ट्रेनों में महिलाओं से छेड़छाड़ करने पर होगी 3 साल की सजा! रेलवे एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव
ट्रेन में छेड़खानी करने पर आरोपी को एक साल तक जेल की सजा का प्रावधान है, इस सजा को बढ़ाने का आरपीएफ ने प्रस्ताव तैयार किया है.
ट्रेन में यात्रा के दौरान लड़की या महिलाओं से छेड़खानी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. हालांकि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून भी है और ट्रेन में छेड़खानी करने पर आरोपी को एक साल तक जेल की सजा का प्रावधान है. लेकिन रेलवे सुरक्षा बल ने सजा कि इस अवधि को एक साल से बढ़ाकर तीन साल किए जाने का प्रस्ताव भेजा है. आरपीएफ ने रेलवे अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव दिया है.
इस समय रेलगाड़ी में किसी महिला के साथ छेड़छाड़ करते हुए पकड़े जाने पर आरोपी पर आईपीएस की धारा 354 के तहत मामला दर्ज होता है और इस धारा में अधिकतम सजा का प्रवाधान एक साल का कारावास है. अगर रेलवे अधिनियम में संशोधन होता है तो इस तरह के मामले में आईपीएस की धारा का नहीं बल्कि रेलवे एक्ट का पालन किया जाएगा.
RPF को लेनी पड़ती है जीआरपी की मदद
जानकारी के मुताबित, अगर आरपीएफ के प्रस्ताव पर संशोधन होता है तो आरपीएफ को सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) की मदद के बिना ही आरोपी को पकड़ने का अधिकार होगा. वर्तमान कानून के तहत, किसी भी आरोपी को पकड़ने के लिए सीआरपी को जीआरपी की मदद लेने की जरूरत होती है, क्योंकि आरपीएफ के पास इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. अगर रेल एक्ट में यह संशोधन होता है तो आरपीएफ इस तरह के मामलों में जीआरपी के सहयोग के बिना तेजी से एक्शन ले सकेगी.
बढ़ रही हैं छेड़खानी की घटनाएं
बता दें कि हाल ही में रेल मंत्रालय ने राज्यसभा को ट्रेनों में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों से अवगत कराया था. रेल मंत्रालय ने बताया कि 2014-16 में ट्रेनों में सफर करने वाली महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में 35 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. इस दौरान 1,607 मामले दर्ज किए गए थे.
आरपीएफ ने अपने प्रस्ताव में महिला कोच में सफर करने वाले पुरुष यात्रियों के जुर्माने को भी दोगुना करने का सुझाव दिया है. रेल एक्ट की धारा 162 के तहत किसी पुरूष यात्री द्वारा महिला कोच में सफर करने पर 500 रुपये के आर्थिक जुर्माने का प्रावधान है. आरपीएफ ने इस जुर्माने को 1,000 रुपये करने की मांग की है.
इन प्रस्तावों को मंजूरी के लिए सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा. इसके बाद इसे संसद के सामने पेश किया जाएगा.