Home Loan लेना चाहते हैं तो सबसे पहले समझें क्या है फ्लोटिंग रेट और फिक्स रेट में अंतर
होम लोन लेने के लिए हमेशा इंटरेस्ट रेट को कंसिडर किया जाता है. इस लोन को लेने के लिए इंटरेस्ट रेट दो तरह की होती हैं, पहला फिक्स इंटरेस्ट रेट मोड और दूसरा फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट मोड.
आम आदमी के लिए होम लोन लेना हमेशा से ही बड़ा फैसला रहता है. होम लोन को लेने से पहले लोग हमेशा लोन की इंटरेस्ट रेट के बारे में सोचते हैं. किस इंटरेस्ट रेट पर आप होम लोन ले रहें हैं ये जरुरी फेक्टर रहता है. इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि बैंक आपको किस दर पर होम लोन ऑफर कर रहें हैं. अपने होम लोन के लिए परफेक्ट इंटरेस्ट रेट को सिलेक्ट करना बहुत जरुरी है. आमतौर पर होम लोन की ब्याज दरें दो केटेगरी में डिवाइड होती हैं.पहली केटेगरी फिक्स इंटरेस्ट रेट है और दूसरी फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट है. फिक्स इंटरेस्ट रेट का मतलब है कि आपको उसी इंटरेस्ट रेट पर लोन चुकाना होगा जो होम लोन लेते समय तय की गई थी. लेकिन फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में मार्केट के हिसाब से बदलाव होता रहता है. ये बदलाव बेस रेट पर डिपेंड होते हैं. सरकार और आरबीआई समय-समय पर ब्याज दरों में बदलाव करते रहते हैं.
क्या है फिक्स इंटरेस्ट रेट
वो इंटरेस्ट रेट जिन पर मार्केट की बदलती स्थिति और उतार-चढ़ाव का फर्क नहीं पड़ता है, उसे फिक्स इंटरेस्ट रेट कहते हैं. होम लोन के लिए फिक्स इंटरेस्ट रेट का मतलब है कि आपको लोन लेते समय चुनी हुई ब्याज दरों पर ही लोन चुकाना होगा. अगर आपको लगता है कि मार्केट एक पॅाइंट के बाद नीचे नहीं गिरेगा तो आप फिक्स इंटरेस्ट को चुन सकते हैं. कुल मिलाकर अगर आप रिस्क नहीं लेना चाहते तो फिक्स इंटरेस्ट को सिलेक्ट कर सकते हैं.
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फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट क्या है
जिस इंटरेस्ट रेट में मार्केट की स्थितियों में होने वाले बदलाव के साथ परिवर्तन होता है, उसको फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट कहते हैं. बैंक या अन्य फाइनेंशियल संस्थान द्वारा दी जाने वाली बेस रेट पर होम गोन की फ्लोटिंग ब्याज दरें डिपेंड करती हैं. इसलिए बेस रेट में बदलाव होने पर ये ब्याज दरें रिवाइज्ड हो जाती हैं. आसान शब्दों में कहें तो उदाहरण के लिए मानिए अगर आपने फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर होम लोन लिया है तो रेपो रेट के बढ़ने की वजह से ब्याज दरों में इजाफा होगा. उसके बाद आपको इंस्टॅालमेंट में ज्यादा राशि को पे करना होगा. इसी तरह अगर रेपो रेट में कमीं होती है तो इस इंटरेस्ट रेट से फायदा भी अच्छा होता है.