यंगस्टर्स आने वाले फाइनेंशियल चैलेंज के लिए ऐसे रहें तैयार, इन बातों का रखें खास ख्याल- चेक करें डीटेल्स
यंगस्टर्स को कई तरह के फाइनेंशियल चैलेंज का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए उन्हें पहले से तैयार रहने की जरुरत है. अचानक से आने वाली फाइनेंशियल प्रॅाब्लम कई बार आपको संभलने का मौका तक नहीं देती हैं.
फाइनेंशियल इंडिपेंडेंसी की ओर अपना पहला कदम रखने वाले यंगस्टर्स को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. फाइनेंस की दुनिया में कदम रखते ही, उन पर अचानक फाइनेंशियल रिस्पॅान्सबिलिटी का बोझ आ जाता है. क्योंकि वो अपने फाइनेंशियल मामलों के लिए अपने पेरेंट्स पर बहुत लंबे समय तक डिपेंड रहते हैं. इसलिए ज्यादातर यंगस्टर के पास अपने फाइनेंस को खुद से संभालने की नॅालेज और सॅाल्यूशन नहीं होता है. एक बार जब यंगस्टर प्रॅाफेशनल वर्ल्ड में एंट्री करते हैं, तो उन पर बड़ी फाइनेंशियल रिस्पॅान्सबिलिटी आना शुरू हो जाती हैं. उन्हें रियल लाइफ की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. जैसे कि एक नए शहर या देश में रहना, रेंट देना आदि. खराब एजुकेशन के कारण युवा पर्सनल फाइनेंस के बारे में कुछ बेसिक बातों से ज्यादा नहीं जानते हैं. फाइनेंस मैनेजमेंट के बारे में प्रॅापर नॅालेज के बिना युवा इन जिम्मेदारियों को अपने दम पर नहीं संभाल सकते. पैसे के बारे में अधूरी नॅालेज के बिना वे अपने लिए अच्छा करने के बजाय लॅास कर बैठते हैं. इसके लिए शुरुआत से ही पेरेंट्स और एजुकेशनल इंस्टिट्यूट को बच्चों को पैसों के बारे में जल्दी एजुकेट करने की पहल करनी चाहिए. जिन लोगों ने अपनी एजुकेशन पूरी कर ली है वे खुद ही फाइनेंस मैनेजमेंट सीख सकते हैं. यंगस्टर्स को बजट बनाना, अपने रिसोर्स के भीतर रहना, लोन और लोन का मैनेजमेंट, सेविंग और रिटायरमेंट योजना जैसे सब्जेक्ट के बारे में सीखना चाहिए.
फ्यूचर में क्या परेशानियां आ सकती हैं
स्टूडेंट लोन
भारत में हायर एजुकेशन की लागत एक आम आदमी की इनकम से ज्यादा होता है. इस वजह से एजुकेशन लोन की जरूरत पड़ती है. लोन युवाओं को बिना किसी परेशानी के अपनी पढ़ाई पूरी करने में मदद करता है. लेकिन एक बार जब स्टूडेंट ग्रेजुएट हो जाते हैं और कमाई करना शुरू कर देते हैं, तो लोन चुकाना मुश्किल हो जाता है. इसके दो कारण हैं पहला डिसिप्लिन की कमीं और दूसरा, शुरूआती सेलरी का कम होना. जिस कारण कर्ज बढ़ता ही जाता है. अनियमित लोन रिपेमेंट युवाओं को कर्ज के नीचे दबा देती है. जिस कारण उनका क्रेडिट स्कोर भी खराब हो जाता है. करियर की शुरुआत में लोन चुकाना मुश्किल होता है. चीजों को आसान बनाने के लिए ज्यादा कर्ज न लें. ईएमआई को मैनेजेबल साइज में रखने के लिए अपने एजुकेशन लोन पर सबसे लंबी टेन्योर लें. एक बार आपकी इनकम बढ़ने के बाद अपने लोन की टेन्योर को कम करें. और इसके साथ ही अपने खर्चों को कंट्रोल रखें.
इमरजेंसी
फाइनेंशियल इमरेजेंसी चेतावनी के साथ नहीं आती है. ये किसी भी रूप में और किसी भी समय आ सकती है. ज्यादातर युवाओं की शुरुआती तनख्वाह कम होती है, जिससे सेविंग कम होती है. यहां तक कि एक इमरजेंसी की कंडीशन आपकी सेविंग को पल भर में खत्म कर सकती है. ऐसे में एक इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए. इसके लिए युवाओं को अपनी इनकम को समझदारी से डिवाइड करने की जरुरत है. शुरुआत में इमरजेंसी की कंडीशन के लिए सेविंग अकाउंट में अपनी 3 से 6 महीने की इनकम को बचाने का टार्गेट रख सकते हैं. युवाओं को भी इंश्योरेंस को लेना चाहिए. कम उम्र में इंश्योरेंस कराने का फायदा ये है कि आपका प्रीमियम कम होगा.
जरुरत को कंट्रोल करें
क्या चाहिए और क्या नहीं चाहिए के बीच अक्सर यंगस्टर कन्फ्यूज हो जाते हैं. आपकी जरूरतें वे हैं जिनकी आपको अपने जीवन में एसेंशियली रूप से जरुरत होती है. जैसे कपड़े, भोजन, शेल्टर आदि. आपकी जरूरतें आपकी परचेसिंग पावर से डिसीइड होती हैं. अपनी इच्छाओं पर पैसा खर्च करना ठीक है लेकिन ये खर्च अगर सावधानी से नहीं किए गए तो आपके फाइनेंशियल हेल्थ पर असर पड़ सकता है. अपने फाइनेंस को कंट्रोल करते हुए अपनी इच्छाओं को पूरा करना चाहिए. ऐसा करने के लिए बेसिक जरूरतों की पहचान करें और उन्हें पूरा करें. अपनी इच्छा पर स्मार्टली खर्च करें और अपने खर्चों पर नजर रखें.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें