कितनी तरह के होते हैं पावर ऑफ अटॉर्नी, कब पड़ती है इसकी जरूरत- जानें सब कुछ
पावर ऑफ अटॉर्नी के अंडर जो जिस भी व्यक्ति को अपॉइंट किया जाता है उसे प्रिंसिपल, डोनर, या फिर ग्रांटर कहा जाता है. अधिकृत व्यक्ति को एजेंट या फिर पावर ऑफ अटॉर्नी एजेंट कहा जाता है.
पावर ऑफ अटॉर्नी एक जरूरी लीगल डॉक्यूमेंट है जिसके जरिए एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपनी प्रॉपर्टी को मैनेज करने के लिए अपॉइंट कर सकता है. पावर ऑफ अटॉर्नी के अंडर जो जिस भी व्यक्ति को अपॉइंट किया जाता है उसे प्रिंसिपल, डोनर, या फिर ग्रांटर कहा जाता है. अधिकृत व्यक्ति को एजेंट या फिर पावर ऑफ अटॉर्नी एजेंट कहा जाता है. नियमों और शर्तों के आधार पर ऑथराइज्ड एजेंट के पास प्रॉपर्टी से जुड़े लीगल निर्णय लेने के अधिकार होते हैं.
पावर ऑफ अटॉर्नी के टाइप्स
दी गई जिम्मेदारी के आधार पर 4 तरह के POAs हो सकते हैं
1. कन्वेंशनल पावर ऑफ अटॉर्नी
रिस्पॉन्सिबिलिटी के आधार पर इस इंस्ट्रूमेंट को जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) भी कहा जाता है. इस इंस्ट्रूमेंट के अंडर व्यक्ति किसी एक स्पेसिफिक जिम्मेदारी के लिए ही अपॉइंट होता है, और एक निश्चित समय के लिए ही वैलिड होता है.
2. ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी
ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी लाइफटाइम के लिए डिजाईन की जाती है. इस के अंडर एजेंट के पास तब भी फैसले लेने की पावर होती है जब ग्रांटर अनफिट होता है. इस तरह के POA तब तक कंटिन्यू रखे जाते हैं जब तक ग्रांटर की मृत्यु न हो जाए या फिर उनके द्वारा प्लान कैंसिल न किया जाए. जैसे कि ग्रांटर अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को मैनेज करने के लिए एजेंट अपॉइंट कर सकते हैं.
3. स्प्रिन्गिंग पावर ऑफ अटॉर्नी
किसी खास इवेंट, डेट या फिर कंडीशन के लिए स्प्रिन्गिंग पावर ऑफ अटॉर्नी का यूज किया जाता है. खासतौर पर जब ग्रांटर फैसला लेने में असमर्थ हों. उदाहरण के लिए कोई रिटायर्ड मिलिट्री पर्सन डिसएबल होने पर एक PoA एजेंट को अपॉइंट कर सकते हैं
4. मेडिकल पावर ऑफ अटॉर्नी
मेडिकल पावर ऑफ अटॉर्नी स्प्रिन्गिंग और ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी के अंडर आती है. इस तरह के इंस्ट्रूमेंट को सामान्यत हेल्थकेयर से जुड़े मामलों में यूज किया जाता है. लेकिन इस अपॉइंट करने के लिए व्यक्ति को हेल्दी स्टेट ऑफ माइंड में होना जरूरी है.
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किसे बनाया जा सकता है पावर ऑफ अटॉर्नी
POA चुनना एक थोड़ा मुश्किल जरूर हो सकता है लेकिन अगर एलिजिबिलिटी की बात की जाए तो व्यक्ति को जिम्मेदार, भरोसेमंद, 18 साल की उम्र से बड़ा और निर्णय लेने में साफ ओना चाहिए.