भारतीय रेल (Indian Railways) ने शुक्रवार को रेलवे से जुड़ी टेक्नोलॉजी कवच (Kavach) का रेल मंत्री (Railways Minister Ashwini Vaishnaw) की मौजूदगी में ट्रायल किया. यह सफल ट्रायल लिंगमपल्ली - विकाराबाद सेक्शन (दक्षिण मध्य रेलवे) पर किया गया. क्या आप इस कवच के बारे में जानते हैं? कवच दरअसल देश में डेवलप किया गया ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (automatic train protection system) है. रेलवे ने इसे भारत में बना, भारत का कवच (Bharat ka Kavach) बताया है. इसका मकसद ट्रेनों की टक्कर को रोकना है, ताकि दुर्घटनाएं न हों और लोगों की जान न जाए.  

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आमने सामने की टक्कर को रोकती है टेक्नोलॉजी

अगर एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनें आमने सामने हों तो Kavach टेक्नोलॉजी ट्रेन की स्पीड कम कर इंजन में ब्रेक लगाती है. इससे दोनों ट्रेनें आपस में टकराने से बच जाएंगी. रेल मंत्री ने कहा कि 2022-23 में कवच टेक्नोलॉजी को इस साल 2000 किलोमीटर रेल नेटवर्क पर इस्तेमाल में लाया जाएगा. इसके बाद हर साल 4000-5000 किलोमीटर नेटवर्क जुड़ते जाएंगे.

आरडीएसओ ने किया है डेवलप

कवच टेक्नोलॉजी को देश के तीन वेंडर्स के साथ मिलकर आरडीएसओ (Research Design and Standards Organisation) ने डेवलप किया है. भारतीय रेल ने यह कवच टेक्नोलॉजी खुद डेवलप किया है, ताकि पटरी पर दौड़ती ट्रेनों की सेफ्टी सुनिश्चित की जा सके. आरडीएसओ ने इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए ट्रेन की स्पीड लिमिट 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक रखी है. 

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इस रूट पर पहले होगा इस्तेमाल

कवच (Kavach) को साल 2020 में नेशनल ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम के तौर पर अपनाया गया था. कवच एक SIL-4 प्रमाणित टेक्नोलॉजी है, यह सेफ्टी का हाइएस्ट लेवल है. कवच को दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-हावड़ा, स्वर्णिम चतुर्भुज और स्वर्ण विकर्ण रूट पर इस्तेमाल पहले किया जाएगा.