Indian Railways Interesting Facts: रेल हर किसी के लिए यात्रा का सबसे सुविधाजनक साधन है. लोगों का मानना है कि रेल यात्रा अन्य परिवहन साधनों की तुलना में अधिक सुविधाजनक, आरामदायक और सुरक्षित है. यही वजह है कि ज़्यादातर लोग भारतीय रेलवे का इस्तेमाल करते हैं, खासकर तब जब उन्हें लंबी दूरी की यात्रा करनी हो. सबसे बड़ी बात यह है कि देश के हर वर्ग के लोग रेल यात्रा का खर्च उठा सकते हैं. यात्रा करते समय आपके मन में कभी न कभी यह विचार जरूर आया होगा कि क्या कोई व्यक्ति कभी ट्रेन का मालिक बन सकता है या क्या कभी कोई ट्रेन का मालिक बना है?

ट्रेन का मालिक किसान

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये उस समय की बात है जब दुनिया इतनी विकसित नहीं थी, तब राजा-महाराजाओं के पास हाथी, घोड़े, पालकी और सुख-सुविधा के हर साधन हुआ करते थे. जब समय बदला और लोगों ने तरक्की करनी शुरू की तो अमीर लोग तकनीक से भरपूर प्राइवेट जेट, लग्जरी कार आदि का इस्तेमाल कर मौज-मस्ती करने लगे. लेकिन आज तक आपने कभी नहीं सुना होगा कि कोई अपनी प्राइवेट ट्रेन में सफर कर रहा हो. क्योंकि भारतीय रेलवे भारत सरकार के अधीन है. लेकिन भारत में एक किसान ऐसा भी है जिसके नाम पर खुद की ट्रेन थी.

साल 2007 का है मामला

दरअसल, हम बात कर रहे हैं पंजाब के लुधियाना के कटाना गांव के रहने वाले किसान संपूर्ण सिंह की. मामला यह है कि साल 2007 में लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे ट्रैक बनाया जा रहा था. इस लाइन को बनाने के लिए रेलवे ने वहां के स्थानीय किसानों से जमीन खरीदी थी. उस समय रेलवे ने 25 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन खरीदी थी. वहीं, रेलवे ने पास के गांव के किसानों से 71 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन खरीदी थी. इसके बाद संपूर्ण सिंह इस मामले को लेकर तुरंत कोर्ट चले गए.

कोर्ट ने बढ़ाई मुआवजे की राशि

कोर्ट ने अपने पहले आदेश में मुआवज़ा राशि 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख कर दी थी, लेकिन फिर इसे बढ़ाकर 1.47 करोड़ से ज़्यादा कर दिया गया. पहली याचिका 2012 में दायर की गई थी. कोर्ट ने उत्तर रेलवे को 2015 तक भुगतान करने का आदेश दिया था. रेलवे ने सिर्फ़ 42 लाख रुपये का भुगतान किया, जबकि 1.05 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया. 

2017 में ट्रेन का मालिक बना किसान

रेलवे इतनी बड़ी राशि का भुगतान करने में असमर्थ था. जब रेलवे ने मुआवज़ा राशि का भुगतान नहीं किया, तो मामला फिर से जिला एवं सत्र न्यायालय में पहुंचा. 2017 में कोर्ट ने रेलवे के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का फ़ैसला किया और लुधियाना स्टेशन पर ट्रेन नंबर 12030 को ज़ब्त करने का आदेश दिया.

गौरतलब है कि अब वो ट्रेन के मालिक बन चुके थे. इस तरह वो भारत के इकलौते व्यक्ति बन गए जो ट्रेन के मालिक थे. हालांकि, सेक्शन इंजीनियर ने कोर्ट के अधिकारी के जरिए ट्रेन को 5 मिनट में ही मुक्त करवा लिया. इस हिसाब से संपूर्ण सिंह 5 मिनट के लिए ट्रेन का मालिक बन गए थे. रिपोर्ट्स की मुताबिक यह मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है.