बिजली या मोबाइल फोन बिल जैसे जरूरी बिल नहीं भरना या देर से भरना आपको भारी पड़ सकता है. क्योंकि, बैंक अब क्रेडिट स्कोर के अलावा इन चीजों पर नजर में रखने लगे हैं. रोजमर्रा से जुड़े हर महीने के जरूरी बिलों की अदायगी का भी अब ट्रैक रिकॉर्ड देखा जा रहा है. इसके अलावा बीमा प्रीमियम, इन्वेस्टमेंट को भी बैंक लोन मंजूर करने से पहले देख रहे हैं. सोशल मीडिया प्रोफाइल तक खंगाली जा रही है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बैंक क्रेडिट स्कोर के जरिए पुराने बैंकिंग ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड देख सकते हैं. लेकिन, ग्राहक की प्रवृत्ति को समझने के लिए अब दूसरी पेमेंट को भी ट्रैक किया जा रहा है. बैंक लोन देने से पहले अब ग्राहकों की ज्यादा जानकारी जुटाना चाहते हैं, इससे जोखिम का बेहतर ढंग से अंदाज़ा लगाया जा सकेगा.

क्या है ट्रैकिंग की वजह?

दरअसल, बैंक क्रेडिट स्कोर के जरिए लोन चुकाने का ट्रैक रिकॉर्ड तो देख सकते हैं. लेकिन, बाकी नियमित देनदारियों की प्रवृत्ति को क्रेडिट स्कोर के जरिए समझना कठिन होता है. ऐसे में बैंक बाहरी एजेंसी खासकर फिनटेक कंपनियों की मदद लेते हैं, जिससे बिजली बिल और दूसरी नियमित देनदारियों का भी पता लगा लेते हैं. इसके अलावा इंश्योरेंस प्रीमियम, MF निवेश जैसी चीजें भी देखी जाती हैं.

सोशल मीडिया की भी ट्रैकिंग

फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम प्रोफाइल भी अब अहम हैं. क्योंकि, इससे सालाना छुट्टियों पर खर्च, कार, घर आदि का अनुमान लगाया जा सकता है. सोशल मीडिया को देखकर कुछ हद तक हैसियत का अंदाजा लगाने में मदद मिलती है. सभी चीजों को देखने के बाद स्कोर तय होता है और उसी आधार पर लोन मंजूर करने या न करने का फैसला लिया जाएगा.

कौन रखता है इस पर नजर?

नॉन फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को समझने का मकसद ग्राहक की प्रवृत्ति को जानना है. बैंक इसके लिए फिनटेक कंपनियों की मदद लेते हैं. दरअसल, कई फिनटेक कंपनियां, बिजली वितरण कंपनियां, मोबाइल ऑपरेटर्स और दूसरी संस्थाओं के साथ डेटा शेयरिंग का करार करती हैं. इस करार के तहत ग्राहकों के ऐसे बिल का ब्योरा मिल जाता है. डाटा को जरूरत पड़ने पर बैंकों के साथ साझा किया जाता है. बैंक इसका इस्तेमाल इंडिविजुअल ग्राहकों और SMEs के लिए कर रहे हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, क्रेडिट स्कोर अब भी सबसे अहम पैमाना रहेगा. लेकिन, बैंक किसी ग्राहक के बारे में जितनी जानकारी जुटाकर अपना रिस्क मॉडल तय करें उतना ही अच्छा रहता है. जो लोग नियमित पर अपनी सारी अदायगी करते हैं उनके लिए ये अच्छा होगा. बैंकों के इस प्रयोग से वित्तीय अनुशासन बढ़ेगा. सभी बैंक अगर ऐसा ही पैमाना अपनाते हैं तो मुमकिन है कि नियमित देनदारियों को न निपटाने वाले लोगों को कर्ज मिलना कठिन हो जाए या फिर ऐसे लोगों के लिए कर्ज़ की लागत बढ़ जाए.

ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देखें

CIBIL ही नहीं दूसरे बिल पर भी नजर

- बैंक अब बिजली, फोन और दूसरे बिल पेमेंट भी कर रहे हैं ट्रैक.

- फिनटेक एजेंसियों की मदद से पेमेंट रिकॉर्ड की हो रही है ट्रैकिंग.

- क्रेडिट स्कोर के साथ दूसरी अदायगी की जानकारी रख रहें हैं बैंक.

- ग्राहकों की प्रवृत्ति समझने के लिए ज्यादा जानकारी जुटा रहे बैंक.

- इंश्योरेंस पेमेंट, निवेश, सोशल मीडिया प्रोफाइल पर नजर.

- सोशल मीडिया से खर्च, हैसियत का अंदाजा लगाने की कोशिश.

- इंडिविजुअल और SMEs के लिए ज्यादा जानकारी जुटा रहे हैं.