अगले 3-4 सालों में शुरू होगा वंदे भारत ट्रेन का एक्सपोर्ट, देश की पटरियों पर जल्द दौड़ेंगी टिल्टिंग टेक्नोलॉजी से लैस रेलगाड़ी
Indian Railways to Export Vande Bharat Express Train: भारतीय रेलवे साल 2025-26 तक यूरोप, दक्षिण अमेरिका और पूर्वी एशिया के बाजारों में वंदे भारत ट्रेनों का निर्यात (Export) करने की तैयारी कर रहा है.
Indian Railways to Export Vande Bharat Express Train: भारतीय रेलवे साल 2025-26 तक यूरोप, दक्षिण अमेरिका और पूर्वी एशिया के बाजारों में वंदे भारत ट्रेनों का निर्यात (Export) करने की तैयारी कर रहा है. एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि स्लीपर क्लास वाली स्वदेशी ट्रेनों का नया वर्जन साल 2024 की पहली तिमाही तक आ जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि रेलवे अगले कुछ सालों में 75 वंदे भारत ट्रेनों के जरिए 10-12 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने की योजना बना रहा है.
अगले 3 सालों में 475 वंदे भारत ट्रेन बनाने की राह पर भारतीय रेल
अधिकारी ने कहा, ''ट्रेनों के निर्यात के लिए अगले दो से तीन सालों में प्लान तैयार किया जाएगा. हम अगले तीन सालों में 475 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण करने की राह पर हैं और एक बार उनका सफलतापूर्वक संचालन होने के बाद वैश्विक बाजारों में हमारे उत्पादों के लिए भरोसा होगा. वंदे भारत ट्रेनें सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करती हैं.'' उन्होंने कहा कि इन ट्रेनों में यात्रियों को किसी तरह का कोई झटका नहीं लगता है और शोर का स्तर विमान के मुकाबले 100 गुना कम है.
साल 2025-26 तक पटरियों पर दौड़ने लगेंगी टिल्टिंग टेक्नोलॉजी से लैस ट्रेन
अधिकारी ने कहा कि भारत को साल 2025-26 तक अपनी पहली टिल्टिंग (झुकने में सक्षम) ट्रेनें मिलेंगी. ‘टिल्टिंग ट्रेनों’ में ऐसी व्यवस्था होती है, जिससे ‘ब्रॉड-गेज ट्रैक’ पर उनकी गति तेज होती है. वहीं मोड़ आने पर वे झुकने में सक्षम होते हैं. इस तकनीक का इस्तेमाल करके 100 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया जा रहा है, जिसकी मदद से ट्रेनें घुमावदार मोड़ पर मोटरसाइकिल की तरह तेजी से झुक कर आसानी घूम सकेंगी.
टेक्नोलॉजी पार्टनर के साथ टाई-अप करेगी रेलवे
उन्होंने कहा कि साल 2025 तक बनने वाली 400 वंदे भारत ट्रेनों में से 100 ट्रेनों में ये तकनीक होगी. अधिकारी ने कहा, ''हमारे पास झुकने में सक्षम ट्रेनें होंगी. हम इसके लिए एक टेक्नोलॉजी पार्टनर के साथ टाई-अप करेंगे. हमारे पास अगले दो से तीन सालों में 100 वंदे भारत ट्रेनों में ये तकनीक होगी.''
पीटीआई इनपुट्स के साथ