वंदे भारत स्लीपर ट्रेन हो गए 50% तक महंगे? TMC सांसद ने लगाया आरोप तो जान लीजिए रेलवे ने क्या कहा
Vande Bharat Sleeper Train Cost: टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के टेंडर को संशोधित करते हुए 50 फीसदी तक इसका लागत बढ़ा दिया है.
Vande Bharat Sleeper Train Cost: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज अहमदाबाद में देश की पहली वंदे मेट्रो (Namo Bharat Rapid Rail) को हरी झंडी दिखाई. इसके साथ ही पीएम मोदी ने 5 वंदे भारत एक्सप्रेस और 20 कोच वाली पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी दिखाई है. लेकिन इन सबके बीच टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के टेंडर को संशोधित करते हुए 50 फीसदी तक इसका लागत बढ़ा दिया है.
50 फीसदी महंगी हो गई वंदे भारत स्लीपर ट्रेन
टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट शेयर कर कहा कि मोदी सरकार ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेन (Vande Bharat Sleeper Train) के कॉन्ट्रैक्ट की लागत को दोगुना कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि पहले जिस ट्रेन की लागत 290 करोड़ रुपये होने वाली थी, उसकी कीमत अब 436 करोड़ रुपये हो गई है.
गोखले ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को बनाने के लिए 58000 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट को संशोधित कर दिया है. ये ऑर्डर केवल वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के एसी कोच को बनाने के लिए दिया जा रहा है. जिससे गरीब लोग सफर नहीं कर सकते हैं. ऐसे में वंदे भारत ट्रेन के कॉन्ट्रैक्ट में इस 50 फीसदी लागत के बढ़ने से किसे फायदा होगा?
200 ट्रेनों का ऑर्डर घटा
दरअसल, गोखले ने अपने पोस्ट में बताया कि 2023 में रेलवे ने 58000 करोड़ रुपये में 200 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों को बनाने का ऑर्डर दिया था, जिसे घटाकर 133 कर दिया गया है. ऐसे में पहले जहां हर ट्रेन की लागत 290 करोड़ रुपये (58000/200) आने वाली थी, अब वह करीब 436 करोड़ रुपये (58000/133) प्रति ट्रेन पड़ने वाली है.
रेलवे ने कहा- गलत जानकारी न फैलाएं
गोखले के पोस्ट का जवाब देते हुए रेलवे ने कहा कि कृपया गलत सूचना और फर्जी खबरों को फैलाना बंद करें. अगर आप प्रति कोच की लागत को कोचों की संख्या को देखें, तो ट्रेन की लागत पहले जितनी ही हैं.
उतनी ही कोचों का होगा निर्माण
रेलवे ने बताया कि हमारे कॉन्ट्रैक्ट में कोचों की कुल संख्या को उतना ही रखा गया, जितना पहले था. हालांकि, ट्रेनों को और लंबा बनाने के लिए हर ट्रेन में 16 कोच के मुकाबले 24 कोच को लगाया जाएगा. पहले 16 कोच वाली 200 ट्रेनों को बनाने का ऑर्डर था, जिसे संशोधित करके 24 कोच वाली 133 ट्रेनों का ऑर्डर दिया गया है. ऐसे में दोनों ही स्थिति में करीब 3200 कोचों को निर्माण होना है.