Train AC weight and other facts: रेलवे में एसी कोच का किराया बाकी सभी कोच के किरायों के मुकाबले सबसे अधिक होता है. गर्मी हो या सर्दी ट्रेन का ए.सी हमेशा चलता है. एक कोच में लगभग 72 यात्री सफर करते हैं. ऐसे में ए.सी सैकड़ों यात्रियों का सफर आरामदायक बनाता है. लेकिन,  क्या आपने सोचा है कि ट्रेन के ए.सी का वजन कितना होता है? इसी सवाल का जवाब आपको आज यहां पर मिलने वाला है.  

ट्रेन के हिसाब से अलग-अलग मानक

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ट्रेन का ए.सी कितने टन का होगा, इसके मानक ट्रेन के हिसाब से अलग-अलग होते हैं. हाई स्पीड ट्रेनों  की बोगियों में ए.सी का फॉर्मूला अलग होता है. वहीं, सबसे पुरानी कोच फैक्ट्री यानी इंटीग्रल कोच फैक्ट्री का फॉर्मूला अलग होता है. यहां फर्स्ट ए.सी कोच में 6.7 टन यूनिट ए.सी लगाया जाता है. इस कारण इस कोच का किराया सबसे अधिक होता है. इसके बाद सेकंड ए.सी में 5.2 टन यूनिट ए.सी लगाया जाता है. थर्ड ए.सी में सात टन का ए.सी लगाया जाता है. इसके अलावा ए.सी चेयर कार बोगी में 6.6 टन के दो यूनिट ए.सी लगाया जाता है.   

LHB कोच में सबसे ज्यादा वजन का एसी

भारतीय ट्रेन की मॉर्डन बोगियों यानी लिंक हाफमैन बुश कोच (LHB) में  ए.सी का वजन ज्यादा होता है. इसके सभी डिब्बों में 14 टन के एसी होते हैं. दरअस एसी 2 कोच में सात टन के दो ए.सी लगाए जाते हैं. इस ट्रेन में डबल डेकर कोच की भी सुविधा होती है. इनमें 10 टन के 2 ए.सी लगाए जाते हैं. इन ट्रेन की स्पीड भी अधिक होती है. इसके अलावा ट्रेन में आईसीएफ कोच भी होते हैं. आईएसएफ के फर्स्ट क्लास एस कोच में संख्या कम होती है. 

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आपको बता दें कि ट्रेन में कई कैटेगरी होती है. पहला होता है जनरल कोच, जो आम यात्रियों के लिए होता है. इसका किराया सबसे सस्ता होता है. इसके बाद सेकंड सीटर कोच होता है.  वहीं, स्लीपर क्लास कोच में सोने के लिए पर्याप्त जगह दी जाती है. एक्जीक्यूटिव क्लास में चेयरकार श्रेणी होती है.  थर्ड एसी कोच लंबे सफर के लिए आरमदायक होते हैं. वहीं, सेकंड ए.सी कोच थर्ड ए.सी के कोच की तुलना में ज्यादा सुविधाजनक होते हैं. फर्स्ट ए.सी सभी बोगियों में सबसे महंगा होता है.