World Heart Day 2024: दुनियाभर में रविवार (29 सितंबर) को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जा रहा है. वर्ल्ड हेल्थ ऑरगेनाइजेशन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल करीब 17.9 मिलियन लोगों की मृत्यु दिल से जुड़ी बीमारियों की वजह से होती हैं. असंतुलित खानपान, लंबे समय तक बैठे रहने वाली नौकरियां और धूम्रपान या शराब पीने की आदतें दिल से जुड़ी बीमारियों की बड़ी वजहें हैं. इसलिए दिल से जुड़ी बीमारियों से अपने को बचाने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है. साथ ही साथ हृदय रोग और उससे जुड़े इलाज के भारी-भरकम खर्चों से खुद को सुरक्षित भी रखें. इसलिए फाइनेंशियल प्लानिंग में सही हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जरूरी लें, जो आपको जरूरत पर दिल से जुड़ी बीमारियों के उपचार में कवरेज दे सके.  

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पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेड (हेल्थ इंश्योरेंस) सिद्धार्थ सिंघल का कहना है, हृदय संबंधी बीमारियों के उपचार की लागत लगातार बढ़ रही है, जिससे कई लोगों के लिए इस लागत को वहन करना काफी मुश्किल हो गया. भारत में बाईपास सर्जरी की लागत 3,50,000-4,00,000 रुपये तक होती है, जबकि हृदय वाल्व ट्रांसप्लांट ऑपरेशन की लागत ₹6,00,000 तक हो सकती है. हृदय एंजियोप्लास्टी की कीमत ₹1,75,000-3,00,000 तक (खासकर टियर 1 शहरों) हो सकती है. 

इन बढ़ती लागतों के साथ, व्यक्तियों और परिवारों के लिए कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस जरूरी हो जाता है. हृदय रोग के इलाज में अक्सर अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्चों के साथ-साथ एम्बुलेंस चार्ज भी शामिल होता है. हेल्थ इंश्योरेसं प्रोवाइडर हृदय रोगियों या क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस उपलब्ध कराते हैं. इनमें पहला हार्ट अटैक (मायोकार्डिअल इंफार्क्शन), ओपन चेस्ट सीएबीजी (कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए सर्जरी), स्ट्रोक समेत कुछ गंभीर बीमारियों का कवर शामिल होता है.  

पॉलिसी की खासियतें 

  • एक कॉम्प्रिंहेसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में अस्पताल में भर्ती होने की लागत के अलावा हृदय उपचार की लागत और संबंधित खर्चों के लिए कवरेज मिलता है. इसमें सेकेंड ओपिनियन और इलाज के लिए ट्रेवल में होने वाला खर्च, घर पर नर्सिंग और पोस्ट कंसल्टेशन जैसे खर्चें भी कवर होते हैं. 
  • ये योजनाएं लाइफटाइम रिनुअल, हेल्थ-चेकअप, पहले से मौजूद बीमारियों के लिए कम वेटिंग पीरियड के लिए राइडर्स, डे केयर उपचार, भर्ती मरीजों की देखभाल, एम्बुलेंस देखभाल और वैकल्पिक उपचार के साथ 1 करोड़ रुपये और उससे ज्यादा तक की बीमा राशि देती है. 
  • ये योजनाएं अतिरिक्त प्रीमियम के भुगतान पर ओपीडी देखभाल, घरेलू देखभाल, इंटरनेशनल सेकेंड ओपिनियन आदि सहित वैकल्पिक लाभ भी प्रदान करती हैं. 
  • पॉलिसीधारक बीमारी के इलाज, जीवनशैली में बदलाव, डोनर के खर्च या भारत के बाहर प्लान्ड ट्रीटमेंट आदि के लिए बीमा राशि का उपयोग कर सकता है. 
  • लोगों की सुविधा के लिए इंश्योरेंस कंपनी सालाना एकमुश्त के बजाय मंथली या क्वाटर्ली मोड में प्रीमियम का भुगतान करने की सुविधा भी दे रहे हैं, जिससे प्रीमियम का भुगतान करने में लोगों की जेब पर भारी असर नहीं पड़ता है.