही ट्रेनें चलाई जाएंगी.
कार्बन उत्सर्जन कम करने का तैयार हुआ प्लान
केंद्र वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक भारतीय रेलवे (Indian Railways) दुनिया का पहला ऐसा रेलवे होगा, जो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होगा. साथ ही हम दुनिया के पहले रेल नेटवर्क होंगे, जो 2030 तक कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) से मुक्त होगा और स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) से ट्रेनें चलाएंगे. उन्होंने कहा कि भारत इस परियोजना में ब्राजील (Brazil) को शामिल करने को लेकर काफी उत्साहित है.
जरूरत पूरी करने को सौर ऊर्जा उत्पादन कर रहा है रेलवे
गोयल ने बताया था कि अगले 3-4 साल में पूरे रेलवे के विद्युतीकरण का लक्ष्य रखा गया है, जिससे यह दुनिया की पहली कार्बन उत्सर्जन मुक्त रेलवे बनेगी. रेलवे अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा (Solar Energy) का उत्पादन भी कर रहा है. उन्होंने बताया था कि सरकार पुराने कोयला संयंत्र को खत्म करने का काम कर रही है. इससे प्रदूषण को खत्म करने में मदद मिलेगी. केंद्र सरकार जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए रेलवे के विद्युतीकरण पर जोर दे रही है. इसी योजना के तहत अलग-अलग व्यस्त रूट पर डीजल इंजन की संख्या घटाकर इलेक्ट्रिक इंजन बढ़ाए जा रहे हैं.
इस तकनीक से बच रहा लाखों का डीजल
भारतीय रेलवे (Indian Railways) के दिल्ली मंडल (Delhi Division) ने 39 जोड़ी प्रीमियम तथा एक्सप्रेस गाड़ियों को हेड ऑन जनरेशन (H.O.G) प्रणाली में बदलने में सफलता पाई है. इन गाड़ियों को इस तकनीक से चलाए जाने से एक तरफ जहां बिजली की बचत हो रही है वहीं ट्रेनों में डिब्बे बढ़ाए जाने से ज्यादा लोगों को कन्फर्म सीट भी मिल रही है. अभी दिल्ली मंडल में 11 जोड़ी शताब्दी, 08 राजधानी, 02 दूरंतो, 02 हमसफर तथा 16 एक्सप्रेस गाड़ियां इस एच.ओ.जी. तकनीक के जरिए चलाई जा रही हैं. रेलवे के दिल्ली मंडल के रेल प्रबंधक एस.सी. जैन ने कहा कि HOG तकनीक का इस्तेमाल करने पर डीजल की खपत नहीं होती है. इससे वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी. उन्होंने बताया कि HOG तकनीक की शुरुआत के साथ जनरेटर कारों की डीजल खपत पर हर वर्ष होने वाले लगभग 65 करोड़ रुपये के खर्च की भी बचत होगी.