भारत जैसे बड़े देश में लोगों को अक्सर लंबा सफर तय करना पड़ता है. अक्सर लंबे और आरामदायक सफर के लिए लोग ट्रेन को ही चुनते हैं. लेकिन लंबी दूरी के सफर में कई बार किसी दुर्घटना का शिकार होने का या फिर उसकी वजह से फिजिकल इंजरी का खतरा भी रहता है. हादसे बता कर पेश नहीं आते. ऐसी किसी भी अनहोनी की स्थिति में भारतीय रेलवे अपनी ट्रेनों में ट्रैवल करने वाले पैसेंजर्स को ट्रैवल इंश्योरेंस देती है. लेकिन अक्सर लोग जानकारी नहीं होने के कारण इस सुविधा का फायदा नहीं ले पाते हैं. ये सुविधा आपको स्लीपर या अन्य किसी कोच में रिजर्वेशन कराने के समय मिलती हैं. आमतैर पर हम रिजर्वेशन ऑनलाइन या ऑफलाइन कराते हैं. ऑनलाइन रिजर्वेशन कराते समय आपको रेलवे की वेबसाईट या ऐप पर जाना होता है. अपना टिकट बुक करते समय ही आपको ट्रैवल इंश्योरेंस वाले ऑप्शन को सिलेक्ट करना होता है. इसी तरह से ऑफलाइन रिजर्वेशन कराते समय रेलवे स्टेशन की टिकट विंडो पर जाना होगा. और यहां भी ध्यान रखें कि टिकट बुक करते समय आपने ट्रैवल इंश्योरेंस के ऑप्शन को चुना हो.

रेलवे कैसे देती है पैसा

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आप जब भी रेलवे की वेबसाइट, ऐप या फिर अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए टिकट बुकिंग करते हैं तो आपको ट्रैवलिंग इंश्योरेंस नाम से एक ऑप्शन मिलेगा. इसके लिए आपको सिर्फ 1 रुपये का चार्ज देना होता है. ट्रैवल इंश्योरेंस आपको यात्रा के दौरान होने वाली किसी भी दुर्घटना से हुए फिजिकल नुकसान के लिए आर्थिक मदद देता है.  रेलवे की तरफ से दिया जाने वाला ट्रैवल इंश्योरेंस एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (SBI General Insurance Corporation Limited) और लिबर्टी जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड (Liberty General Insurance Limited) के सहयोग से दिया जाता है.

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क्या है रेलवे के ट्रैवल इंश्योरेंस में खास

अगर आप भारतीय रेलवे के ट्रैवलिंग इंश्योरेंस के ऑप्शन को सिलेक्ट करते हैं तो इसके जरिए एक्सीडेंट में मौत हो जाने पर परिवार को 10 लाख तक की आर्थिक मदद दी जाएगी. इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति  एक्सीडेंट में पूरी तरह से दिव्यांग हो जाता है, तो रेलवे उसे 10 लाख रुपये का भुगतान करती है. इसी तरह से भारतीय रेलवे आंशिक दिव्यांग होने पर 7,50,000 रुपये का भुगतान करती है. एक्सीडेंट में गंभीर घायल व्यक्ति को 2,00,000 रुपये दिए जाते हैं. और हल्की चोट आने पर रेलवे की ओर से 10 हजार रुपये घायलों को ट्रीटमेंट के लिए दिए जाते हैं.