भारत में चलने वाली बुलेट ट्रेन कितनी सुरक्षित, 50 साल से जापान में एक बार भी नहीं हुआ रेल हादसा
कंचनजंघा एक्सप्रेस के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए, इसके बाद आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद 'रावण' ने कहा, 'सामान्य जनता के लिए बेहतर रेल सुरक्षा और सुरक्षा प्रणाली बुलेट ट्रेन से अधिक महत्वपूर्ण है.' जानिए कितनी सुरक्षित है जापान की बुलेट ट्रेन.
Bullet Train: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सोमवार सुबह एक मालगाड़ी के पीछे से टक्कर मारने के कारण सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए, जिससे कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 41 अन्य घायल हो गए. इसके बाद आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद 'रावण' ने कहा, 'सामान्य जनता के लिए बेहतर रेल सुरक्षा और सुरक्षा प्रणाली बुलेट ट्रेन से अधिक महत्वपूर्ण है.' हालांकि, भारत में बुलेट ट्रेन अभी दूर है लेकिन, जापान में पिछले 50 साल से एक भी रेल हादसा नहीं हुआ है. जापान पहली बार साल 1964 में पटरियों पर दौड़ी थी.
Bullet Train: मुंबई से अहमदाबाद तक चलेगी E-5 सीरीज की बुलेट, खास है सिक्युरिटी सिस्टम
मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली बुलेट ट्रेन शिनकानसेन ई-5 सीरीज की बुलेट ट्रेन है. इसमें भूकंप से बचने के लिए खासतौर पर ऑटोमैटिक एयर ब्रेक होते हैं. N700s सुप्रीम शिनकानसेन ट्रेनों में पूर्ण सक्रिय निलंबन और भूकंप या दूसरी इमरजेंसी स्थितियों के दौरान सिक्युरिटी स्टॉप के लिए एक नया एटीसी ब्रेकिंग सिस्टम होता है. इसके अलावा, अल्फा एक्स ट्रेन में सबसे नई सुरक्षा तकनीक शामिल है. इसमें पारंपरिक ब्रेकिंग सिस्टम के अलावा, छत पर एयर ब्रेक और धीमा करने के लिए रेल के पास चुंबकीय प्लेटें भी शामिल हैं.
Bullet Train: जापान की हाल ही में हुई रेल दुर्घटना, नहीं हुई कोई जान-माल की हानि
जापान की हाल की रेल दुर्घटना की बात करें तो मार्च 2022 में एक 7.4 तीव्रता के भूकंप ने शिरोईशी-ज़ाओ और फुकुशिमा के बीच एक बुलेट ट्रेन को पटरी से उतार दिया. ट्रेन में सवार 75 यात्रियों और तीन क्रू सदस्यों को कोई चोट नहीं आई. अप्रैल 2019 में एक भूकंप के कारण तोहोकू शिंकानसेन ट्रेन पटरी से उतर गई. ट्रेन के स्वचालित सुरक्षा प्रणालियों ने दुर्घटना को रोका. अक्टूबर 2004 में निईगाता चुएत्सु भूकंप के दौरान नगाोका के पास जोएत्सु शिंकानसेन ट्रेन पटरी से उतर गई. यह शिंकानसेन के 40 साल के इतिहास में पहली पटरी से उतरने की घटना थी. कोई यात्री घायल नहीं हुआ.
गुवाहाटी-दिल्ली मार्ग पर नहीं थी कवच टेक्नोलॉजी
गुवाहाटी-दिल्ली मार्ग पर जहां सोमवार को सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस में एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मारी वहां ‘कवच’ या ट्रेन टक्कर रोधी प्रणाली उपयोग में नहीं थी. रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि इस मार्ग के लिए स्वचालित टक्कर रोधी ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ की योजना बनाई जा रही है. जया सिन्हा ने कहा कि ‘कवच’ का क्रियान्वयन मिशन मोड पर किया जा रहा है. यह 1,500 किमी रेलवे ट्रैक पर पहले से ही क्रियाशील है, जबकि इस वर्ष के अंत तक इसमें 3,000 किलोमीटर और जोड़ दिए जाएंगे.