अगर आपकी पत्‍नी हाउस वाइफ हैं तो जाहिर है कि आप उन्‍हें घर खर्च और उनके खुद के खर्च के लिए पैसे जरूर देते होंगे. पहले के समय में लोग कैश का इस्‍तेमाल करते थे, लेकिन अब यूपीआई का इस्‍तेमाल बढ़ गया है. ऐसे में ज्‍यादातर लोग पैसों को बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर देते हैं, ताकि वो अपनी जरूरत के हिसाब से पैसों का इस्‍तेमाल कर लें.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो हर महीने पत्‍नी के अकाउंट में हर महीने पैसे ट्रांसफर करते हैं, तो जरा अलर्ट रहें और ये जरूर देखें कि पत्‍नी उन पैसों को कहां इस्‍तेमाल कर रही हैं क्‍योंकि पत्‍नी के खर्च करने का तरीका आपके लिए इनकम टैक्‍स की देनदारी बना सकता है.

कब बनेगी टैक्‍स की देनदारी

अगर आप पत्‍नी को हर महीने पैसे देते हैं और वो इस पैसे को SIP या किसी अन्‍य स्‍कीम में निवेश करती हैं, तो भी इससे उनको टैक्‍स नहीं देना होगा. इससे होने वाली आय पति की इनकम में जुड़ेगी और टैक्‍स स्‍लैब के हिसाब से इनकम टैक्‍स देने की जिम्‍मेदारी भी पति की ही होगी. इस इनकम के चलते पत्‍नी को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR File) करने की बाध्‍यता नहीं है.

इस स्थिति में पत्‍नी को भरना पड़ेगा टैक्‍स

अगर निवेश से हुई कमाई को पत्‍नी दोबारा कहीं निवेश करती हैं तो उससे होने वाली आमदनी को पत्‍नी की आमदनी माना जाएगा और इस पर टैक्‍स स्‍लैब के हिसाब से पत्‍नी की इनकम टैक्‍स की देनदारी बनेगी. आसान शब्‍दों में कहें तो एक बार निवेश पर की गई कमाई को दोबारा निवेश करने पर जो आय होगी, उस इनकम की गणना साल-दर-साल आधार पर पत्‍नी की आय में जोड़ा जाएगा. टैक्‍स स्‍लैब के हिसाब से अगर इस पर इनकम टैक्‍स बना तो वो पत्‍नी को चुकाना होगा. ऐसे में बेहतर है कि किसी भी तरह की आय होने पर आईटीआर फाइल करें.