Indian Railways: भारतीय रेलवे ने ₹80 करोड़ प्रति ट्रेन की अनुमानित लागत और ₹70 करोड़ प्रति रूट की ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत पर "हाइड्रोजन फॉर हैरिटेज" (Hydrogen for Heritage) प्रोग्राम के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की परिकल्पना की है. ये हाइड्रोजन ट्रेनें देश के अलग-अलग हेरिटेज और पहाड़ी रूटों पर चलाई जाएंगी. इसके साथ ही भारतीय रेल ने ₹111.83 करोड़ की लागत से मौजूदा डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) रेक पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल के रेट्रो फिटमेंट के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट भी दिया है, जिसे जींद-सोनीपत सेक्शन पर चलाने की योजना है. उत्तर रेलवे के जींद-सोनीपत रेल सेक्शन पर पहले प्रोटोटाइप का फील्ड परीक्षण 2023-2024 में शुरू होने की उम्मीद है.

पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगी हाइड्रोजन ट्रेन 

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भारतीय रेल के परिदृश्य में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों की परिचालन लागत स्थापित नहीं की गई है. ये अनुमान लगाया गया है कि हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों की शुरुआती संचालन लागत ज्यादा होगी लेकिन बाद में ट्रेनों की संख्या में बढ़ोतरी होने के साथ ये लागत कम होती चली जाएगी. इसके अलावा, ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए हरित परिवहन प्रौद्योगिकी की दिशा में बड़ा लाभ प्रदान करता है.

साल के अंत में पटरियों पर हाइड्रोजन ट्रेन उतारने का प्लान

ये जानकारी केंद्रीय रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी. बताते चलें कि बजट 2023-24 में रेलवे के लिए 2.40 लाख करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की गई है. जिसके तहत भारतीय रेल पटरियों पर हाइड्रोजन ट्रेनें भी उतारने की तैयारियों में जुट गया है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बजट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि इस साल के अंत तक हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें पटरियों पर आ जाएंगी.