आपने बेशक कभी SIP (Systematic Investment Plan) में निवेश न किया हो, लेकिन इसका नाम तो जरूर सुना होगा. आज के समय में किसी से अगर आप इन्‍वेस्‍टमेंट की सलाह लेंगे तो वो आपको एसआईपी का सुझाव जरूर देगा.  SIP के जरिए म्‍यूचुअल फंड्स में निवेश किया जाता है. वैसे तो ये मार्केट से लिंक्‍ड है और जोखिम के अधीन है, लेकिन फिर भी ज्‍यादातर एक्‍सपर्ट्स वेल्‍थ क्रिएशन के लिहाज से एसआईपी को निवेश का बेहतर ऑप्‍शन मानते हैं. अच्‍छी बात ये है कि SIP को आप 500 रुपए से भी शुरू कर सकते हैं. 

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फाइनेंशियल एक्‍सपर्ट्स की मानें तो अगर आप एसआईपी में लंबे समय तक लगातार निवेश करते हैं, तो भविष्‍य के लिए मोटा फंड बहुत आसानी से जुटा सकते हैं. हालांकि तमाम लोगों के मन में ये सवाल जरूर होगा कि आखिर SIP के जरिए इतना बड़ा फायदा कैसे होता है? आखिर क्‍यों लोगों में SIP में निवेश को लेकर क्रेज बढ़ रहा है? अगर आप भी इस तरह के सवालों के जवाब जानना चाहते हैं तो आपको एसआईपी से जुड़ी 4 बातें जरूर जाननी चाहिए. इसके बाद आपको भी समझ में आ जाएगा कि एसआईपी को क्‍यों फायदे का सौदा माना जाता है.

पहले जानिए कैसे तैयार होता है मोटा फंड

जब आप किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपको कुछ यूनिट्स अलॉट किए जाते हैं. उदाहरण से समझिए कि किसी एक म्यूचुअल फंड का NAV यानी Net Asset Value अगर 20 रुपए है और आपने उस म्‍युचुअल फंड में 1000 रुपए का निवेश किया, तो आपको 50 यूनिट्स अलॉट हो जाएंगे. अब जैसे-जैसे म्यूचुअल फंड की NAV बढ़ेगी, वैसे-वैसे आपका निवेश किया हुआ पैसा भी बढ़ेगा. अगर म्‍यूचुअल फंड की  NAV 35 रुपए की हो जाती है, तो आपके 50 यूनिट्स की कीमत बढ़कर 1750 रुपए हो जाएगी. 

इस तरह SIP के जरिए जब आप हर महीने निवेश करते हैं तो आपको यूनिट्स अलॉट होती रहती हैं. जब बाजार में तेजी होती है तो आपको कम यूनिट अलॉट किए जाते हैं और जब बाजार में गिरावट आती है तो आपके निवेश की उतनी ही रकम में ज्‍यादा यूनिट मिल जाती हैं. इस तरह आपका निवेश औसत भाव पर होता जाता है. साथ ही इसमें कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है. यानी आपको हर महीने मिलने वाले रिटर्न पर भी रिटर्न मिलता रहता है. इसकी वजह से आपको तेजी से मुनाफा होता है और पूंजी काफी तेजी से बढ़ती है.

SIP के ये फायदे इसे बनाते हैं बेहद खास

1- SIP का पहला फायदा तो ये है कि SIP के जरिए निवेश करने में इन्‍वेस्‍टमेंट पीरियड और अमाउंट को लेकर फ्लैक्सिबिलिटी रहती है. यानी, आप अपनी सुविधा अनुसार निवेश की अवधि मासिक, तिमाही या छमाही का ऑप्‍शन चुन सकते हैं. इसके अलावा जब भी आपको जरूरत पड़े आप इसे रोक सकते हैं और अपनी एसआईपी से पैसा निकाल सकते हैं.

2- जब आप समय-समय पर निवेश करते हैं तो आपको रुपी कॉस्‍ट एवरेजिंग का फायदा मिलता है. यानी अगर मार्केट गिरावट में है और आपने पैसा निवेश किया तो आपको ज्‍यादा यूनिट्स अलॉट होंगे और मार्केट में तेजी आने पर अलॉट होने वाले यूनिट्स की संख्या कम होगी. मार्केट में उतार-चढ़ाव की स्थिति में भी आपका खर्च औसत बना रहता है. यानी मार्केट में गिरावट आने पर भी आप लॉस में नहीं जाते. ऐसे में जब मार्केट में तेजी आती है, तो आपको अपने औसत निवेश पर ही बेहतर रिटर्न पाने का मौका मिलता है. 

3- SIP में कम्‍पाउंडिंग का फायदा जबरदस्‍त मिलता है. इसलिए SIP लंबे समय के लिए की जानी चाहिए, ये जितना लंबे समय के लिए होगी कम्‍पाउंडिंग का फायदा उतना ज्‍यादा होगा. कम्पाउंडिंग के तहत आपको केवल उसी रकम पर रिटर्न नहीं मिलता, जिसे आपने निवेश किया है. बल्कि आपको पहले के मिले रिटर्न पर भी रिटर्न मिलता है.

4- SIP के जरिए आप निश्चित समय के लिए बचत करना सीखते हैं, यानी आपको मासिक, तिमाही या छमाही पर जो भी पैसा निवेश करना है, उस रकम की बचत करने के बाद ही आप बाकी खर्च करते हैं. इस तरह आपको अनुशासित निवेश की आदत पड़ती है.