रेलवे की इस फैक्ट्री से निकला 100 वां लोको , यहां बनते हैं फौलादी इंजन
रेलवे के चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप की दानकुनी स्थित फैक्ट्री से सोमवार को 100 वां इंजन बन कर बाहर निकला. पश्चिम बंगाल स्थित दानकुनी में इस वर्कशॉप को रेलवे ने 2014 में लगाया था. इस वर्कशॉप से पहला इंजन मार्च 2016 में निकला था.
रेलवे के चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप की दानकुनी स्थित फैक्ट्री से सोमवार को 100 वां इंजन बन कर बाहर निकला. पश्चिम बंगाल स्थित दानकुनी में इस वर्कशॉप को रेलवे ने 2014 में लगाया था. इस वर्कशॉप से पहला इंजन मार्च 2016 में निकला था.
रेलवे की इस फैक्ट्री में बना 100 वां इंजन
रेलवे की इस फैक्ट्री में इलेक्ट्रिक लोको की असेम्बलिंग होती है. इस फैक्ट्री में बने हुए WAG9 फ्रेट लोकोमोटिव पूरे देश में मालगाड़ियों में चलाए जा रहे हैं. ये इंजन लगभग 6000 हॉर्स पावर पैदा करते हैं जो किसी काफी बड़ी मालगाड़ी को देश के किसी भी कोने तक आसानी से ले जाते हैं.
रेलवे के इस लोको शेड को मिलेगा ये इंजन
दानकुनी स्थित फैक्ट्री में बेहद एडवांस मशीनें हैं. यहां बहुत तेजी से और बेहतर क्वालिटी का प्रोडक्शन होता है. यहां बने 100 वें लोकोमोटिव को साउथ इस्टर्न रेलवे के बंडामुंडा इलेक्ट्रिक लोको शेड को भेजा जाएगा.
साढ़े तीन साल में बनाए 100 लोको
रेलवे की दानकुनी स्थित फैक्ट्री में में कुल 411 कर्मचारी काम कर रहे हैं. इन कर्मचारियों ने सिर्फ 3.5 साल में 100 इंजन बना कर रिकॉर्ड बनाया है. इन कर्मचारियों को आधुनिक मशीनों के लिए समय - समय पर ट्रेनिंग भी दी जाती है.